सीमा उपन्यास पढ़ रही थी । उस उपन्यास की तारिका एक डॉक्टर थी , उसीके संघर्ष की कहानी थी । पढ़ते पढ़ते सीमा को ख्याल ही नहीं रहा वो कब अपने बचपन में खो गयी ।
"माँ ,पासा (फीछे) फिरो । "
"लो आ गयी मेरी डॉक्टर बिटिया । अब माँ का बुख़ार फुर्र हो जायेगा । "
" माँ , सुई लगा दूं पहले । "
" अरे नहीं , बिट्टू दर्द होगा न माँ को ।"
" वो डॉक्टर मामा लगाते है सुई मुझे भी , वो बोलते है जो सुई लगवाते है उनकी तबियत जल्दी ठीक हो जाती है । माँ आपको भी सुई लगा दूँगी तो जल्दी ठीक हो जाओगी । "
डॉक्टर सेट से खेलती हुई छोटी सी सीमा बड़ी होती गयी । समय बदलता गया । खिलौने खेलने की उम्र बीत गयी । दसवी के परीक्षाफल आया । अब कॉलेज का समय आ गया था । एडमिशन्स की पंक्ति में खड़ी थी सीमा । फॉर्म भरा गया । जब लिस्ट निकली तो पता चला 60% पर कट ऑफ़ था । एडमिशन्स क्लोज्ड का बॉर्ड लग चूका था । कुछ दिन बाद पता चला की पैड सीट्स अब भी ख़ाली थी । सीमा बहुत दुःखी हुई थी , क्योंकी उसको 59% प्राप्त हुए थे । पापा मम्मी ने कहा , " बेटा , जो डॉक्टर नहीं बन सकते जरुरी तो नहीं वो अपने जीवन में कुछ हासिल न कर पाएं । "
सीमा को समझ आ गया था कि अब वो डॉक्टर कभी नहीं बन पायेगी । उसने कॉमर्स लिया और ग्रेजुएशन पूरा किया । इस बीच उसने ICWA के इंटरमीडिएट परीक्षा भी दी और उत्तीर्ण हुई । हालात फिर पलटे तो फाइनल एग्जाम नहीं दे पायी ।
ग्रेजुएशन के बाद शादी हो गयी । एक आम ज़िन्दगी के लिए अब तक तैयार हो चुकी थी सीमा पर उसके अंदर पढ़ने की ललक अब भी मौजूद थी । संयुक्त परिवार में भी उसने पढ़ाई करने की इच्छा ज़ाहिर की । घर से ही उसने पढ़ाई की । बी.ऐड . एल .एल . बी और प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका की नौकरी करली । फिर शिक्षा पॉलिसी के चलते जरुरी लगा की अपने विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन करना होगा । अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया ।
अब सीमा एक शिक्षिका बन चुकी थी ।
जीवन के संघर्षो को पार करती हुई प्राइवेट जॉब में ही एक प्ले स्कूल में प्रिंसिपल बन चुकी थी ।
फिर समय ने पलटा खाया , सीमा की पिताजी का देहांत हो गया , माँ अकेली हो जायेगी । ससुराल और मायके का फासला करीब सोलह घण्टे का ट्रेन का सफ़र । घर की ज़िम्मेदारियाँ भी बढ़ती जा रही थीं । सीमा ने जॉब छोड़ने का मन बना लिया था ।
अब घर में बैठकर ख़ाली समय में पढ़ना और लिखना एहि जीवन बन चूका था ।
आज उपन्यास में डॉक्टर का जीवन संघर्ष पढ़कर सीमा को अपने संघर्ष याद आ गए । उसने कुछ मानस बनाया ।
उसने कॉपी उठाई , पेन उठाई और एक कहानी लिखने बैठ गयी कहानी का नाम , ' एक सपना '