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यू आर माय लाइफ

6 सितम्बर 2021

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आज कपूर निवास का हर एक -एक कोना लाइटिंग से सजाया हुआ है जो बिल्कुल किसी नई- नवेली दुल्हन कि तरह लग रही है जो भी इस निवास को आज देखता!!उसकी नजरे ही टिक जाती और वह तारीफ किए बगैर रह ही नहीं पा रहा था। और  हो भी क्यूं ना  भई हमारे कपूर परिवार के सबसे बड़े बेटे.....यानी ‘मानव कपूर की आज शादी जो है’ उसके पिता महेश कपूर  खुद ही सारी तैयारियों को देख रहे थे। भाईसाहब इसको ऐसा कीजिए, उसको वैसा कीजिए!इसे यहां लगाइए! थोड़ा सा इधर वगैरह वगैरह..... मानव के बड़े पापा बृजेश मेहमानों का स्वागत कर रहे हैं। अरे, वर्मा साहब, मिस्टर दीक्षित

आइए....आइए....कहते हुए सबका आहुभगत में लगे हैं।

क्या कपूर साहब आप अभी तक  यहां क्या कर रहे हैं ,आप प्लीज अब  यह सब काम  छोड़िए और जाकर तैयार हो जाइए!यह बाकी सब काम हम देख लेंगे फिलहाल तो  आप अभी  जाकर तैयार हो जाइए याद है ना थोड़ी देर के बाद ही यहां से बारात निकलने वाली है  वो भी आपके बड़े बेटे की इसलिए आप और बृजेश  भाईसाहब दोनो ही  जल्दी से तैयार हो जाइए,वरना बाद में वहां पता चले कि....दूल्हे के पिता आए ही नही।  जाइए....जाइए....कहकर सुप्रिया ने महेश को अंदर भेजा । जाते हुए महेश ने बृजेश को देखा जो मेहमानो से बात कर रहे थे उसने कहा।" - बृजेश भईया चलिए आप भी तैयार हो जाइए समय हो रहा है जाने का। ‘ तुम चलो मै बस अभी आता हूं ।मेहमानों के आवभगत में लगे बृजेश ने कहा तो महेश अंदर चला गया। सारा घर मेहमानों से भरा पड़ा था सबके चेहरों पर खुशियां साफ झलक रही है।पंछी, नरेन,साक्षी तैयार होकर इधर से उधर चक्कर लगा रही थी।

मानव अपने कमरे में क्रीम कलर के सेरवानी पहने दूल्हा बनकर बार - बार आइने में खुद को निहार रहा था।और वह अब बिल्कुल  तैयार हो चुका है अपनी दुल्हनिया को ले आने के लिए । वाव... भाई  कतई जहर लग रहे हो आप देखना भाभी तो पागल ही हो जाएंगी कसम से। मानव के कमरे में आते हुए राज ने कहा। "मानव खुद को आइने मे देखते हुए बोला ।" - क्या यार तूम कुछ भी बोल रहे हो,वैसे.... क्या तुम  सच बोल रहे हो,मै सच में अच्छा तो लग रहा हूं ना???  राज बिल्कुल सच बोल रहा है। ‘मानव सच में आज तुम बहुत अच्छे लग रहे हो कहीं किसी की  नज़र ना मेरे को बेटे को - हाथों में सेहरा और साफा लिए उसके पास आती सुप्रिया ने कहा और अपने आंखो के कोने से काजल निकाल मानव के कान के पीछे लगा दिया। तुम बैठो मै तुम्हे सेहरा पहना देती हूं।उसके बाद निकलेंगे। जी मम्मी कहते हुए मानव बेड पर  बैठ गया।

महेश ने नीचे से आवाज दिया - अरे , सुप्रिया हमारे दूल्हे राजा तैयार हुए की नहीं ? जल्दी कीजिए भई!! समय हो गया,वरना मुहूर्त का समय निकल जाएगा। बस हो गया पापा,हमारे  दूल्हे राजा अब बिल्कुल तैयार है!! सेहरा पहनाते हुए राज ने महेश को जवाब दिया। हां, अब बिल्कुल  तैयार हैं मेरे भैया, भाभी को लाने के लिए है ना मम्मा...

