आज फ़िक्र-ओ-गम से कोशो दूर हूँ मै ,
आज आदतन ही कोई सताने आये मुझे
बाते ला-जवाब तो और भी होती रहेंगी ,
वो मेरी ही कोई बात को बताने आये मुझे
देखिये तो आदमी अब करेगा क्या,
बैठा है वो बस, की, अब बनेगा क्या |
जिसकी हर फरियाद अनसुनी हो गयी
वो शिकायत किसी से,फिर करेगा क्या |
खुशियों की बरसात हो और भीग जाए तन-बदन ,
सपना ही यूँ हकीकत से रु-बू-रु कराएगा कोई |
अब मै भी रद्दी का सामान लेकर निकालूँगा घर से .
मुझे जौहरी की तलाश है या लुटेरो का डर कहिये |
वो यूँ छुपा कर रखता है अपने हर कीमती सामान को ,
कोई पेशेवर चोर भी चुराने आये तो धोखा खा जाए |
ऑर फिर कोई जौहरी भी क्या खंगालेगा इस कूड़े से ,
लाख खोजने पर भी सामने उसके कूड़ा ही कूड़ा आये |
जाने किस किस पर कयामत गिराएगी उनकी अदाए
आज वो जुल्फों को झटकाकर निकले है घर से |