किन लफ्जों में लिखूँ मै अपने इन्तजार को तुम्हे, बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और ढूँढता हैं खामोशी से तुझे.
आज अल्फ़ाज नहीँ मिल रहे साहेब .... "दर्द" लिख दिया है...महसूस कीजियेगा !!
25 मार्च 2016
किन लफ्जों में लिखूँ मै अपने इन्तजार को तुम्हे, बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और ढूँढता हैं खामोशी से तुझे.
आज अल्फ़ाज नहीँ मिल रहे साहेब .... "दर्द" लिख दिया है...महसूस कीजियेगा !!
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में गूगल ब्लॉगर हूँ एवं अंग्रेजी साहित्य से परास्नातक की उपाधि प्राप्त की है. D
धन्यबाद चंद्रेश जी
3 अप्रैल 2016
बेहतरीन !
31 मार्च 2016
दर्दे दिल दर्दे जिगर दिल में जगाया आपने
25 मार्च 2016