यहां कहानी एक कुत्ते कि है जिसने अपने मालिक के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी पढ़िए पुरी कहानी... एक गांव था, जिस गांव का प्यारा सा नाम था "सुन्दर नगर" सुन्दर नगर में एक जमींदार रहता था जिसको अपने धन दौलत पर काफी नाज व घमंड था। उस जमींदार का नाम "विक्रम" था। एक दिन जमींदार विक्रम के पास एक "रूपेन्द्र" नाम के एक किसान कुछ पैसों के लिए अपने पालतू कुत्ते(कालू) के साथ गया था। उसने देखा कि जमींदार कुछ लोगों के साथ मिलकर गाव के सभी लोगो के जमीन हथियाने के बारे में बातचीत कर रहे थे। उसी बीच रुपेन्द्र जमींदार के बात सुन लेता है। और बाकी गांव वालों को बताने के लिए दौड़ने लगते हैं। उसी बीच जमींदार के गुंडे रुपेन्द्र को देख लेते हैं और उसे दौड़ाने लगते हैं। तभी कुत्ते जमींदार के लोगों से भीड़ जाता है। और रुपेन्द्र गांव वालों के बीच पहुंचकर जमीदार के सारे बातों का पर्दाफाश करता है। और कालू लड़ते लड़ते मर जाता है। जमीदार के लोगों द्वारा गोली मारी दी गई थी। कुत्ता इन्सान को बचाने के लिए अपने जान कुर्बान कर दी। (कालू वास्तव में वफादार था)