में गूगल ब्लॉगर हूँ एवं अंग्रेजी साहित्य से परास्नातक की उपाधि प्राप्त की है.
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कभी भी 'ख़ुशी' मेँ शायरी नहीं लिखी जाती.....ये वो धुन है जो दिल टूटने पर बनती है...!!
ढाई महीने बाद बीजेपी-पीडीपी का समझौता हो गया है।महबूबा कोई भी हो, मानने में वक्त तो लेती ही है।
किन लफ्जों में लिखूँ मै अपने इन्तजार को तुम्हे,बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और ढूँढता हैं खामोशी से तुझे.आज अल्फ़ाज नहीँ मिल रहे साहेब ...."दर्द" लिख दिया है...महसूस कीजियेगा !!
जब ख्वाबों के रास्ते ज़रूरतों की ओर मुड़ जाते हैं,तब ही ज़िन्दगी के मायने समझ मे आते हैं....!!