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मज़ेदार

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1. विदेशों से मेरा बहुत पुराना नाता है।बचपन मे जब माँ डाट देती थी तो में“रूस” जाया करता था। 2. कुछ अमीरों की चर्चा…किसी ने कहा मेरा बाथरुम 10 लाख का तो किसी ने 20 लाख को किसी ने 50 लाख का बतायाऔर जब यही बात एक गाँव के आदमी से पूछी गई तो उसने बताया की मै जहा सुबह लोटा लेके जाता हूँ उस खेत की कीमत 7

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   फिरोजाबाद फिरोजाबाद  अभिव्यक्ति मेरी: चाँद के उजाले में, आँसू के गीत लिखता है ।

गीतिका छंद( 2122 2122 2122 212हे महा माँ सिंह सवारी, शरण अपने लीजिए।मोमुरख को मातु क्षमा दे, चरण रज सुत दीजिए।।मातु माया कनक थारी, मोह ममता चाहना।छूटजाए मोर अवगुन, मनमहक जा साधना।।महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

गीत/नवगीत विशेष, वर्षा ऋतु, श्रावण गीतिका/ग़ज़ल मन भाए मेरे बदरा,भिगा जा मुझे   छाई कारी बादरिया,जगा जा मुझे    मोरी कोरी माहलिया,मुरझाई सनम  रंग दे अपने हि बरना,रंगा जा मुझे॥  काली कोयलिया कुंहुकत,मोरी डाली राग बरखा की मल्हारी,सुना जा मुझे॥मोरा आँगन बरसा जा, रेनिर्मोहिया मोर अनारी की सारी,दिखा जा म

मित्रो प्रस्तुत है एक नवगीतसच ही बोलेंगे-------------------हम अभी तक मौन थे अब भेद खोलेंगेसच कहेंगे सच लिखेंगे सच ही बोलेंगेधर्म आडम्बर हमें कमजोर करते हैंजब छले जाते तभी हम शोर करते हैंबेंचकर घोड़े नहीं अब और सोंयेंगेमान्यताओं का यहॉ पर क्षरण होता है घुटन के वातावरण कावरण होता हैऔर कब तक आश में वि

प्रिय, तुम भूले,  मैं क्या गाऊँ बस तुमको ही, मैं दोहराऊं .सदियाँ बीती, तुम न आए. क्या कोई पत्थर बन जाए. मना -मना कर हार गई मैं, कैसे आखिर तुम्हे मनाऊं ?प्रिय तुम भूले, मैं क्या गाऊँ तप्त धरा औ नीलगगन है.मन में भी तो नित्य अगन है .तुम आओ तो पड़े फुहारें प्रेम-नीर में डूब नहाऊँ.प्रिय तुम भूले, मैं क्या

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एक कजरी गीत........चित्र अभिव्यक्ति परझूला झूले राधा रानी, संग में कृष्ण कन्हाई ना कदम की डाली, कुंके कोयलिया, बदरी छाई नाझूले गोपी ग्वाल झुलावे, गोकुला की अमराई विहंसे यशुमति नन्द दुवारे, प्रीति परस्पर पाई ना॥गोकुल मथुरा वृन्दावन छैया रास रचाई ना छलिया छोड़ गयो बरसाने, द्वारिका सजाई नामुरली मनोहर रा

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यात्रा वृतांत: एक बारात की मजेदार यात्रा - Ignored Post | Top Interesting Post---जब लगन चरम पर हो और ठाला भी चरम पर हो तो पुरे सीजन में एक बारात भी करने को मिल जाए तो नरक कट जाता है और ये मलाल भी नहीं रहता की, इस सीजन में एक बारात तक नहीं मिली | कल बिल्कुल यही परिस्थिति थी | कल इस जानलेवा ठाले के दौ

बुझी शम्मा जलाने से क्या होगाकबर पर दीप जलाने से क्या होगालौटकर न आएगी मुमताज ऐ शाहजहांतेरा ताजमहल बनवाने से क्या होगा