हम्म... बिल्कुल,  अब चलो तुम दोनो भी मैं जा रही हूं कहते हुए सुप्रिया बाहर निकली। उसके पीछे पीछे ही मानव और राज भी कमरे से बाहर निकले ।  नीचे हॉल से लगे एक मंदिर था जिसमे  आकर सबने भगवान के सामने हाथ जोड़े और  अच्छे से वहां पहुंचने और अच्छे से सादी हो जाने की प्रार्थनाएं की उनका आशीर्वाद लेकर सभी  घर के बाहर जहां गाड़ी लगी हुई थी । सभी गाड़ी में जाकर बैठ गए और बारात वहां से रवाना हो गई रामगढ़ से कोलेबिरा कि ओर........लगभग,,, पांच  घंटे! काफी लंबे रास्ते तय करने बाद बाराती पहुंच  गई । कोलेबिरा  के गलियों में जहां राजीव माथुर साहब का घर भी जगमगा रहा था उनकी बड़ी से छोटी वाली बेटी स्नेहा माथुर और मानव कपूर आज शादी के पवित्र बंधन में बंधने वाले हैं। सारी गाड़ियां एक एक कर  आकर  माथुर के घर के बाहर रूकी....

स्नेहा को उसकी सहेलियां तैयार कर रही थी रेड कलर का भारी - भरकम लहंगा, जिसमे बहुत सुंदर ढंग से कढ़ाई की हुई है , गले में बड़े बड़े खूबसूरत  मोतियों का आभूषण मांग में मांगटीका पहने स्नेहा दुल्हन बनकर तैयार है और बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही है , मानव जीजाजी तो आज देखते ही रह जाएंगे तुम्हे सनेहा। उसकी एक  सहेली ने कहा तो स्नेहा मुस्कुरा दी।  बारातियों के आते ही खिड़की से झांक रही तान्या ने कहा।" - अरे लो! स्नेहा तुम्हारा दूल्हा आ गया ।

एक तरफ से राज उतरा वह भी आज पिंक सेरवानी में कतई जहर लग रहा था।  उसे देखते ही स्नेहा की सहेलियां आंहे भरते हुए बोली - हाय,,,, स्नेहा कितना हैंडसम हैं यार जीजाजी । उन सबकी बातें सुनकर स्नेहा भी खिड़की के पास आकर देखने लगी और हंसते हुए बोली - ये वो नहीं   हैं!!!

तान्या - ये वो,, नहीं हैं मतलब??? यही तो दूल्हे की तरह लग रहे है और दूल्हे वाली गाड़ी से उतरे भी फिर??

स्नेहा - ये उनके छोटे भाई और मेरे होने वाले देवर हैं राज कपूर.....

यार स्नेहा तेरा ये देवर इतना हैंडसम लग रहा है ना,

मेरा तो दिल ही आ गया। तू इससे मेरी सेटिंग करवा दे ना!!! प्लीज.…. तान्या ने कहा तो सब हंसने लगे स्नेहा बड़ी इतराते हुए बोली - सोचूंगी लेकिन बाद में आखिर मेरे देवर जी की ज़िन्दगी है

ऐसे कैसे करवा दूंगी उन्हे भी तो लड़की पसंद होनी चाहिए। तभी गाड़ी के  दूसरी तरफ से सिर पर सेहरा बांधे मानव उतरा उसने अपनी नज़रें इधर - उधर उठाई तो उपर स्नेहा के कमरे की खिड़की के  पास काफी सारी लड़कियां दिखी पर वो तो नजर ही नहीं आई जिसे वह ढूंढ रहा था क्यूंकि तब तक स्नेहा पीछे मुड़ चुकी थी ।

तान्या - अरे देखो! देखो!!  दूल्हे राजा को, आते ही कैसे उतावले हो रहे है। दुल्हन को देखने के लिए।

हा,,,, हा,,,,,, हा,,,,,,,

नीचे काफी इज्जत के साथ बारातियों का स्वागत हुआ स्नेहा की मम्मी सुजाता ने सबसे पहले दूल्हे कि आरती उतारी , तिलक, फिर अक्षत लगाया और फिर अंदर ले आए। फिर मानव को ले जाकर स्टेज पर बैठा दिया गया! पंडित जी ने कहा।"- यजमान दुल्हन को बुलाइए सादी का मुहूर्त हो रहा है

" जी पंडित जी?? " - कहकर सुजाता जी अपनी बेटी को यानी दुल्हन को लाने चली गई।।।।

जैसे ही सुजाता स्नेहा के कमरे पहुंची । उससे देखकर सुजाता भावुक हो उठी उनकी आंखो मे  एक नमी तैर गई वो कहने लगी - आज हमारी बेटी कितनी प्यारी लग रही है इस दुल्हन के लिबास में ,

भगवान ने  क्यों ऐसे नियम बनाए हैं बेटियों के लिए!!

