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सूरज मुखी का एक तरफा प्यार.

7 जून 2023

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बहुत पहले की बात है आसमानों में एक बहुत ही खूबसूरत परिस्तान  हुआ करता था. उस परिस्तान में एक खूबसूरत सी परी रहती थी. जिसका नाम मेहताब था  मेहताब उस परिस्तान की  राजकुमारी थी वह परियों में सबसे खूबसूरत परि थी सुनहरी बाल छोटी छोटी आंखें चांद सा चेहरा खूबसूरती की मिसाल हुआ करती थी.  मेहताब को खेलना कूदना शरारतें करना बहुत पसंद था राजा और रानी की इकलौती संतान होने के कारण वह बहुत नाजो से पली थी.

मेहताब सारा दीन रात होने  का इंतज़ार करती थी . क्यू की किसी भी परी को दींन के समय परिस्तान के बहार जाने की  इजाजत ना  थी. सभी का यह मना था की अगर कभी किसी परी को दिन के देवता की रौशनी अगर छुले तू उसका  शरीर जलकर खत्म हु जाता है. इसलिए कभी भी किसी भी परी ने  दींन में बहार जाने की हिमत ना की थी.  पर असल बात तू किसी को पता ही है थी के दींन में बहार जाने वाली परयो के सत् काया होता  है.

रात होते ही जेसे अंधेरा छा जाता  मेहताब जमीन पर एक नदी के किनारे उसकी सहेलियों के संग  चली जाती थी क्योंकि अंधेरे में नदी के किनारे कोई नहीं आता था और उन्हें कोई देख है न ले इसबात का धीयन हमेशा रखना पड़ता था.  वह सब एक खास जगह आया करती थी जहा पर ऐसे भी कोई इंसान या  जानवर नहीं आता  था

मेहताब वहां पर रात भर नाच गाना खेल कूद मस्ती किया करती थी  वह सब आपस में मिल कर खूब खेलती. एक बार की बात   है मेहताब खेलते खेलते बहुत थक गई और थक कर नदी के किनारे पर एक पत्थर पर आकर बैठ गई.    बैठे-बैठे ना जाने मेहताब   की कब आंख लग गई जब उसकी सहेलियों को इस बात का एहसास हुआ कि मेहताब हमारे साथ नहीं है तो वह सब उसे इधर-उधर ढूंढने लगी मेहताब इतनी गहरी नींद में सो गई थी कि उसे उसकी सहेलियों की भी पुकार   सुनाइ नही दी  मेहताब की  सहेलिया  बहुत परेशान हो गई उसे सभी जगह ढूंढने लगी पर मेहताब किसी कीमत पर ना मिली उन्होंने सोचा कि मेहताब थक्कर परिस्तान लौट गई होगी और वह भी यह सोचकर सभी परिस्तान लौट गई.

मेहताब की आंखें एक तेज रोशनी से खुली मेहताब को पता ना था कि वह रोशनी किसकी है पर मेहताब को उस   रोशनी को देखते हुए बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था मेहताब सारा दिन उस रोशनी की तरफ देखती रही उसे इस बात का भी एहसास ना हुआ कि वह  परिस्तान में नहीं है  परिस्तान  में सभी को उसकी फिक्र हो रही थी सारा दिन मेहताब ने उसी पत्थर पर बैठकर निकाला जैसी शाम होने लगी मेहताब ने देखा कि एक सुंदर सा राजकुमार अपने रथ पर बैठकर जा रहा है वो राजकुमार असल में सूरज था जो सुबह होते ही आ जाता और शाम होते ही चला जाता मेहत्ताब वही बेठी रही की एक न एक  दिन वह राजकुमार उसे जरूर देखे गाआ.

मेहताब को पतथर पर  बैठे  बैठ  वक़्त का पता ना चला और वो काफी वक़्त वही बैठी ही रही और वहा परिस्तान में भी सभी समज रेहे  थी की  मेहताब  खतम हुगयी है काफी लम्बे वक्त के बाद मेहताबक को  होश आया  की वो कहा है वो यह देकर बहुतो हैरान थी के वो परिस्तान में नहीं   बल्के  उसे सब यद्  आया और   वो बहुत दर गई और परिस्तान जाने के लिए उठने लगीं तू उसने देखा की उस के पैर नहीं है उसके पैर   की जगहा एक डण्ठल  जो जमीन के अंदर जारी थी  यह देखकर जब उसने जुर से  चिकना चाहा तू उसके आवाज़ नहीं नकली उसने एक बार खुद को पूरा देखा तो वो डर गयी उसके सुनहरी बालो की जगह पीले फूलों की पख्खुद आचुकी है कालीे  गहरी आंखो की जगह काली काली बीच है हात की जगह  पतु ने लेली है इसतरहा ओ एक मुकमल फूल बनचुकी है जिसे अज्ज हम सब सूरज मुखी का फूल कहते है अज्ज भी मेहताब (सूरज मुखी) सूरज के आनने से लेकर उसके जाने तक उसकी और घूमती रहती  है और बस उसकी एक नज़र  का इन्तेज़र करही है इस अस्स में के   एक न एक दिन वो जरूर देखे गआ.

और हां..... 

दींन के समय परिस्तान के बहार जाने  वाली परयो को दिन के देवता की रौशनी अगर छुले तू उसका  शरीर जलकर खत्म  नहीं होता बल्के एक खूबसूरत फूल बन जाता है शयद दुनिया में मुजूद हर  खूबसूरत  फुल की पीछे एक खूबसूरत परी की कहानी  हुगी. 

मेहताब की मुहोबत एक तरफ़ा ही सही पर दिल से प्यार किया उसने सूरज को

सूरज को खबर नहीं  पर हर पल मेहताब ने याद किया उसको.

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