मेरी कविता
वक़्त की पाबन्दी है मुझपे ,वरना तुम्हे अपनी कविता बनाता ,शांत सलोने शब्दों से ,सुन्दरता तेरी सभी को सुनाता !कई समुन्दर दूर हूँ तुझसे ,वरना प्रियतम तुमसे मैं मिलने आता !मैं काला काजल बनके ,आँखों में तेरी शर्माता ,और तुम्हे अपनी आँखों में बसाके,सारी दुनिया से छिप