किसी फूल की तरह होते हैं बेटियां जो खिलते हैं किसी और के बगीचे में और महकाने चले जाते हैं दूसरे के आंगन को ।

सुजाता की बातें सुन स्नेहा के आंखो मे भी पानी आ गया और अपनी मां के गले लग गयी।

मम्मा.... स्नेहा ने अलग होते हुए कहा तो उसकी मम्मी बोली—" अरे हां  मै तो भूल ही गई  वो मै तुम्हे बुलाने आई थी पंडित जी  ने कहा है मुहूर्त का समय हो रहा  है चल!!सभी नीचे दुल्हन के आने का ही वेट कर रहे हैं।
उसकी चुनरी ठीक करते हुए सुजाता ने कहा और ले जाने लगी एक तरफ सुजाता और दूसरी तरफ स्नेहा की सहेलियां साथ - साथ चल रही थी।।।



जैसे ही वो लोग सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे सबकी नज़रे दुल्हन को देखने लगी । अरे भई! अब वो दुल्हन है तो शादी के दिन सबकी नज़रे तो उन्ही पर होना चाहिए ना!!!

मानव की नजर तो जैसे स्नेहा पर ही ठहर सी गयी।

उसके पास ही खड़ा राज ने कहा - भईया संभल कर कहीं आप बेहोश न हो जाओ। भाभी तो सच मे बहुत ही ज्यादा प्यारी खूबसूरत और आपसे ज्यादा जहर लग रही है।।। आपको हार्ट अटैक ना आ जाए।।

मानव - हम्मम......! ज्यादा न बकवास न किया कर तू??

सुजाता ने स्नेहा को लाकर मानव के बगल में ही खड़ा कर दिया। फिर दोनो का वरमाला हुआ।।।

उसके कुछ देर बाद दोनो को मंडप में बिठाया गया!!!  एक एक कर शादी की सारी रस्में किए गए

दोनो ने अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए। साथ निभाने को वचन दिया । मांग में सिंदूर भरा , मंगलसूत्र पहनाया और इसी के साथ विवाह संपन्न हुआ अब से स्नेहा मानव की हुई। मिसेज मानव कपूर....

दोनो ने सभी बड़े जनों से आशीर्वाद लिया। कुछ देर के लिए स्नेहा को कमरे में लाया गया वहां स्नेहा ने थोड़ी देर बैठकर आराम किया और उसके बाद अब बारी आई बिदाई की.....

अब समय आया विदाई का सबकी आंखें नम थी यह सबसे मुश्किल वक्त होता है एक माता - पिता और बेटियों के लिए। सुजाता और राजीव  के गले लगकर स्नेहा खूब रोई!!!

उसके पिता ने खुद को संभालते हुए अपनी बेटी का हाथ मानव के हाथो मे देकर  बोले - बेटा आज से मै अपनी बेटी तुम्हारे हवाले कर रहा हूं इसका ख्याल रखना और हाथ जोड़ते हुए महेश और सुप्रिया से कहने लगे। - “ अगर मेरी बेटी कोई गलती करे तो कृपया नादान समझकर उसके गलतियों को माफ कीजिएगा।।

महेश - अरे समधी जी! अब ये सिर्फ आपकी नहीं हमारी भी बेटी है। आप फिक्र मत कीजिए स्नेहा हमारे घर बिल्कुल खुश रहेगी क्यूं सुप्रिया।

सुप्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा - जी बिल्कुल । ये भी कोई कहने की बात है। अब आप निश्चिंत होकर अपनी बेटी को विदा कीजिए।

राज ने भी कहा। - ' हा अंकल आप बेफिक्र हो जाइए हम अपनी भाभी का पूरा मनोरंजन करेंगे , और उनका ख्याल भी रखेंगे वहां क्यों है ना, साक्षी????