आई पतंगों की बेलाहैचहुं ओर पतंगों कारेला हैमौसम नई ख्वाहिशों का हैमाँ-बाप ने करदी ढीली जेबें निकले शौकीन ले बहुरंगीपतंगेंचाइनीज हो या डोरबरेली आई-बो----ओ सुनता रोजबोर हो या संध्या का दौरउड़ा रहे सब मचाकरशोरकेजरीवाल, राहुल याहों मोदीनहीं दिखती इनमें फूटपरस्ती मोहल्ला-मोहल्ला बस्ती-बस्तीउड़ाते इन्हें

दीपक की लौ तले पढ़ने काबारात में पंगत में बैठने कादाँतों से नाखुन चबाने काबागों से अमरुद खाने काबेरियों से बेर तोड़कर लाने कापत्थर मार-मार आम गिराने काबारिश में जामुन तोड़ने जाने का          दौर की कुछ और थास्कूल से फूटकरखेतों में घूमने कारिश्तेदार आने परस्कूल नहीं जाने कारेलिंग वाले खंबे परचढ़ जाने

मैं एक धर्म गुरु हूंमुझ से बढ़ा धर्म गुरु न हुआ न होगामैं एक भक्त हूंमुझ से बढ़ा भक्त न कोई हुआ न होगामैं एक स्वतंत्रता सेनानी हूंमुझ से बढ़ा स्वतंत्रता सेनानी न हुआ न होगामैं एक क्रांतिकारी हूंमुझ से बढ़ा क्रांतिकारी न हुआ न होगामैं एक इतिहासकार हूंमुझ से बढ़ा इतिहासकार न हुआ न होगामैं एक साहित्यका

जब भी कोई नई चीज बाजार में आती है तो सभी का मन ललचाता है कि वह उसे मिल जाए। रेडियो भी जब बाजार में आया तो नए-नए कार्यक्रम सुनकर लोग उसे अपने घर लेकर आना चाहते थे। एक व्यकित ने एक डिब्बेनुमा वस्तु से गाने बजते देखे, पैसे जेब में थे ही और झट से उसे खरीद लिया। जगह-जगह उसे अपने साथ लेकर जा रहा था। जब खे

अपने इस लेख को उक्त शीर्षक देते समंय मैं स्वयं हैरान हुं कि आखिर मेरे सामने यह नौबत क्यों आई और मैं इस शीर्षक से यह लेख क्यों लिख रहा हुं । वास्तव में मैं पूर्व में आयोजित 9 विश्व हिंदी सम्मेलनो के संकल्पों के अनुसार 10 जनवरी, 2015 को मनाए गए विश्व हिंदी दिवस से लेकर आज तक कुछ टीवी चैनलों और समाचार

धुन में अपनी हो मगनझुककर पार्क में तोड़ रही थी बथुआ  वोगरीब थी इसलिए जरुरत भी थी उसकोपढ़ाकू विद्यार्थियों का अड्डा था पार्क वोअल्हड़ उमर ऐसी कि चुड़ैल संग भी हो लें वोऐसा ही एक विद्यार्थी पीछे-पीछे उसके लिया होपार्क से निकलते वक्त कर दिया बॉय-बॉय उसकोनतीजा बन ग्रहण अगले दिन लगा उसकी शरारत कोबनठन कर

ओड़िशा के पुरी में समुद्रतट पर स्थित जगन्नाथ मंदिर एक हिंदु मंदिर है जो श्रीकृष्ण (जगन्नाथ)को समर्पित है । जगन्नाथ का अर्थ जगत के स्वामी से होता है । इस मंदिर को हिंदुओं के चार धामों में से एक माना जाता है । यह मंदिर वैष्णव परंपराओं और संत रामानंद से जुड़ा हुआ है । सन 1198 में ओड़िया शासक अनंग भीमदे

नन्हां और प्यारा जीव हैं चींटीयांरानी, फौजी और श्रमिक श्रेणी की होती चींटीयांप्रजनन क्षमता रखती केवल रानी चींटीयांलंबा जीवन भोगती हैं मादा चींटीयांहाथी जैसे जीव के लिए भी खतरनाक हैं चींटीयांमानव की खलनायक बनतीं जब काटती चींटीयांभोजन में घुसकर उसे करतीं खराब चींटीयांजानवरों और मानवों को चट कर जातीं म

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