Overthinking या जरूरत से ज्यादा सोचना बहुत बहुत और बहुत ज्यादा ही अच्छा होता है। ये सुनने मे अजीब लगा होगा। क्योंकि किसी ने जब भी इसके बारे मे सुना होगा तो यही सुना होगा कि ज्यादा सोचना मानसिक बीमारी का लक्षण होता है। लेकिन हमेशा ये मानसिक बीमारी का लक्षण नहीं होता। कभी कभी कोई मानसिक रोगी ज्यादा सोचने से ठीक भी हो जाते है। और एक सामान्य व्यक्ती की तरह सोचने लगते है। बस ध्यान ये देना है कि हम सोच क्या रहे है।
मैंने अब तक जितने भी सिद्ध पुरुष देखे है। सब overthinker ही है और सब बस एक ही नाम के बारे मे सोचते रहते है और वो होता है उनके इष्ट देव का नाम।
प्यार मे पड़ा लड़का या लड़की भी हमेशा ही अपने लवर के बारे मे सोचते है। जिससे उन्हें बहुत खुशी मिलती है। कभी कभी तो ये सोचना उन्हें इंसान बना देता है ।
भगवान बुद्ध भी overthinking की वज़ह से ही ग्यान प्राप्त कर पाए थे। मीरा के बारे मे हम सब जानते है। कृष्ण के बारे मे overthinking की वज़ह से hi वो कृष्ण से मिल पाई थी।
लोगों को ये तो पता है कि overthinking गलत है। और overthinking मे क्या क्या सोच रहे वो गलत है। पर सही क्या है वो ना किसी ने जानने की कोशिश की है ।ना कोई बताता है । लोग सीधे डॉक्टर के पास जाते है। जबकि इसे सही करने के और भी दूसरे तरीके होते है।
मैंने जब भी overthinking को गूगल किया है तो मुझे यही मिला कि overthinking एक मानसिक बीमारी है। लेकिन क्यों और कैसे? अगर ये मानसिक बीमारी है तो जो लोग हर waqt अपने किसी भगवान का नाम वो मानसिक रूप से इतने स्वस्थ और शांत क्यों होते है। जिस किसी ने भी ये जानने या समझने की कोशिश की है। आज वो भी मानसिक रूप से शांत और स्वस्थ है।