विमल अपने कमरे में इधर से उधर और उधर से इधर घूम रहा था । गर्मी ने तो जैसे मार ही दिया है मन ही मन बुदबुदाया । इस गर्मी ने तो कहीं का नहीं छोड़ा । कल ही तो ' गीतांजलि ' पढ़कर खत्म करी , सोचा था कल लाइब्रेरी जाकर कोई दूसरी किताब ले आऊंगा , पर ये गर्मी जाने कब का बेर ले रही है ।
और ऊपर से लाइट को भी अभी ही जाना था , तीन घण्टे हो गए , अब तक नहीं आयी है । हे भगवान अब क्या करूँ ? क्यों न थोड़ी देर पड़ोस में चला जाऊँ तेजेश के पास वह कॉलेज से आ गया होगा । पर रुको , ये क्या मैं उसके बारे में तो सोच ही नहीं रहा कल की तो कह रहा था कि , " अगले हफ़्ते से उसके इम्तिहान हैं ।" बेचारा पढ़ रहा होगा ।
विमल एक रिटायर्ड क्लर्क था । सरकारी दफ़्तर में काम करते हुए उसको 28 साल हो गए थे । उनके परिवार में कहने को सिर्फ उनकी पत्नी थीं , बच्चे नहीं हुए । ऐसा नहीं की चाह नहीं थी पर पत्नी के गर्भाशय में कोई प्रॉब्लम थी , शादी के बाद एक बार वे पेट से हुईं थीं पर गर्भमें ही बच्चे की मृत्यु हो गयी । अस्पताल में डॉक्टर ने कहा कि अब उनकी पत्नी कभी माँ नहीं बन सकतीं । बहुत दुःख हुआ था उनको , कुछ महीने तो वे खिंचे खिंचे से रहे पर बाद में उनको एह्सास हुआ की यह क्या कर रहें हैं वे उनकी पत्नी की जगह उनमें ही कोई प्रॉब्लम होती तो फिर किसको दोष देते । इस बीच उनकी पत्नी ने उनसे कहा , " सुनो , मैं यह कह रही थी कि गर तुम दूसरी शादी कर लो तो ! "
" तुम्हारा दिमाग तो ख़राब नहीं हुआ , क्या बके जा रही हो ? ऐसा तुमने सोचा भी कैसे ? "
" वो ........" और वह रोने लगी ।
" अरे रो क्यों रही हो , क्या हुआ भाग्यवान ? "
" मोहल्ले वाली सभी महिलाये मुझे बाँझ कहतीं हैं । मुझे तो कोई औलाद हो नहीं सकती पर इसके लिए आप क्यों अपना मन मारते हो जी । आप निश्चिन्त रहें उसको मैं अपनी छोटी बहन की तरह रखूंगी । आप तो बस हाँ कह दो , मैंने तो एक लड़की भी देख ली है आपके लिए । मेरे ही गाँव की है , बेचारी की शादी हुई और एक हफ़्ते के भीतर ही उसका पति मर गया । कल ही उसकी पिताजी से बात हुई है , वे तैयार हैं । "
" चुप हो जाओ भाग्यवान , इतना सब तुमने कैसे सोच लिया , और तुमने मुझे क्या समझ रखा है ? कानून नाम की कोई चीज भी है की नहीं । एक पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह ! तुम होश में नहीं हो , जाओ सर मत खाओ थकान हो रही है एक कप चाय बना दो , गर हो सके तो दो चार प्याज़ की पकौड़ियाँ बना देना बहुत दिनों से नहीं खायीं । "
गुस्से से उनकी पत्नी वहां से उठ गयीं और किचन में चली गयीं । जाते जाते वे बोलीं , " कुछ समझते ही नहीं , मुझमेँ तो अक़्ल ही नहीँ है न । "
पत्नी की बात सुनकर विमल को हंसी आ गयी । वे बोले , " अरे मेरी रानी तुमसे अच्छा इस दुनिया में कोई नहीं है , मुझे नहीं करनी कोई शादी -वादी । तुम जैसी बेवकूफ औरत भी नहीं देखी जो खुद के लिये सौत लाने को तैयार है । शादी न हुई खेल हुआ जैसे । "
पत्नी के जाने के बाद वे सोचने लगे कितना बेबस हो जाता है इंसान कभी कभी । आज के समय में भी लोगों की सोच कितनी संकुचित होती है , जले पर नमक छिड़कना तो जैसे हर घर का रिवाज़ हो । लेकिन मैं अपनी पत्नी का सम्बल बनूँगा उसके पीड़ा की दवा करूँगा । बच्चे नहीं हुए तो क्या , इसके जैसी पत्नी मिलनी सौभाग्य की बात है मुझसे , मेरे परिवार से , आस पास के लोगों से सभी से कितना प्यार करती है । नहीं कभी नहीं मैं दूसरी शादी हरगिज़ नहीं करूँगा ।
