प्यार....
कहने और सुनने में बहुत अच्छा लगता है। पर क्या ये उतना अच्छा होता भी है ?? शायद नही !!!
जब कोई आपकी फिक्र करे, हर चीज़ में आपको आगे करे, हर वक़्त आपका ध्यान रखे, आपकी रक्षा करे तब तक तो ये प्यार बहुत खूबसूरत होता है और दिखाई देता है। पर जिस दिन ये रक्षा, ये फिक्र हद्द से ज़्यादा हो जाये न, उस दिन ये प्यार, प्यार नही सिर्फ एक बेड़ी बन कर रह जाता है। जब आपको उड़ने के लिए पर तो दिए जाएं पर रक्षा और फिक्र के नाम पर उन परो को एक प्यार के नाम के धागे से कोई बाँध दे, तब ये ज़िन्दगी बोझ बन जाती है। जब सपने देखने के लिए आपको नज़रे तो दी जाए पर उन्हें पूरा करते वक़्त आपको हकीकत और ख्वाबो के बीच अटका दिया जाए। तब ये ज़िन्दगी ये प्यार, महज़ एक घुटन के अलावा कुछ नही रहता है। और ऐसा नही है कि ये सब सिर्फ बॉयफ्रेंड गर्लफ्रैंड, या पति पत्नी, के बीच हो, बल्कि ये सब हर रिश्ते में होता है।
अब आप बताओ ऐसे प्यार को क्या कहा जाए ?? क्या ये सिर्फ प्यार बचता है ?? और फिर ऐसी स्तिथि में इंसान करे तो करे क्या, जब वह उन बेड़ियों को तोड़ भी नही सकता और उनके साथ रह भी नही सकता ???