shabd-logo

@त्रिɓհմϖαη___और आचार संहिता

26 फरवरी 2022

19 बार देखा गया 19
बात सिर्फ इतनी सी है जैसे एक अध्यापक अपने स्टूडेंट्स को पढ़ाता है तब तक वो उन्हें वो सारा कुछ बताता है जो उन्हें नहीं आता या जो पूछते है।उसी बीच उसी अध्यापक का ड्यूटी एग्जाम कराते समय हो तो वो अध्यापक ना होकर एक एग्जाम कराने और कक्ष निरीक्षक के रूप मे होता तब क्या वो स्टूडेंट को एग्जाम के लिए मदद करेगा क्या? सेम ऐसा प्रोसेस चुनाव के दौरान भी होता है और सबका रोल बदल जाता है जिसे जो काम दिया जाता है तब वो वही हो जाते है उसके बाद चुनाव और आचार संहिता हटते ही वो पुनः अपने पद पर वही कार्य करने लगते हैं।*
आचार संहिता चुनाव की तारीख से चुनाव के फैसला आने तक वो चलता है।इस बीच चुनाव प्रचार पर भी रोक लगा दी जाती है ताकि कोई जनता को गुमराह ना कर पाये इसी बीच सारी लाइसेंसी बंदूके वगैरह भी सरकार पहले ही जमा करवा लेती है और आचार संहिता खत्म होने पर वापस दे दी जाती है।ताकि सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे।
*चुनाव आयोग इस बीच अपना कुछ जरुरी निर्देश जारी करती है चुनाव के लिए कि आप भीड़ इकठ्ठा नहीं कर सकते,कहीं कोई रैली या जुलूस निकालने के लिए चुनाव आयोग से पहले से इजाजत लेनी होगी।आप धर्म के नाम पर कोई प्रचार नहीं कर सकते,सरकारी चीजों जैसे गाड़ी, मकान,ऑफिस जैसी चीजों का चुनाव प्रचार के लिए नहीं प्रयोग कर सकते आदि।*
इस बीच सिर्फ वोटिंग करते समय जनता को सही जगह वोट करना चाहिए जो देश हित में हो। नहीं तो देश के साथ साथ जनता को भी पछताना पड़ता है।


त्रिभुवन गौतम s\o शिव लाल
 शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश भारत।
1
रचनाएँ
@त्रिɓհմϖαη__मतदान और आचार संहिता
0.0
मतदान हर भारतीय का अपना एक जन्म सिद्ध अधिकार है जो आपसे कोई दूसरा कभी नहीं छीन सकता। मतदान कि क्या ताक़त है शायद हर कोई उससे परिचित ना हो।यह वो एक अभिन्न चीज़ है जो बाबा साहेब डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर ने आपको दिया कि आप इस अभिन्न चीज़ से वो सब कुछ हासिल कर सकते है जो आप चाहते है।आपका एक वोट और आपकी शिक्षा ये वो अभिन्न अंग है जिसका अगर अपने अच्छे से प्रयोग किया तो आप अपना ही नहीं बल्कि अपने घर-परिवार,प्रदेश,देश और दुनिया की आप नक्शा बदल सकते है। रही बात वोटिंग कि आपका एक वोट अगर सही जगह गया तो आप खुशहाल देश खुशहाल और गलत हाथ मे गया तो आपके साथ साथ देश भी बर्बाद।अब आप इसका अंदाजा लगा लीजिए कि आप क्या हो। देश मे कितनी समस्याएं है,आपकी कितनी समस्याएं है आपके घर की क्या समस्याएं है,देश के लिए क्या हितकारी है सब कुछ सोच कर समझ कर देखिए।तब वोटिंग कीजिए। चुनाव के शुरू होते ही उसका अहम हिस्सा *आचार संहिता* भी है।जो सरकार और लोगों के बीच कार्य करता है। आचार संहिता लगने पर सारा शासन व्यवस्था चुनाव आयोग के अंदर मे आ जाता है जब तक आचार संहिता चलता है तब तक सारा काम कुछ ऐसे चुनाव आयोग बांटता है,क्योंकि चुनाव आयोग हर जगह एक साथ नहीं पहुँच पायेगा इसलिए वो सारी सुरक्षा व्यवस्था ऐसे करता है.... *चुनाव आयोग हर जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट(डीएम) को जिले कि सारी जिम्मेदारी देता है कि काम कैसे करना और क्या करना है ।डीएम अपने अंडर मे रह रहे SDM को काम देता है और SDM अपने अपने ब्लॉक कि जिम्मेदारी समझते हुए सारी सुरक्षा व्यवस्था देखते है।* इसी तरह से स्कूल कॉलेज के अध्यापक और सरकारी कर्मचारी भी चुनाव बूथ निरीक्षक या चुनाव कर्मचारी के पदों पर कार्य करते है।इसी तरह से SDM अपना काम अपने नीचे के पदों पर कार्यरत लोगों को देता है तब जाकर एक चुनाव पूर्ण होता है।* *बात सिर्फ इतनी सी है जैसे एक अध्यापक अपने स्टूडेंट्स को पढ़ाता है तब तक वो उन्हें वो सारा कुछ बताता है जो उन्हें नहीं आता या जो पूछते है।उसी बीच उसी अध्यापक का ड्यूटी एग्जाम कराते समय हो तो वो अध्यापक ना होकर एक एग्जाम कराने और कक्ष निरीक्षक के रूप मे होता तब क्या वो स्टूडेंट को एग्जाम के लिए मदद करेगा क्या? सेम ऐसा प्रोसेस चुनाव के दौरान भी होता है और सबका रोल बदल जाता है जिसे जो काम दिया जाता है तब वो वही हो जाते है उसके बाद चुनाव

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए