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ओ सदानीरा तू बहती है गंगा की जैसी धारा....

4 अक्टूबर 2022

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ओ सदानीरा

तू बहती है गंगा की जैसी धारा....

तू सिचती है मरुस्थल भूमि को मैदानी भागों 

ओ सदानीरा

तेरी उद्गम हैं धौलागिरी की पर्वत से 

कोई कहता है त्रिवेणी पर्वत से

नेपाल से होते हुए बहती है भारत मां के धरती पर  

ओ सदानीरा

कहीं जानी जाती है तू गण्डक कहीं शालिग्राम, सप्तगंडक

मैदानी क्षेत्र में नारायणी

महाकाव्यों में सदानीरा

ओ सदानीरा

तू है गंगा की सहायक और तेरी है

काली गंडक और त्रिशूली गंगा....

तू बहती है गंगा की जैसी धारा....

तुमने मिलने वाली काली पत्थर को कहते हैं शालिग्राम

जिस को मानते हैं विष्णु का अंश

ओ सदानीरा

तू बहती है गंगा की जैसी धारा.... 

                                        लेखक

                                   सोनपुर सम्राट

                                 बाबु ब्रेजेश यादव

                                 





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