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अन-लिमिटेड ज़िंदगी

मुकेश रणवा

24 अध्याय
1 लोगों ने खरीदा
5 पाठक
21 मई 2024 को पूर्ण की गई
ISBN : 978-93-5970-635-1

"अनलिमिटेड ज़िंदगी" नामक पुस्तक के जरिए लेखक युवा वर्ग की समस्याओं को संबोधित करते हुए उनके उचित समाधान के उपाय भी सुझाए हैं। लेखक स्वयं शिक्षा विभाग में 18 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं ऐसे में विद्यार्थी जीवन को बेहद करीब से महसूस किया है साथ ही स्वयं राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा तैयारी के निजी अनुभवों के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से जुड़े अभ्यर्थियों को भी नजदीक से देखा और महसूस किया है ऐसे में अलग-अलग क्षेत्रों के अनुभवों को संबोधित करते हुए मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समस्या समाधान को रेखांकित किया है। इसमें विभिन्न सफल अनुभवों के साथ आगे बढ़े लोगों को बतौर उदाहरण पेश करते हुए उन नब्जों को टटोलने की कोशिश की गई है जिसके जरिए कोई कैसे अपनी संभावनाओं के क्षेत्र को महसूस कर सकता है। साथ ही उचित समाधान भी सुझाए गए हैं । इसके साथ युवा पीढ़ी के द्वारा नशे और सोशल मीडिया एडिक्शन को लेकर विस्तृत चर्चा की गई है। युवा पीढ़ी के संदर्भ यह पुस्तक बेहद प्रभावशाली नजर आएंगी। मुकेश रणवा 

an limited jaindagi

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पुस्तक के भाग

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असीमित ज़िंदगी

9 मई 2024
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मनुष्यता की यात्रा पर नज़र डालें तो पाते हैं कि मनुष्य की यात्रा आदि मानव से शुरू हुई और यह मानव के जरिए महामानव तक जानी है इस यात्रा के शुरुआती क़दम जितने संघर्ष भरे और दुखद है तो वही इसके भविष्य की

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असीमित ज़िंदगी के पैमाने।

9 मई 2024
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इस प्रकृति ने अनेकानेक जीवों को वो अनुकुलता दी जिसने उसे अन्य जीवो से बेहतर साबित किया जिसमे मनुष्य एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वैसे यह बता देना ठीक रहेगा कि किसी जीव को श्रेष्ठ और अन्य को निम्न कोटि

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परिवर्तन की वजह तो हो।

9 मई 2024
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मनुष्यता की यात्रा वनमानुष से शुरू हुई और इसे मानव से होते हुए महामानव ले जाना है। इसके लिए सदियों से मानव संस्कृति और सभ्यता के जरिए बदलाव करते हुए युगानुरुप परिवर्तन अपने भीतर से लेकर परिवेश तक करता

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अनलिमिटेड ज़िंदगी के बीज

9 मई 2024
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राई के दाने के बराबर वजन और आकार वाले बीज की क्षमता देखिए कि कैसे विशालकाय बरगद में तब्दील जाता है। जी हां बरगद तो आपने उसकी और हम सबने देखे है उनकी लम्बी-लम्बी शाखाएं, विशाल तना, लटकती शाखें (प्रापजड

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5.लक्ष्य तो हो।

9 मई 2024
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जब आप घर से निकलते हैं तो निकलने की वजह तो होती है लेकिन उसी के साथ गन्तव्य का भी ठिकाना होता है कोई ऐसे ही तो नहीं निकलता कि चलो निकलते है जहां पहुंचते वो ही हमारा ठिकाना है। यदि बिना लक्ष्य के निकलो

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6.टिपिंग प्वाइंट की समझ ।

9 मई 2024
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आइजेक न्यूटन ने आज से कई सौ साल पहले गति के कुछ नियम सुझाए उन्हीं में से एक नियम पर चर्चा करें तो पाते हैं कि वह नियम ही आधार महज भौतिक विज्ञान का नहीं है बल्कि यह नियम जीवन का भी आधार है नियम को हम ज

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7.जीवन की फ़सल की खरपतवारें

9 मई 2024
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खर-पतवार फ़सल में उगे वो पौधें होते हैं जो हमने न बोए हैं न ही ये उपयोगी है बल्कि किसी फ़सल की वृद्धि और उत्पादकता को कम करने वाले कारक है। फ़सल प्रबंधन के दौरान किसान इन्हें खेतों से हटाता ही हटाता ह

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8 स्मार्टफोन की अति-निर्भरता

9 मई 2024
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आधुनिकता की दौड़ में हर कोई यूं भाग रहा है कि  यदि नहीं दौड़ेंगे तो दुनिया के इस सफर में पीछे रह जाएंगे।  मौलिक और सहज ज़िन्दगी से परे मिथ्या और भ्रामक ज़िन्दगी में जीने को मजबूर हैं।संचार की दुनियां

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9. नशे का मैकेनिज़्म ।

9 मई 2024
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किसी भी क्रिया को करने में यदि ख़ुशी होती है आनन्द आता है तो इसके पीछे शरीर में उत्पन्न होने वाले हैप्पी हार्मोंन्स ही है। जब भी किसी काम पर खुशी हो रही है तो उस समय मस्तिष्क से डोपामाइन और सेरीटोनिन

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10. मस्तिष्क कैसे काम करता है।

9 मई 2024
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1400 ग्राम वजन का शरीर का हिस्सा जो खोपड़ी में बंद रहता है वह 70-80 किलोग्राम वजन वाले शरीर नियंत्रण-प्रबंधन करता है इसमें वह खूबी है जो 5-7 किवंटल वजन की गाय-भैंस या फिर 20-25 किवंटल वजन वाले हाथी से