साक्षी - बिल्कुल राज भैया । अफ्टरऑल मेरी बड़ी भाभी है कहकर हंसने लगी।।

सुजाता, राजीव ने महेश और उसके परिवार को  धन्यवाद कहकर स्नेहा को गाड़ी में बिठाया और दरवाजा बंद कर दिया। रोते हुए उन्होंने अपनी बेटी को विदा किया । और वहां से बाराती दुल्हन लेकर वापस कपूर निवास के लिए निकल पड़ी।

आने में भी लगभग उतना ही समय लगा जितना जाते वक्त लगा था....

मानव की बुआ घर में ही थी तो उन्होंने बहू के गृहप्रवेश कि सारी तैयारी पहले से ही की हुई थी ।।

गृहप्रवेश हुआ और उसके बाद की भी  बाकी रस्में भी पूरी हुई। और स्नेहा को ले जाकर मानव के रूम मे बिठा दिया गया।

साक्षी - लो! भाभी आ गया मानव भैया का कमरा जो कि अब से आप दोनो का है । ठीक है अब हम चलते हैं कहकर वह वहां से बाहर निकल गई।

दूसरे दिन बहू की पहली रसोई थी। सबने स्नेहा का बनाया खाना खाया और खूब तारीफ भी की और साथ - साथ सबने उसे तौफा दिया ।

माधवी  ने उसे एक लिफाफा देते हुए कहा।- 'बेटा....  और ये है हमारी तरफ से , तुम दोनो के लिए। उसको खोलकर उसने देखा तो  शिमला का टिकट था ।

स्नेहा - लेकिन बड़ी मां इसकी क्या जरूरत थी??

मानव - हां बड़ी मम्मी... ऑफिस में भी बहुत काम है अभी??

बृजेश - अरे बेटा ऐसे कैसे जरूरत नहीं है!!! अभी कुछ दिन बाहर घूमो फिरो । काम का क्या है वो तो होते रहेंगे....बाद में जीवन भर काम ही तो करना है

लेकिन.....  इसके बाद मानव कुछ कहता बृजेश ने कहा लेकिन, अगर ,किन्तु , परन्तु कुछ नहीं अब बस जाने की तैयारी करो समझे????

महेश - हा बेटा बृजेश भैया बिल्कुल ठीक कह रहे हैं ।

अब इससे आगे दोनो ने कुछ नहीं कहा।

और अगले दिन दोनो निकल गए शिमला......

नमस्ते जानकी आंटी,नमस्ते अंकल कैसे है आप सब। जागृति ने उनका हाल - चाल पूछा??

मनोज  - हम सब तो ठीक है बेटा तुम बताओ कैसी हो? और आज अचानक से अंकल की याद कैसे आ गई। वरना तो तुम भूल ही गई हमें ?

जागृति - अरे नहीं अंकल ऐसे बात नहीं है! दरअसल अगले महीने से हमारी एग्जाम है ना तो बस उसी की तैयारी में लगे हुए हैं।

मनोज - अच्छा....

वैसे आंटी ,अंजली कहां है??? कॉलेज भी नहीं आई दो दिन से और ना ही मेरा फोन रिसीव कर रही है??

जानकी - अपने कमरे में ही होगी बेटा । जाओ खुद ही देख लो।

“ठीक है आंटी मै खुद ही मिल लेती हुं उससे कहते हुए वह अंजली के कमरे की तरफ गई" अंदर जाकर देखा तो वह हैरानी से देखने लगी अंजली बेड पर लेटी हुई है। जागृति दौड़कर उसके पास पहुंची और कहा - अंजली  तू ठीक है ना , क्या हुआ तुझे??

वह परेशान होते हुए बोली...

अंजली - अरे जागृति तू,, तुम, तुम कब आई वह उठते हुए बोली तो जागृति ने कहा - मेरी तू रहने दे अपनी बता क्या हुआ तुझे??

उसने उसके माथे को छुआ तो उसे बुखार था वह कहने लगी:- अंजली लगता है तुम मुझे बिल्कुल भी अपना दोस्त नहीं मानती हो??अगर दोस्त समझती तो इतनी बड़ी बात तू मुझे जरूर बताती लेकिन नहीं मै तो तेरे लिए कुछ हूं ही नहीं।

अंजली - जागृति तुम ये क्या बोल रही हो , तुम्हे मै अपनी दोस्त ही नहीं बल्कि अपनी बहन भी मानती हूं।

जागृति - अच्छा...अगर इतना ही बहन मानती है तो फिर तुमने मुझे बताया क्यों नहीं की तुझे बुखार है?? बताना तो बहुत दूर की बात तुम तो मेरे फोन तक रिसीव नहीं कर रही हो?? क्यों???

