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अधूरे अल्फ़ाज़

ABHISHEK (Ajain_words)

13 अध्याय
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13 पाठक
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यह संकलन सिर्फ़ शब्दों का नहीं बल्कि उन सभी एहसासों का है, जो शब्दो से सजकर भी अनछुए या अनकहे रह जाते है। एहसास बहुत सुनहरे होते है, एक ही एहसास किसी को ख़ुशी तो किसी को ग़म दे जाता है।एहसासों की दुनिया पूरे होने की दहलीज़ पर खड़ी रहती हैं, जो किसी के लिए पूरे तो सामने वाले के लिए अधूरे रह जाते है। 

adhure alfaaz

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पुस्तक के भाग

1

प्रतीक्षा

13 सितम्बर 2021
2
6
0

<div><span style="font-size: 16px;">अजनबियों से भरी दुनिया थी</span></div><div><span style="font-siz

2

वक़्त की गाँठ

13 सितम्बर 2021
1
7
0

<div><span style="font-size: 16px;">इन रिश्तों को जरा थाम लो</span></div><div><span style="font-size

3

Quote

14 सितम्बर 2021
3
10
2

<div><span style="font-size: 16px;">लम्हा अब शराफत में गुजरने लगा है</span></div><div><span style="f

4

शराफत

16 सितम्बर 2021
3
3
0

<div><span style="font-size: 16px;">लोगो से कहो ए दोस्तो</span></div><div><span style="font-size: 16

5

उलझन

19 सितम्बर 2021
2
2
0

<div><span style="font-size: 16px;">कभी कभी लम्हो को छुपाने के लिए</span></div><div><span style="fon

6

मेहरबानी

12 अक्टूबर 2021
1
0
0

<div><span style="font-size: 16px;">जज्बातो से परे जज्बातो को लेकर</span></div><div><span style="fon

7

सफलता

14 अक्टूबर 2021
2
1
0

<div><span style="font-size: 16px;">सफलता</span></div><div><span style="font-size: 16px;"><br></span

8

हम तुम

21 अक्टूबर 2021
0
0
0

<div><span style="font-size: 16px;">चलो अब कुछ काम कर लेते है</span></div><div><span style="font-siz

9

अधुरापन

21 अक्टूबर 2021
0
0
0

<div><span style="font-size: 16px;">आखिर क्या है ये अधुरापन</span></div><div><span style="font-size:

10

हम तुम

25 अक्टूबर 2021
2
0
0

<div><span style="font-size: 16px;">चलो अब कुछ काम कर लेते है</span></div><div><span style="font-siz

11

अपनापन

15 नवम्बर 2021
0
2
0

<div><span style="font-size: 16px;">मतलबियों को दुनिया मे </span></div><div><span style="font-s

12

छलावा

4 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div><span style="font-size: 16px;">हम जिसे मोहब्बत समझ रहे थे</span></div><div><span style="font-si

13

सिसक

20 जनवरी 2023
0
1
0

नैनो की वो मझधार  जो रुक भी ना सकी और रो भी ना सकी इजहार तेरे इश्क का  तुझसे जुदा होते वक्त कर भी न सकी सिसक कर रह गई तब मेरी हर एक सांस जब तेरी झुकती पलकें भी  उन जाते लम्हे को थाम ना स

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