फादर्स डे के अवसर पर मनीष रामरक्खा द्वारा अपने
स्वर्गीय पापा श्री सुभाष रामरक्खा जी को भावभीनी श्रद्धांजली .कविता में वर्णित
सभी गुण उनके पापा में विद्यमान थे .
मूल है घर गृहस्थी
का ,आकाश सा विस्तार है |
रीढ़ बन कर जो खड़ा है
,साथ निज परिवार है |
हंस जैसी चातुरी है
,ज्ञान – गुण धर्म व्यवहार है|
है वही सच्चा पिता
जो ,सत्कर्म निष्ठावान है |
है वही सच्चा पिता जो ........
जन्म निज सन्तान देकर ,क्या पिता बनता कोई |
नाम देकर अपना उसे ,क्या फर्ज होता पूरा कभी |
प्यार अपना जो लुटा दे,त्याग मय जीवन बिताकर |
हो जिसे अभिमान खुद पर ,श्रेष्ठ उत्तम नर बना
कर|
है वही सच्चा पिता जो
...............
जो करे उपकार जग का
,गुणमयी नागरिक बना कर |
मानवीय गुण दे कर
सदा,निस्वार्थ जीवन बिता कर |
स्वप्न जो देखे सदा
, उत्तम भविष्य सन्तान का |
सत्यप्रद निज कर्म
कर ,आदर्श बने परिवार का |
है वही सच्चा पिता जो ......
दूरदर्शी भावना से खुद ,करे निर्माण निज सन्तान
का |
प्रेम का सागर बहा कर , दे मार्ग जो कल्याण का |
बन कर हितैषी साथ दे, परमार्थ भाव और प्रेम
का |
गर्व सारा जग करे उस , प्रेम का गौरवमयी भगवान
का
है वही सच्चा पिता जो .....
परिचय -- मनीष रामरक्खा
, आस्ट्रेलिया
सपुत्र --श्रीमती मनीषा राम रक्खा
Retired Senior Education Officer
At Present, Hindi Lecturer- The University of Fiji