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तिरंगा

12 अगस्त 2024

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आज वतन के नाम  की शाम हैं,,
मुझे रंग  केसरिया पे गुमान हैं,,
परचम फैला हैं,इसका हर और साथी,,
चौड़ी होती हैं,, देख,, "तिरंगे" को,, 
  लहर ,लहर, लहराते ,अपनी छाती।।

बहादुर है मेरी सेना का हर वीर,,
जरा देखे तो कोई  तिरछी नज़र से,
उसके घर घुस कर ,,
देता हैं,,कलेजा ये चीर।।

सफेद रंग की भी अपनी ही आन हैं,
चांद पर हो आना महज खर्च स्कूटर के,
यह तो अपने ही वैज्ञानिकों की कर्म शक्ति प्रज्ञान है,,
हैरान होते हैं वो देश  नौसिखिए,
जो डालते थे अड़चन तरक्की हमारी मे ,
अब ऑखे है बैठे भींचे।।

चक्र देखा इसका चौबीस तिलियों वाला,
तरक्की को भाग रहा हर पल,
हर भारतीय मतवाला।।
रौबदार है,
चुनौतियाँ सब स्वीकार है,
हो कोई  वैश्विक आपदा,या बिमारी,
झट तैयार है दवा,,
देता दान तक इसका भी भारी।।

रंग  हरा तो वाकई  हसीन हैं,भूमंडल हो या 
या नभ आकाश,,वायुमंडल ,,
या परे उससे भी आकाश सारा,,
सभी और तेज वर्चस्व हैं,,
ए भारत 🇮🇪 🇹🇯 🇮🇪तुम्हारा।।

भारतीय ध्वज हो तो गोली रोक देता हैं।
यह ध्वज तिरंगा,मौत तक रोक देता है।
यकीन  न हो तो,
यूक्रेन मे फसे लोगो से पूछो,
ये वो भारत है जो कहता अब,,
किसी के  आगे  मत झुको।।

गौरवान्वित करता मेरा तिरंगा प्यारा ,,
लहर लहर लहराए, देश का तिरंगा प्यारा।।

विविधता मे एकता ,इसकी पहचान हैं,,
हर थाह, हर क्षेत्र लहराए तिरंगा,,
यही हर भारतीय का अरमान है,,
यही हमारा गौरव, यही हमारा सम्मान है।।

मांगे तो सही एक कतरा, कही,,
हम सब  बहा देगे खूं अपना ,,
हमे इतना प्यारा है यह तिरंगा ,,
यही हमारी आन,बान,शान है।।

आज देश की आजादी की शाम है,,
नशे मे हूं इस माटी की,, सुंगध की,,
इतना प्यारा मेरा हिंदुस्तान है।।
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मौलिक हिन्दुस्तानी रचनाकार ,,
भारत पर गौरवान्वित,,
संदीप शर्मा।।
भारत से।।🇨🇮🇹🇯🇮🇪


प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने जै हिंद जै भारत 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏

18 अगस्त 2024

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रचनाएँ
खिलते एहसास।
0.0
प्रिय पाठकगण सुधिजन व मित्रगण, जयश्रीकृष्ण,, आप सब को मेरा सादर नमस्कार। प्रियवर " खिलते एहसास " का एहसास सहसा ही मस्तिष्क मे उभरा।कई बार हम कई विशेष परिस्थितयों के अधीन बंधे महसूस करते है।वो भी तब जब कोई आस या कामना सामने खडी होती है ।और ऐसे मे कुछ पूर्व के प्रयास जो उस इच्छा प्राप्ति को किए गए होते है एकाएक, व अनायास कुछ मीठे व सुन्दर सृजनात्मक रूप मे फलस्वरूप किसी न किसी रूप मे हमारे समक्ष उपस्थित आन खडे होते है। यही सुखद एहसास हमारी पुस्तक "खिलते एहसास " के जनक का कारण बनी।कई लेखको ने अपना शब्द संयोजन भाव विशेष के साथ अपनी सहमति से यूं प्रदान किया कि वो इस "खिलते एहसास " के सहनायक हो गए। और ईश्वर कृपा ऐसी हुई कि यह एक काव्यात्मक प्रस्तुति के रूप मे हमारे समक्ष है।जिसमे पंद्रह लेखक व लेखिकाओ ने अपनी स्वरचित मौलिक रचनाएं सहर्ष देकर इस पुस्तक " खिलते एहसास " को रोचक व काव्यात्मक रूप प्रदान कर एक दृष्टि व राह दी।जो एक कविता संग्रह के रूप मे आपके समक्ष है। एक संपादक होने के नाते आप सब के सामने इस प्रयास " खिलते एहसास " को एक पुस्तक के रूप मे रखने की जो खुशी व आंनद का अनुभव हो रहा है वो स्वय मे ही एक " खिलते एहसास " का सा अनुभव है जो यथार्थ मे परिवर्तित होने जा रहा है। उम्मीद है यह हमारा प्रथम प्रयास आपकी पठनीय रूचि अनुसार खरा उतरेगा।व आप इसे अपने पुस्तकालय की शोभा व शान बनाने मे गौरव महसूस करेगे। पढने वालो के लिए उपहार के रूप मे इसका आदान-प्रदान करेगे।इसी अपेक्षा व स्नेह के आकांक्षी हम सब लेखक भविष्य मे भी आपकी रूचि अनुसार विभिन्न विषयो पर रचनाएं पेश कर आपसे रूबरू होते रहेगे। इसी वायदे के साथ आपके स्नेह प्रेम व आशीर्वाद के आकांक्षी। हम सब लेखक-साहित्यकार मित्र बंधु।। संपादक संदीप शर्मा।। (देहरादून से जयश्रीकृष्ण ।।

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