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11. मन का गणित

9 मई 2024
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जब भी हम कुछ सोचते या करतें हैं तब कई बार यह द्वंद्व पैदा हो जाता है कि क्या करें ? क्योंकि एक मन तो कहता है अमुक कार्य करे तो दूसरा मन कहता है अमुक कार्य किया जाए। इस संदर्भ में किसी भी विश्लेषण पर प

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12. आलस्य बनाम चेतन्यता

9 मई 2024
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आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। आलस वह भावना है जिसमें मनुष्य अपने कर्मों को करने की अनिच्छा व्यक्त करता है। आलस्य के कारण हमनें अपने जीवन में मे न जाने कितने ही दिन, कितने ही घंटे, कितने ही क्षण

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13. असंभव को मज़ाक  बनाओ ।

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हम जब भी कोई नया काम शुरु करते हैं तो वह असंभव ही लगता है। जैसे साईकिल चलाना शुरु शुरू में असंभव ही था, जब सीखना शुरु किया था तो सैकड़ों बार गिरे । हैडल संभालते तो पैडल मारना भूल जाते, तो वहीं पैडल पर

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14. सकारात्मक सोच रखे।

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लोगों में बस थोड़ा-सा फ़र्क होता है, इसी थोड़े से फ़र्क से बड़े परिणाम प्रभावित होते है। ये जो थोड़ा सा फर्क है वह सोच यानी नजरिए का । नजरिया या सोच कैसी है वहीं सफ़लता का आधार है। सकारात्मक सोच आपको फर्

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15. प्रबल जिज्ञासा हो।

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मानव मस्तिष्क अपनी प्राकृतिक प्रवृति के कारण अपनी सनक और आंतरिक संघर्ष को कम करने के लिए जिज्ञासाओं का उत्तर खोजने के लिए सदैव उत्सुक रहता है। मानव की जिज्ञासा ने ही मानव को रचनात्मक और नवोन्मेषी प्रक

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16.टाइम मेनेजमेंट या माइंड मैनेजमेंट

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कहते है समय प्रबंधन समय के संसाधन का अनुकूलन करता है तो वहीं मन प्रबंधन रचनात्मक ऊर्जा के संसाधन को अनुकूलित करता हैएक बार एक आदमी किसी गुरू यानी ज्ञानी व्यक्ति के पास जाकर कहा कि गुरुजी मैं अपने जीवन

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17. एक्टिव लर्निंग की ओर बढ़ें।

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पढ़ना लर्निंग नहीं है, स्कूल कोलेज में एक-एक करके कक्षाओं को पास करते जाना भी लर्निंग नहीं होती है। लर्निंग वह भी नहीं है जो एक बंद कमरे में बैठकर घंटो किताबों का रट्टा मारना हो। लर्निंग वो कुछ है जिस

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18. आइ‌सोलेट हो जाए

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हमारी सामाजिक पारिवारिक परिस्थितियां भी कुछ ऐसी होती है कि हमें वो लगातार अपनी ओर बांधे रखती हैं लिहाज़ा हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ नहीं पाते हैं। यदि हमें अपनें लक्ष्य को हासिल करना है तो हर हाल में अप

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19. काइजेन नीति जीवन का हिस्सा बने।

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जीवन में कोई चमत्कार कभी होता नहीं है और यदि कोई व्यक्ति चमत्कार की आशा करता है तो वह समय और ऊर्जा ही ख़र्च कर रहे है। बाकी होना-जाना कुछ नहीं है। वैसे एक चमत्कार का रास्ता ज़रूर है यदि आप और हम इस रा

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20. प्रथम सोच सिद्धांत पर काम करें।

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जब भी कोई समस्या आती है तब ज़्यादातर लोग उस वस्तु के आकार आदि के बारे में सोचते है। अपनी कार्यात्मक आवश्यकता का भूल जाते है। लोग केवल उपमाओं के संदर्भ में ही सोचते है तो उसी दायरे में सिमट कर बातें कर

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21 मल्टी टास्किंग से बचें।

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बहुधा लोग सोचते हैं कि वे जितना अधिक एक साथ भिन्न-भिन्न कार्यों को संभालने में सक्षम होगें तो वे उतने ही अधिक होशियार हो जाएगा। वैसे हमारी सामाजिक व्यवस्था भी कुछ ऐसी है कि समाज उन्ही लोगों को अधिक सम

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22. अनुभवी लोगों का मार्गदर्शन ले।

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इस दुनियां में कोई अकेला इंसान सामान्यतः सफ़ल नहीं होता है, सफल होने के लिए उसे किसी दूसरे के सफ़ल-असफल अनुभवों को आधार बनाना होता है। यदि हम किसी सफ़ल व्यक्ति से मार्गदर्शन लेंगे तो पाएंगे कि कैसे उन

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23. नये अवसर ढूंढ़ें।

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एक ही जीवन की विविधताओं को महसूस करना है या इनमें जीते हुए जीवन को सतरंगी स्वरूप देना है तो आप जीवन में जहां भी है और वहां संतुष्टि के दायरे कम है या फीके हैं तो आपको इस बात का इंतजार नहीं करना चाहिए

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24. संघर्ष विराम संघर्ष नीति

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किसी भी काम को लगातार किए जाने पर एक समय बाद उसके प्रति अरूचि पैदा होने लगती है जिसका कारण मानसिक और भावनात्मक रूप से होने वाला विचलन या पूर्वाग्रह हो सकता है या फिर ऊर्जा का घटता स्तर हो सकता है। अरु

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