जर्मनी का म्यूनिक शहर
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निम्फ़ेनबर्ग महल---
बेवेरियन राजाओं का ग्रीष्मकालीन निवास स्थान था। म्युनिक के पश्चिम में स्थित यह ऐतिहासिक महल है। विट्ल्स्बाख के शासकों ने लगातार पाँच पीढ़ियों तक इस महल के विभिन्न हिस्सों का निर्माण करवाया था।जो कि आज की तारीख में एक विशिष्ट कला स्थान का दर्जा रखता है।
विभिन्न कलाकृतियों से सुसज्जित इसके विशाल गलियारे जो लुडविग प्रथम द्वारा बनवाए गए थे। म्यूनिक के सबसे ज्यादा आकर्षण वाले स्थलों में से एक है। इसी में एक अन्य आकर्षण, राजा लुडविग द्वितीय का शयनकक्ष और विशाल “बैंक्वे हॉल” है।
दरअसल निम्फ़ेनबर्ग फ़र्डिनेण्ड मारिया ने अपनी पत्नी हेनरीटे ऐडेलिड को उसके जन्मदिन पर तोहफ़े के तौर पर सन 1675 में दिया था। उसके बाद विभिन्न राजाओं ने इसकी गैलरियों, छज्जों, विशाल गलियारों आदि में लगातार काम करवाया। सन 1715 के पश्चात इसका और विस्तार किया गया और मुख्य इमारत से जुड़ी हुई कई कलात्मक इमारतें राजाओं ने बनवाईं।
निम्फ़ेनबर्ग महल का पार्क –
कई दुर्लभ वृक्षों, फ़ूलों और हरी घास से आच्छादित है। यह पार्क बेहतरीन है। पार्क में बनी पानी की नहरें, झरने और सुन्दर मंडप आदि इसे और भी सुंदर बना देते हैं।
अमालिएनबर्ग----
“रोकोक्को” शैली में बना यह वास्तु का अद्भुत नमूना है। विभिन्न दर्पणों से सजा इसका गोलाकार विशाल हॉल हमें बेवेरिया के राष्ट्रीय रंग अर्थात नीले और सफ़ेद की एक अनूठी दुनिया में ले जाता है। इसका आकर्षक मंडप कार्ल अल्बरेश्ट ने अपनी पत्नी अमेलिया को तोहफ़े के तौर पर दिया था, इसका निर्माण 1734 से 1739 के बीच हुआ। अमेलिएन्बर्ग सबसे आकर्षक और प्यारा यह मंडप यूरोपियन रोकोक्को परम्परा को बरकरार रखता है।
बाडेनबर्ग आधुनिक काल का पहला गर्म पानी का स्वीमिंग पूल है। इसे बनाने के पीछे विचार था कि पर्यटकों और घूमने वालों के लिए सार्वजनिक तौर पर नहाने का आनन्द देना। गर्म टाईलों से युक्त इस पूल का निर्माण उस वक्त के हिसाब से काफ़ी दुर्लभ था क्योंकि इसे स्टक्को संगमर्मर से सजाया गया है, जबकि इसका निर्माण सन 1719 से 1721 के बीच जोसफ़ एफ़नर ने करवाया था, बाद में इसे क्लेन्ज़े ने पुनर्निर्मित किया।
पैगोडनबर्ग चीनी शैली में निर्मित रोकोको मैक्सिमिलन एमानुएल द्वारा निर्मित, बाहर से फ़्रेंच डिजाइन और भीतर से परम्परागत यह पहला गार्डन है जिसे पेवेलियन ने सन 1716 में बनवाया था। वास्तुकला का नायाब नमूना, इसमें षट्कोणीय ड्राइंग रूम और चीनी स्टाइल की आलमारियाँ भी हैं। इसका अष्टकोणीय फ़र्श दो हजार डच टाइलों से निर्मित किया गया है, जबकि कमरों को काले और लाल रंग से सजाया गया है।
मैग्डालेनन्क्लाउसे----
यह हेडोनिस्टिक शासक की याद में बना हुआ एक स्मारक है। यह मैरी को समर्पित किया गया है। मैग्डेलेन को, जिनकी पसन्द उसकी बनाई हुई पेंटिंग्स और स्टक्को मूर्ति में साफ़ दिखाई देती है। हालांकि इस स्मारक के सन 1728 में निर्माण और उदघाटन से पहले ही शासक की मृत्यु हो चुकी थी।
