वर्षो की गुलामी से भय मुक्त हुए
एक समान बनने को हम तैयार हुए
रखकर अपने कदम वैश्विक हर पहलू पर
देखो हम लोकतंत्र के रूप में प्रतिष्ठित हुए
395 अनुच्छेद 12 अनुसूची और 25 भाग में
विभाजित होकर विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान बना
संप्रभुता संपन्न, समाजवादी ,पंथनिरपेक्षता की सोच के साथ
देखो भारत हमारा लोकतांत्रिक गणराज्य बना
फिर दे मूल अधिकार भारतीय जनता को
कुछ कर्तव्यों के निर्वहन हेतु आह्वान किया
या बनाने कुछ को अपना सर्वे सर्वा नेता
स्वयं को चुनने का फिर अवसर दिया
खुशहाल जीवन की आस में
संविधान को हमने आत्मस्वरूप दिया
पर जब देखा करीब से हमने इसे
राजनीति के हाथों में खुद को गुलाम किया
तोड़ डाली जब बेड़ियां सब हमने
तो क्यों सिर्फ नासूर अतीत को हमने याद किया
वर्तमान में फैला कुछ कमियों को फिर से
भविष्य पर हमने यू प्रहार किया
खोखला किया संविधान को स्वार्थ से
संशोधन किया फिर तरक्की के नाम पर
और अब खरीद पत्रकारिता को हमने
संविधान को शायद यूं शर्मसार किया
लौटा है फिर से गणतंत्र दिवस
चलो इस बार भी कुछ क्रांति करते हैं
चंद स्वार्थी फैसलों के लिए बनाए जो नियम
उन्हें सही कर संविधान को पुनर्जीवित करते हैं
न्यायपालिका को फिर से मजबूती देते हैं
कार्यपालिका को अब फूटनीति से मुक्त करते हैं
और दिखाते हैं लोकतंत्र की शक्ति को
कर खुशहाल सबका जीवन फिर
हम शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं
कोशिश करते हैं मिटा सके हम भ्रष्टाचार को
धर्म ,जाति कर्म आदि के भेदभाव को
प्रयोग कर फिर से मूल अधिकारों का
देश को हम चमन करते हैं
गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में हम भी
वर्तमान के क्रांतिकारी बनते हैं
और बदल देते हैं नासूर बनते उसूलों को
स्वर्णिम संविधान की कुछ ऐसे ताजा करते हैं
74 वे गणतंत्र दिवस पर चलो
सोने की चिड़िया को हम
हीरो से सजाने की कसम खाते हैं
भारतीय जनता ही इसकी ताकत
चलो फिर छोटी मोटी कमियों को हम दूर करते है ।
जय हिंद
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