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अफसाना

2 मई 2022

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अफसाना

अफसाना बनाकर मेरे ख्यालो का
वो हर रात महफ़िल सजाते रहे

    दोस्तो के बीच  ऊँचाई दिखाने के लिये
    हमारे ख्यालों को गिराते रहें ।

कहते हर जज्बात थे उनसे हम
जिनका वो अफसाना बनाते रहे

      बेगानों के बीच वो खिलखिलाकर
       हमारा मजाक बनाते रहे ।

वक़्त नामुरादी से हमे 
खामोश करता गया

       बेजुबान कर फिर हमें 
       वो किसी का ठहाका बनाता गया

 वो अफसाना अक्सर याद आता है
 जब महफ़िल में  बेगानों की हमे
 अपनो द्वारा बिजूका बनाया गया है।
       
       सहते रहते थे हम  उस पल 
      की शायद गलत को अपना बना बैठे है

जिसे कीमत नही हमारी एहसासों की
उससे ही दिल का फसाना लगा बैठे है ।

       शायद एक दिन उसे भी मेरा 
       बेजुबान होना नजर आएगा

वो महफ़िल के अफसाने में
खुद को जलील होता पायेगा

       वक़्त के दस्तूर में एक ऐसा भी पल आयेगा
        ठहाको के बीच एक दिन वो भी हँसी का बहाना बन जायेगा ।

 शायद उस पल ये फसाना कुछ कर जायेगा
 हमे उनका तो उन्हें हमारे नाम कर जायेगा ।

abhishek jain
IG @ajain_words

Abhishek jain
IG @ajain_words.
Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर रचना आप भी मेरी रचनाएं पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10085785

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