गजल-
अपनो को कभी गॆर,बताया न कीजिये
दिल मे नही जगह,तो सताया न कीजिये।
आंखों में बसा लीजिए, काजल ही मानकर
आंसू के साथ इनको,बहाया न कीजिये
ऎसे भला जलाकर नफरत की आग पर
ताली मजे से बॆठ,बजाया न कीजिये
माना तुम्हारे जॆसे ऒकात नही उनकी
लेकिन कभी अहसास, कराया न कीजिये
यह भी तो परिंदे है आगन की नीम के
दाना नही तो डाल,हिलाया न कीजिये
आखो मे आखे डाल इकबार देखिए
कुत्तो की तरह घर से ,भगाया न कीजिये
रिश्तों को रखे दिल में,हरदम सहेज कर
इक पल के लिए इसको,हटाया न कीजिये ।
✍. सूर्यभान कुशवाहा,सतना,म.प्र.