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त्यौहार

23 अक्टूबर 2022

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*HAPPY DIWALI FRIENDS*


©️  Abhishek jain 

IG Ajain_words


त्यौहार ( दिवाली )


जगमग तारों की रोशनी तले

 कुछ ख्वाबों के दीए जलाए हैं 


अतीत की कुछ घटनाओं के लिए 

हमने खुशियों के दिन मनाए हैं


 बुराई पर अच्छाई की जीत का 

आज फिर जश्न मनाए हैं


 पर हकीकत से अनजान 

हम खुद के भीतर बुराई छुपाए हैं


 मिठाइयों, पटाखों और नए कपड़ों से

 फिर सजावटी सामानों से आज बाहरी आवरण संवारा है 


भीतर पल रहे अधूरे काले मन से 

अनेक उम्मीदों को फिर जगाया है 


दुआ करते हैं देवी देवताओं से 

कि बाहरी आवरण जैसे जगमग हुए 


वैसे ही हमारे मन का भी 

आज वो पाप हरे


 देते हैं शुभकामनाएं सभी को

 इस त्यौहार के पावन दिन पर 


और प्रणाम करता हूं मैं  हाथ जोड़कर 

 कि आपका आशीर्वाद मुझ पर बनाए रखें ।

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रचनाएँ
ख्वाबों की दुनिया
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कुछ ख़्वाब या कुछ उम्मीद जो शब्दों में आजकर हकीकत में होने का आभास करवा रही है । कुछ कविताओं के संकलन अनेक पहलुओं से जो मिलवा रही है ।
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अफसाना

2 मई 2022
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अफसानाअफसाना बनाकर मेरे ख्यालो कावो हर रात महफ़िल सजाते रहे दोस्तो के बीच ऊँचाई दिखाने के लिये हमारे ख्यालों को गिराते रहें ।कहते हर जज्बात थे उनसे हमजिनका वो अफसाना बना

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माँ

8 मई 2022
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बिना दिखाई दिए भी हर जगह दिखाई देती है वो..बिना बताए भी हर हाल जान लेती है वो..कुछ तो बात है उनकी इबादत में कि..बिन मांगे भी हर दुआ कबूल कर देती है वो..खुद रोकर भी मुझे ख़ुशी द

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अजीब बात है ना

4 जुलाई 2022
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अजीब बात है ना..... एक वक्त था जब तुम्हे देखने के ख्याल से ही दिल मचल उठता था  और अब तुम्हे देखकर भी लब खामोश हो जाते है । मैं चाहूं तो भी समझा नही पाता कितने भी पिरों लूँ लफ्ज़  बयां कर

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रेतीला अरमान

4 जुलाई 2022
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Name Abhishek jain Insta @ajain_words रेतीला अरमान अरमानों की तर्ज पर  एक घर हमनें भी बनाया है  पसीनों की बूंद को, रेत में मिला एक रेतीला ख्वाब सजाया है  विशाल समंदर किनारे ढलती शाम

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शांति

19 जुलाई 2022
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बहती पानी की धारा, जब सिर को भिगोती है । दूर कहीं पहाड़ों पर, जब एकांत में आंखे बंद होती है । पक्षियों की चहचहाट के बीच पानी की गिरती कल कल की आवाज़, जब मन को शांत कर देती है । दुनिया की फिक्र से

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त्यौहार

23 अक्टूबर 2022
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गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 2023
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वर्षो की गुलामी से भय मुक्त हुए एक समान बनने को हम तैयार हुए रखकर अपने कदम वैश्विक हर पहलू पर देखो हम लोकतंत्र के रूप में प्रतिष्ठित हुए 395 अनुच्छेद 12 अनुसूची और 25 भाग में विभाजित होकर विश्व क

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साथ

19 मई 2024
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निस्वार्थ की गई दोस्तीमें हक मांगे नही जातेयदि निभा रहा कोई एक पूरी शिद्दत से अपना फर्जतो उसकी खशी को अपने स्वार्थ सेछुपा नही सकते ये मसला है चंद लमहा काइसे सालो तक खींचा नही करतेयदि रखता है

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