ग़ज़ल
तेरे बैगर जिन्दगी अधूरी कहानी लगती है
जी रहा हूँ मगर जीना बेईमानी लगती है ,
तेरी यादों के पल आने वाले हरेक अश्क को संभाले रखा है
तेरे प्यार की ये बतौर निशानी लगती है ,
बेवफ़ाई के बाद अब कुछ भी कहाँ अच्छा लगता है
अब तो बेकार ये अपनी जवानी लगती है ,
मेरे अफसाने सुनने वाले रोक न सके अश्क भी
लोगों को मेरी दास्तां सुनकर हैरानी लगती है ,
सोचता हूँ तुझे भुला दूँ हमेशा के लिए मगर
तू तो मेरी हमसफ़र पुरानी लगती है.........
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# raghunarayana