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ससुराल की दहलीज

14 अक्टूबर 2023

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सविता देवी आज सुबह से बड़ी उत्साित है।उसकी बेटी रेनू पहली बार ससुराल से मायके आ रही थी।  तैयारी में कोई कमी ना रहे दामाद जी की आओ भगत में कोई कमी ना रहे बार-बार सविता देवी किचन में जा जाकर यह अस्वस्थ कर रही थी और अपनी बहू को ठीक से काम करने के निर्देश दे रही थी। बार-बार बहू को डांट रही थी कि समान ठीक से जमा हो खाना ठीक से बनाओ। आखिर थक के सविता जी  बरामदे में बैठ गई और बेटी के आने का इंतजार करने लगी। थोड़ी देर में गाड़ी का हॉर्न बजा सविता जी बाहर निकली दामाद जी और उसकी बेटी रहे आ चुके थे।
बेटी दामाद की आरती उतार कर सविता जी ने उनका स्वागत किया और उन्हें अंदर बुलाया।
चाय नाश्ता करवा कर सविता जी ने घर का हाल-चाल पूछआ । रेनू बार-बार अपने घर की और अपने ससुराल की तारीफ कर रही थी। इसे सुनकर सविता जी फूला नहीं समा रही थी और अपनी बेटी की भाग्य की सराहना कर रही थी
दोपहर में सब खाना खाने बैठे भाभी ने रेनू को गरम रोटियां पड़ोसी रोटी खाते ही रेनू के मुंह से निकला भाभी गरम रोटियां का स्वाद क्या होता है यह बहुत दिनों बाद मुझे याद आया। अचानक उसकी बात सुनकर सविता जी को जैसे ख टका सा लगा और रेणु भी चुप हो गई जैसे उसने कुछ गलत कह दिया हो। सविता जी अब तक अपनी बेटी की  तारीफ करने का भेद समझ चुकी थी सविता जी भी एक सास  थी और अपनी बहू से अक्सर बड़ी कठोरता से पेश आया करती थी अपनी करनी ही वापस आती है यह सोचकर सविता जी का दिल बैठ गया। अगर वह अपनी बहू को प्रेम से और सम्मान से रखती तो शायद आज उसकी बेटी भी ससुराल में उसी  प्रेम और सम्मान से रहती। यह बात सोचते हुए सविता जी ने कसम खा ली कि वह अपनी बहू को अपनी बेटी बना कर रखेगी। सविता जी अपनी बेटी और बहू के साथ छत में खिली हुई धूप में बैठ गई थी। सविता जी आसमान की तरफ देख रही थी आज सूर्य की चमक कुछ ज्यादा ही सुंदर थी।

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