आओगे जब भी तुम मेरे ख्वाबों में
उन लम्हों को रख लूंगी मैं यादों में
और नहीं कुछ चाहूँ तुमसे मेरी जां
दम टूटे मेरा बस तेरी बाँहों में
फूलों जैसा जीवन मेरा गुलशन में
यह सच है घिरा हुआ है काँटों में
तुमको मैं रूदाद सुनाऊँ क्या अपनी
मेरा हर लम्हा बीता है आहों में
देख रही हो मुझको तुम जैसे 'रौनक'
जी चाहें मैं डूब मरुँ इन आँखों में