अंजली ने कहा - अरे बस थोड़ी सी  बुखार ही तो है। ठीक हो जाएगी , और तू परेशान ना हो, अपनी पढ़ाई पर अच्छे से ध्यान दे सके। इसीलिए मैंने तुम्हे नहीं  बताया । जागृति ने कहा - ओह,,, अच्छा...अच्छा... एक तो बहन कहती हो, उपर से परेशान हो जाऊंगी ये सोचकर  बताती भी नहीं । तो फिर तू ही बता  ऐसे दोस्त होने का और बहन होने का क्या मतलब हुआ। वह रुआंसी होकर बोली —"देख अंजली इस बार माफ कर रही हूं लेकिन आइंदा , मुझसे कुछ भी छुपाया ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझी?????

इतना कहकर उसने अंजली को गले लगा लिया

अंजली बच्चो की तरह बोली - हम्मम.... समझ गई। अब ऐचा कभी.... नहीं करूंगी। पक्का

जागृति - हम्मम...... इसी मे तुम्हारी भलाई है। तुम्हे पता है मै कितनी परेशान हो गई थी। तुम जल्दी से ठीक हो जाओ और कॉलेज आओ मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता तुम्हारे बिना????

"ठीक है मैं अब चलती हूं। तुम अपना ख्याल रखना ओके" कहकर उसने अंजली के चेहरे पर हाथ फेरकर बाय कहा और बाहर निकल आई।

अच्छा अंकल अब चलती हूं....

मनोज - मिल ली अंजली से???

"जी" -  इतना कहकर वो वहां से कॉलेज चली गई।

इधर महेश और बृजेश ऑफिस जाने के लिए निकल रहे हैं।

बृजेश - महेश वो,,चड्डा वाले प्रोजेक्ट का क्या हुआ??

महेश - बस भैया काम शुरू हो गया है उसपर। जल्द ही कंपलीट हो जाएगा।

उनके ऑफिस जाने के बाद......

'मां, मै बाहर जा रहा हूं ' - राज ने कहा।

सुप्रिया  - बाहर जा रहा है, लेकिन कहां????

राज -  मां, वो मेरा दोस्त है ना,,,,!!! साहिल वो आज विदेश से वापस आ रहा है और इसी खुशी में सभी दोस्तों को पार्टी दिया है । और हां,,,,,! आते समय शायद, काफी लेट हो जाऊं। इसलिए आप इंतजार मत करना , ठीक है।





वो तो ठीक है लेकिन तुमने अपने पापा को बताया???वरना वो मुझसे पूछेंगे?

अरे मां उन्हे नहीं बताया है इसीलिए तो आपको बता रहा हूं। " :-  राज ने कहा तो सुप्रिया ने ठीक है , लेकिन जल्दी आने की कोशिश करना।

ठीक है मम्मी.... बाय,, बाय बड़ी मोम - कहकर चला गया।।।।।।

उधर एयरपोर्ट मे एयरोप्लेन लैंड हुआ उसमे से एक लड़का निकला 6 फुट लंबा कद और देखने में भी बिल्कुल राज के जैसा , हां थोड़ा सा कम है उससे लेकिन वो भी स्मार्ट ही है।

राज - हे,,,, साहिल! कैसा है ब्रो?? मै कब से खड़ा यहां तेरा इंतजार कर रहा हूं कहकर उसके पास जाकर जोर से दोनो गले लग गए।

साहिल - अरे ब्रो मै बता नहीं सकता तुझे यहां देखकर की मुझे कितनी खुशी हो रही है!सच मे अगर मै ठीक ना भी होता ना तो भी  तुझे देखकर अब  ठीक हो ही जाता।

दोनो हंसने लगे

दोनों गाड़ी में बैठकर निकल गए एयरपोर्ट से साहिल के घर के लिए  राज ड्राइविंग सीट पर ड्राइव कर रहा था और बगल में साहिल बैठा मुस्कुरा रहा था।

राज - क्या बात साहिल । यूं चुपके - चुपके मुस्कुराया जा रहा है, इसकी कोई खास वजह।

साहिल - हा भाई वजह तो खास है ही इतने सालों बाद वापस अपने शहर जो आ रहा हूं। ख़ुशी तो होगी ना,,,???

राज - हम्मम....

साहिल - वैसे तूने इस बार एमबीए फाइनल किया है ना,,,?

