सरकार और सेलिब्रिटी टाइप लोग कह रहे हैं की "योग का कोई मजहब नहीं होता"...इसी प्रकार ये अक्सर कहते हैं की "आतंक का मजहब नहीं होता"...
पूरी दुनिया जानती है की दोनों बाते "सफ़ेद झूठ" हैं..आतंकवाद पर बात नहीं करना चाहता क्योंकि पूरा विश्व देख रहा है मगर योग का मजहब है और वो कौन सा मजहब है उसके कुछ साक्ष्य दे रहा हूँ..
● हिन्दू धर्म के मूल ग्रन्थ वेदों में योग का वर्णन है..
● हिन्दू धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियां योग मुद्रा में प्राप्त हुई हैं
●महाभारत में योग का वर्णन है..
●योगेश्वर कृष्ण के उपदेशों की श्रीमद्भगवदगीता में योग एवं इसके विभिन्न तत्वों का वर्णन है..
●पतंजली योगदर्शन,पातंजलि योगप्रदीप योग के प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं..
●उपनिषदों में योग का वर्णन है..
●सांख्य दर्शन योग के बारे में बताता है।
●विष्णुपुराण में योग साधना को बताया गया है।
●शिवसंहिता में योग का वर्णन है..
●गोरक्षशतकम् में गुरु गोरख नाथ ने योग के बारे में। बताया है.
●हठ प्रदीपिका योग के सन्दर्भ में बताती है..
●घेरण्डसंहिता में योग को बताया गया है..
●योगतत्वोपनिषद तो योग के तत्वों पर लिखी गयी पुस्तक है..
●योगभाष्य में वेदव्यास ने योग की परिभाषा तत्व आदि का वर्णन किया है..
तो योग का धर्म तो "हिन्दू" ही है,मगर इसका हिन्दू पूजा पद्धति से ज्यादा लेना देना नहीं है..मगर योग की जननी हिन्दू धर्म ही है.अगर किसी को योग के "हिन्दू धर्म से सम्बद्ध" होने से समस्या है तो वो योग न करे मगर उसकी समस्या से "सेकुलर योग" का कांसेप्ट नहीं ले आया जा सकता है..
वैसे व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है की किसी भी धर्म में (चाहे हिन्दू,ईसाई,यहूदी,इस्लाम या कोई और) यदि कोई अच्छी बात मिले तो उसे स्वीकार करने से "हमारा अपना धर्म" खतरे में नहीं आ जाता. हिन्दू धर्म ने दुनिया को योग दिया है संभव है ईसाई धर्म कुछ और दे,जैन धर्म कुछ और अच्छा दें..
एक सन्देश योग के खिलाफ "फतवा" देने वालों को.."हमने तो विश्व को योग से निरोग बनाया,इसके खिलाफ आप फतवा दे रहे हैं.." एक विश्लेषण आप का भी ही जाये आप ने क्या दिया...
अलकायदा,आईएसआईएस,सिमी,आईएम,सीरिया,
बोकोहराम,जार्डन,लीबिया,सूडान,कश्मीर,पाकिस्तान.................
अंधविरोध छोड़िये और अच्छी एवं लाभप्रद बातों को स्वीकार कीजिये..पूरा विश्व कर रहा है..आप भी किजिये...