15 नवम्बर 2021
56 फ़ॉलोअर्स
WriterD
आपका आभार 🙏🏼
24 जनवरी 2022
Behtreen likha aapne 👌👌
8 जनवरी 2022
🙏🏼🙏🏼
21 नवम्बर 2021
क्या बात हैं
19 नवम्बर 2021
आपका धन्यवाद
16 नवम्बर 2021
बहुत बढ़िया लिखा आपने
<div>रे मेरे मन बता एक सवाल।</div><div> इंसान के लिए इंसानियत जरूरत </div><div> या&nb
जीवन का एक ऐसा पड़ाव, जहां इंसान सुकून, हर्ष और उल्लास के साथ अपना बचा हुआ समय गुजारना चाहता है। प्र
<div>समय और संस्कृति के चलते आज के बुजुर्ग बेसहारा जीवन जीने को मजबूर होते जा रहे हैं। प्रतिस्पर्धा
<div>भोजन जो प्रतिदिन हमें ऊर्जा प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भोजन करने के लिए अपने निश्चि
आज हमारे दैनिक जीवन में चीनी सच में नदारद हो चुकी है। लोग बिना चीनी की चाय पीने लगे हैं। पहले ऐसा नह
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<div>मोबाइल को मुल्जिम की तौर पर कटघरे में लाया गया है। सवालों के कटघरे में खड़ा मोबाइल जिसे, ना तो
<div><br></div><div>हमारे देश को आजाद हुए आज कितने वर्षों बीत चुके हैं। आजादी प्राप्त करने के पश्चात
प्राचीन समय की अपेक्षा आज गुरु के प्रति शिष्यों द्वारा किया जाने वाला सम्मान नगन्य हो चुका है। गुरु-शिष्य की परंपरा में अब वह मिठास नहीं है,जो प्राचीन काल में हुआ करती थी। शिक्षा अब व्यवसाय बन चुकी है
भारत में गुरु शिष्य परम्परा का यह चलन पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से बदला है। अब शिक्षा देने और प्राप्त करने, दोनों ही स्तरों का व्यवसायीकरण यानी कमर्शियलाइजेशन ज्यादा हो गया है। लिहाजा न गुरु के प्
शिक्षक अगर प्राइवेट संस्थान का है तो उसके पास तमाम स्कूल का काम होगा। वह कागजी और क्लरिकल काम भी जिसके लिए उसकी नियुक्ति नहीं की गई थी। उसे वे सारे काम करने पड़ते हैं। <div>अगर वह सरकारी स्कूल से
हमारे देश मे प्रतिभाओं की कमी नहीं है। कई बहुत छोटे गांवों में कुछ टीचर्स ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्य करके अपने विद्यार्थियों को आगे बढ़ाया है। महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में बच्चों को डिजिटल शिक
आज के दौर में बच्चों द्वारा किए गए व्यवहार को लेकर कई बार मन अशांत हो जाता है। क्या यही शिक्षा रह गई है। क्या यही संस्कार दिए जा रहे हैं यदि यह संस्कार हैं तो इससे तो अनपढ़, गवार ही रहना ज्यादा अच्छा
जीवन पथ पर बढ़ते हुए हमारे हाथ से न जाने कितना कुछ छूटता जा रहा है। ऐसी अनेकों बातें हमारे अपने, हमारे सपने, अनेकों कुरीतियां, रिवाज, प्रथाएं सब के सब पीछे रह जा रहे हैं। ऐसा भी हो सकता है कि हम