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Taslima Nasrin की पुस्तकें

Lajja

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लज्जा’ की शुरुआत होती है 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद तोडे़ जाने पर बांग्लादेश के मुसलमानों की आक्रामक प्रतिक्रिया से। वे अपने हिन्दू भाई-बहनों पर टूट पड़ते हैं और उनके सैकड़ों धर्मस्थलों को नष्ट कर देते हैं। लेकिन इस अत्याचार, लूट, बलात्कार और मन्दि

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लज्जा’ की शुरुआत होती है 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद तोडे़ जाने पर बांग्लादेश के मुसलमानों की आक्रामक प्रतिक्रिया से। वे अपने हिन्दू भाई-बहनों पर टूट पड़ते हैं और उनके सैकड़ों धर्मस्थलों को नष्ट कर देते हैं। लेकिन इस अत्याचार, लूट, बलात्कार और मन्दि

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Nahin, Kahin Kuchh Bhi Nahin…

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तसलीमा नसरीन बांग्लादेश की लेखिका हैं। उनकी आत्मकथा का 6वां खंड ‘नहीं,कहीं कुछ भी नहीं..’ के रोप में पाठकों के सामने है जिसे उन्होने अपनी माँ को समर्पित किया है। जिसमे उनके जीवन के वो पल मौजूद है जो उनकी माँ को केंद्र में रख कर लिखे हैं।

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Nahin, Kahin Kuchh Bhi Nahin…

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तसलीमा नसरीन बांग्लादेश की लेखिका हैं। उनकी आत्मकथा का 6वां खंड ‘नहीं,कहीं कुछ भी नहीं..’ के रोप में पाठकों के सामने है जिसे उन्होने अपनी माँ को समर्पित किया है। जिसमे उनके जीवन के वो पल मौजूद है जो उनकी माँ को केंद्र में रख कर लिखे हैं।

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