माँ तू अगर क़रीब होती है तो ...
माँ तू अगर क़रीब होती है तो
कितना अच्छा लगता है,
मगर तेरे बैगर क्या बताए कि
ये जहां कैसा लगता है,
भीड़ होती है चारों ओर मगर
कहाँ कोई अपना लगता है,
ख़ुशियों की महफिल भी हो तो
तन्हा जैसा लगता है,
माँ सोचो कितना अच्छा होता
तेरी आँचल की घनी छाँव में मैं सोता,
बँद करता आँखें भी तो
तू हमे नज़र आती,
चाहे जहां में कुछ भी होता
तेरे गोद में मैं चैन से सोता,
माँ तू अगर क़रीब होती तो कितना अच्छा होता