थोड़ी देर बाद पत्नी गरम गरम प्याज के पकौड़े और चाय बनाकर एक ट्रे में रखकर ले आयीं । दोनों इकट्ठे बैठकर खा ही रहे थे तभी दरवाज़े की घण्टी बजी , विमल जी उठे और उन्होंने दरवाज़ा खोला , सामने तेजेश था , उनका पडौसी । उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वह अभी गिर ही पड़ेगा । विमल जी ने उसको देखकर पूछा , " क्या बात है तेजेश बेटा सब ठीक तो है । बड़े कमझोर लग रहे हो और यह आँखें सूज़ी सूजी क्यों लग रही है ? "
तेजेश कुछ कह पाता उसके पहले वह धड़ाम करके गिर पड़ा ।
दोनों पति पत्नी घबरा गए , विमल ने तुरंत अपने फॅमिली डॉक्टर को कॉल किया । कुछही देर में डॉक्टर वहां आ गए । तेजेश की जांच की और बोले , " लगता है इसने कुछ दिनों से कुछ खाया नहीं है और किसी शौक की वजह से बेहोश हो गया है । मैंने इंजेक्शन दे दिया है , उम्मीद है थोड़ी ही देर में होश आ जायेगा । " फिर उन्होंने अपनी बैग से एक पर्चा निकाला और कुछ दवाईयां लिख दी ।
उनके जाने के बाद विमल ने अपनी पत्नी से कहा , " तुम बैठो इसके पास मैं इसकी दवाईयां लेकर आता हूँ । "
उनके जाने के बाद उनकी पत्नी तेजेश की सिरहाने बैठ गयीं और उसके सर पर हाथ फेरती रहीं ।
विमल दवाई लेकर आये और उन्होंने पूछा , " होश आया ? "
वे बोलीं , " ना " और एकदम चुप हो गयीं जैसे एक माँ अपने बच्चे के बीमार होने पर चिंतित हो जातीं है बिलकुल वैसे ही ।
दोनों ही उसके पास बैठे थे इस इंतज़ार में कब होश आये । चार घण्टे बाद तेजेश को होश आया , उसने जैसे ही आँखें खोलीं वे बोलीं , " बेटा लेटा रहे तेरे लिए ज्यूइस लेकर आती हूँ । "
तेजेश कमझोरी की वजह से निढाल सा वहीँ बिस्तर पर पड़ा रहा । ज्यूइस आने पर उसको बिठाया गया और पिलाया गया । थोड़ी देर बाद विमल ने पूछा , " क्या हुआ है बच्चे ? "
" वो ..... वो ........." और वह फूट फूट कर रो पड़ा ।
विमल की पत्नी ने उसको संभाला । विमल ने भी उसके काँधे पर हाथ रखा ।
लग रहा था जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रहा था तेजेश , बोला : पिछले हफ्ते मेरे मम्मी पापा की कार एक्सीडेंट में मौत हो गयी । इस महीने पापा पैसे नहीं भेज पाये थे ।
अब सब कुछ समझ आ गया था , खुद के बच्चे नहीं थे तो क्या हुआ !
" ओह ! तो यह बात है । पर वहाँ उनका क्रियाकर्म किसने किया ? "
" वो मेरे एक दूर के चाचा का फ़ोन आया था की दोनों की मौत हो गयी है और उन्होंने क्रियाकर्म कर दिया है । मुझे शक हुआ तो मैंने अपने पड़ोस में कॉल किया था वे बोले कि हमने खूब कहा कि उनके बेटे को बुला लेते है पर चाचा ने एक न सुनी और ...... दो महीने बाद मेरे एग्जाम है मेरे पास फीस देने के लिये भी पैसे नहीं है और घर जाने के लिये भी नहीं है । "
" ओह " विमल ने तुरंत ही अपना पर्स उठाया और कुछ पैसे निकाल कर उसको दिए और बोले तुम चिंता मत करो मैं तुम्हे तुम्हारे घर भी ले चलूँगा और कॉलेज में फ़ीस भी भर दूंगा ।
उन्होंने अपनी पत्नी की तरफ़ देखा । स्त्री मन को वह अच्छे से पढ़ लेते थे , उस वक़्त उनको उनकी पत्नी में एक माँ का रूप दिखाई दिया लग रहा था कि किसी दुखियारी माँ को उसका बिछड़ा हुआ बेटा मिल गया हो ।
तब से तेजेश को उसके माता पिता मिल गए थे । उनके बीच के इस बन्धन को उनकी पूरी सोसाइटी को गर्व होता था । पहले तेजेश से ज्यादा कोई बात नहीं करता था , वजह तो किसीको नहीं पता थी फिर भी ।अब आते जाते हुए सब तेजेश की खोज खबर लेते थे ।
अब पड़ोसियों की औरतों ने भी विमल की पत्नी को ताने देना कम कर दिया था उलटे अब वे सब उसको छेड़ती थी : वाह भाई वाह , तुम्हारे तो भाग्य ही खुल गए तुमको तो एक बेटा मिल गया ।
विमल की पत्नी उनसे बोलीं , " सच कहती हो तुम सब , मुझ बाँज की गोद मेरे पति ने भर दी तेजेश को बेटा बनाकर । अब तो क़ानूनी तौर पर भी वह हमारा बेटा बन जायेगा । "
इस ज़माने में जहाँ पुरुष बच्चे के लिए कुछ भी करने को तैयार होते हैं , वहीँ कहीं कोई विमल भी होता है ।