shabd-logo

तुकबन्दी

9 सितम्बर 2022

8 बार देखा गया 8

आज फ़िक्र-ओ-गम से कोशो दूर हूँ मै ,
आज आदतन ही कोई सताने आये मुझे
बाते ला-जवाब तो और भी होती रहेंगी ,
वो मेरी ही कोई बात को बताने आये मुझे


देखिये तो आदमी अब करेगा क्या,
बैठा है वो बस, की, अब बनेगा क्या |
जिसकी हर फरियाद अनसुनी हो गयी
वो शिकायत किसी से,फिर करेगा क्या |

खुशियों की बरसात हो और भीग जाए तन-बदन ,
सपना ही यूँ हकीकत से रु-बू-रु कराएगा कोई |

अब मै भी रद्दी का सामान लेकर निकालूँगा घर से .
मुझे जौहरी की तलाश है या लुटेरो का डर कहिये |

वो यूँ छुपा कर रखता है अपने हर कीमती सामान को ,
कोई पेशेवर चोर भी चुराने आये तो धोखा खा जाए |
ऑर फिर कोई जौहरी भी क्या खंगालेगा इस कूड़े से ,
लाख खोजने पर भी सामने उसके कूड़ा ही कूड़ा आये |

जाने किस किस पर कयामत गिराएगी उनकी अदाए
आज वो जुल्फों को झटकाकर निकले है घर से | 

गुलजार सिंह की अन्य किताबें

1

प्रत्येक ग्राम सभा ई-सभा हो

20 मार्च 2022
0
0
0

प्रत्येक गांव की ग्राम सभा को ई ग्राम सभा के माध्यम से करवाना जरूरी हो जिसमे ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों की भागीदारी व ग्राम पंचायत के सभी सदस्यों की उपस्थिति जरुरी हो। जिसकी शुरुवात वर्तमान सरकार ने क

2

तुकबन्दी

9 सितम्बर 2022
0
0
0

आज फ़िक्र-ओ-गम से कोशो दूर हूँ मै , आज आदतन ही कोई सताने आये मुझे बाते ला-जवाब तो और भी होती रहेंगी , वो मेरी ही कोई बात को बताने आये मुझे देखिये तो आदमी अब करेगा क्या, बैठा है वो बस, की, अब

3

पार्टी के नाम से

9 सितम्बर 2022
0
0
0

पार्टी के नाम से, चंदा खाते है आराम से, ऐसे लोग है हर गांव मे। सभी वोट बेचते है, हर एससी बीसी की अपने मजे और खूब चाव में। बदल डालो इन लोगो को , बहुत छकाया इन सबने भोले लोगो को, ये थुक कर चाटते है

4

प्रदूषण घटाओ प्रदूषण घटाओ

9 सितम्बर 2022
0
0
0

जन जन तक यह बात पहुचाओ  प्रदूषण घटाओ प्रदूषण घटाओ  आजादी के बाद आई एक बीमारी  वो है प्रदूषण की महामारी  प्रदूषण से हुआ मौत का विकास  हो गयी जनसंख्या घटने की कुछ आश  प्रदूषण से बचना है तो यही ए

5

भूख

9 सितम्बर 2022
0
0
0

होता अगर ऐसा कुछ कब्र क्यों बनाते लोग घर बार अपना छोड़ कर वो क्यों लेते जोग। एक दिन एक ढोंगी मिला जो रचाये बैठा ढोंग कहता मानव से बढ़कर कीमत कुछ ना होत तुमने तो सीखा होगा जीने का हर ढंग चाहत, प

6

इरशाद बहूत है |

9 सितम्बर 2022
0
0
0

ख्वाहिसे-दिल  बस इतनी है मेरी सुनने वालो से , इस ग़ज़ल पर उनका धीरे से इरशाद बहूत है | उनकी उसूले-मोहबत्त पर किताब बहूत है , इजहारे मोहबत्त में निगाहों का हिसाब बहूत है | आज जो भी दूर है तुझसे मुस

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए