गृहस्थी का मूल पिता है फादर्स डे के अवसर पर मनीष रामरक्खा द्वारा अपनेस्वर्गीय पापा श्री सुभाष रामरक्खा जी को भावभीनी श्रद्धांजली .कविता में वर्णितसभी गुण उनके पापा में विद्यमान थे .मूल है घर गृहस्थीका ,आकाश सा विस्तार है |रीढ़ बन कर जो खड़ा है,साथ निज परिवार है |हंस जैसी चातुरी है,ज्ञान – गुण धर्