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गज़ल - सूर्यभान कुशवाहा

3 अगस्त 2017

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गजल-
अपनो को कभी गॆर,बताया न कीजिये
दिल मे नही जगह,तो सताया न कीजिये।

आंखों में बसा लीजिए, काजल ही मानकर
आंसू के साथ इनको,बहाया न कीजिये

ऎसे भला जलाकर नफरत की आग पर
ताली मजे से बॆठ,बजाया न कीजिये

माना तुम्हारे जॆसे ऒकात नही उनकी
लेकिन कभी अहसास, कराया न कीजिये

यह भी तो परिंदे है आगन की नीम के
दाना नही तो डाल,हिलाया न कीजिये

आखो मे आखे डाल इकबार देखिए
कुत्तो की तरह घर से ,भगाया न कीजिये

रिश्तों को रखे दिल में,हरदम सहेज कर
इक पल के लिए इसको,हटाया न कीजिये ।

article-image. सूर्यभान कुशवाहा,सतना,म.प्र.

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