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आज वह घर आ रही थी पूरे 2 साल बाद , पूरी तरह ठीक होकर ,अपने पूरे होशो हवास में । धरा की बेचैनी शब्दों की मोहताज नहीं रह गई थी । वह उसके चेहरे और उसकी बातों से बरबस छलक पड़ती थी । "अज्जी ! वह मुझे कैसे
विधायक जी ने कहा - बेटी धरा ! आज मैं तुम्हारे आगे नतमस्तक हूं । भगवान सभी को ऐसी बेटी दें । मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूं और इसीलिए तुम्हारी मां का इलाज मैं करवाऊँगा । उसका पूरा खर्च भी मैं
इतने मे अज्जी खीर लेकर आई और सबको देते हुए बोली - आज हमारे घर में दो-दो खुशियां आई हैं तो यह रोना - धोना छोड़ कर सब मुंह मीठा करो । आज धरा की मां उसकी जिंदगी में लौट आई और धरा अनु
मनीष एक पढ़ा-लिखा, जोशीला, युवा किसान है और वह अपने गांव और गांव के अन्य युवाओं को भी नई तकनीक से जोड़ कर अपने गांव के युवाओं को पलायन करने से रोकना चाहता है। इसीलिए वह हमेशा नई-नई तकनीकों के बा