राज - हां एग्जाम तो दिया हूं। अब देखते हैं रीजल्ट कैसा होता है।

साहिल - ब्रो! रिजल्ट बहुत बढ़िया होगा , मुझे पता है तूने बहुत मेहनत की है। लेकिन उसके बाद क्या करने का सोचा है।

राज - देखूंगा....!!!

साहिल - ठीक है।

राज - तुम मानव भैया के शादी में क्यों नहीं आए??

बहुत मिस किया मैंने तुझे! पता भी जबसे तुम अब्रॉड गए थे ना , मेरा तो मन ही नहीं लगता था,ऐसा लगता था जैसे सबकुछ अभी अधूरा ही है।

साहिल - अच्छा.... ऐसा है क्या?? चल कोई बात नहीं! अब मै आ गया हूं ना तो मिलकर मस्ती करेंगे अभी भी। बूढ़े थोड़ी ना हुए हैं

राज - बिल्कुल.....

कहकर दोनो हंसने लगे। साहिल के घर पहुंचने से पहले ही एक मोड़ आता है वहां जैसे ही गाड़ी को टर्न किया एक स्कूटी से टक्कर हो गई...

स्कूटी से गिरी लड़की को ज्यादा चोट तो नहीं आई लेकिन खूब डांटने लगी। वो कोई और नहीं जागृति थी।

जागृति - तुम लोगो को दिखाई नहीं देता है क्या? इतनी बड़ी - बड़ी  आंखे है फिर भी, कहां ध्यान लगा के चला रहे थे।

साहिल तो बस आंखो से अपना  चश्मा निकाल उसे देखे जा रहा था और राज वो भी चुपचाप सुन रहा था। कुछ देर बाद साहिल ही बोला.....

साहिल - अरे,,, अरे,,, मिस दिव्या!प्लीज... हमें माफ कर दीजिए । वो दरअसल बात क्या है ना, मेरा ये जो दोस्त है उसे थोड़ा कम दिखाई देता है।

जागृति - वो सब तो ठीक है मिस्टर,,,!!! लेकिन आपने दिव्या किसे कहा?? देखिए मेरा नाम कोई दिव्या नहीं जागृति है और चूंकि आपके दोस्त ने मुझे टक्कर मारी है इसलिए आप मुझसे माफ़ी मांगीए। वरना मै शोर मचा कर लोगों को इकट्ठा कर दूंगी, फिर आप समझाते रहना उन्हे
समझ में आई बात???

राज - छोड़ यार साहिल फालतू मे ये लड़की हमारा और खुद का समय बर्बाद कर रही है। चल आजा बैठ निकलते हैं।

जागृति वहीं सामने पड़ी एक पत्थर को उठाई और कहा - ऐसे कैसे जाओगे मिस्टर. सराफत से कह रहे हैं सॉरी बोलिए। वरना हम गाड़ी का सीसा ही तोड़ देंगे।

साहिल ,राज के पास आकर उसकी बांह पकड़ कहने लगा - भाई, क्या कर रहे हो? सॉरी बोल दो ना, सॉरी बोलने से कौन सा आपका कुछ बिगड़ जाएगा? लेकिन अगर आपने माफी नहीं मांगी तो गाड़ी का सीसा जरूर टूटेगा। देखो कितना बड़ा पत्थर उठाई है।

राज - हां, बेटा सब समझ में आ रहा है मुझे। लड़की के सामने ना ज्यादा शरीफ मत बन समझा???

जागृति - बोल रहे हो या.....

साहिल - नहीं,,,, नहीं,,,,, रुको!   राज बोल दे ना या यार देख कितनी सुंदर लड़की है। पत्थर उठाए अच्छी नहीं लग रही, बेचारी का हाथ दुख रहा होगा। तू तो मेरा अच्छा दोस्त है ना , और अच्छा बच्चा भी, बाबू बोल दे ना सॉरी।

राज - ठीक है!   ठीक है! बोल रहा हूं तू ना  ज्यादा एक्टिंग मत किया कर समझा?? फिर उसने जागृति की तरफ मुड़कर कहा - देखिए! मिस जागृति जी प्लीज हमे माफ कर दीजिए , गलती से हो गया ये सब। आप प्लीज अब हमारे रास्ते से हटने का थोड़ा कष्ट कर देंगी तो बड़ी मेहरबानी होगी आपकी।


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