चमकूँगा मैं सूरज बन कर
कभी चाँद सा दिख जाऊँगा
याद करोगे जब भी मुझको
दिल की धड़कन बन जाऊंगा
पत्थर समझ न ठुकराना
मैं पारस भी हो सकता हूँ
तुम दिल का व्यापार करो
मैं जब चाहो मन जाऊंगा
शब्द नही हैं वाक्य नहीं है
तेरी उपमा के काबिल
रूप तुम्हारा कोरा कागज
बन स्याही घन छाऊंगा
बसे मेरे मन की आँखों में
और ठिकाना क्या होगा
प्रेम परीक्षा की छलनी में
छानो तो छन जाऊंगा
'वैभव'