म्युनिक एक ऐसा शहर है जहाँ प्रत्येक आयु और विभिन्न रुचियों के लोगों के लिए उनकी पसन्द का कुछ ना कुछ है, चाहे आप इतिहास में रुचि रखते हों, पार्कों और विशाल बगीचों में घूमने के शौकीन हों, वास्तुकला या चित्रकारी में या फिर फ़िल्म निर्माण में हों अथवा म्युनिक के प्रसिद्ध लम्बे चौड़े बीयर-बगीचे… कुल मिलाकर इस अनोखे शहर में आपको अपनी पसन्द का जरूर कुछ न कुछ मिलेगा।
आलियांज़ स्टेडियम------
अपने शिलान्यास के मात्र तीन वर्षों में ही बनकर तैयार हो जाने वाले इस विशाल फ़ुटबॉल स्टेडियम का उद्घाटन मई 2005 में हुआ था। इस विशाल स्टेडियम के लिए आर्थिक मदद देने वालों में हैं म्युनिक के दो प्रसिद्ध फ़ुटबॉल क्लब – टीएसवी 1860 म्युनिक और एफ़सी बायर्न म्युनिक।
इस स्टेडियम के वास्तुकार हैं हर्ज़ॉग और द म्यूरॉन तीन मंजिला इस स्टेडियम की कुल क्षमता 69,000 सीटों की है, जिसमें से 2200 सीटें “व्यावसायिक” लोगों के लिए हैं। खेलने हेतु कुल जगह आठ हज़ार वर्गमीटर है। 2874 पैनलों से सज्जित इसकी 64000 वर्गमीटर की छत दुनिया की सबसे बड़ी है। इसकी प्रकाश व्यवस्था बेहद दर्शनीय है, नीले, सफ़ेद और लाल रोशनियों से सुसज्जित इस स्टेडियम की छ्टा देखते ही बनती है।
आधिकारिक रूप से इस स्टेडियम का उद्घाटन 2006 के फ़ीफ़ा विश्व कप फ़ुटबॉल के दौरान 9 जून 2006 को हुआ था।
होफ़्ब्राउहॉउस-----
म्युनिक का सबसे पसन्दीदा “बीयर हॉल” है यह सन 1644 से सफ़लतापूर्वक चल रहा है। इसकी खासियत है, बीयर, उम्दा खाना, पर्यटक, संगीत। मस्ती के लिए और क्या चाहिए। लेकिन ध्यान रहे जिन टेबलों पर “स्टाम्टिश” लिखा है, वह नियमित आने वालों के लिए आरक्षित होती है (यह नियम लगभग सभी बेवेरियन रेस्टोरेंटों पर लागू होता है)।
इंग्लिश गार्डन-----
यह म्युनिक का सबसे प्रसिद्ध और सबसे बड़ा (900 एकड़ क्षेत्रफ़ल) वाला पार्क है। छायादार राहदारी, झरने, फ़व्वारे, हरी-हरी घास से भरपूर मैदान, सुकून देने वाली प्रत्येक बात यहाँ मौजूद है। इसी के भीतर स्थित हैं चार बीयर गार्डन, किनेसिशर टुर्म सेहॉउस , हिर्शाउ ऑउमाईस्टर और साथ में है “धूप-स्नान” करने वालों के लिए विशेष “न्यूड गार्डन”। सभी के लिए दिन भर खुला रहने वाला यह पार्क म्युनिक के केन्द्रीय भाग से उत्तरी दिशा में ओडिओन्स्प्लाट्ज़ के नजदीक स्थित है।
रेसिडेन्स (राजकीय निवास या शासकीय प्रतिनिधि का निवास)
म्युनिक का एक और आकर्षण है“रेसिडेन्स” समूचे यूरोप का एक महत्वपूर्ण आंतरिक साज-सज्जा वाला म्यूजियम है। यह इमारत लगभग पाँच सौ वर्षों तक विभिन्न बेवेरियन ड्यूक, राजाओं और नेताओं के लिये सत्ता का केन्द्र रही, लेकिन यह इमारत अपनी कलात्मक बनावट और सुन्दरता के लिये भी अधिक जानी जाती है।
सत्रहवीं शताब्दी में निर्मित मैक्सिमिलन प्रथम, कैसरसाल, स्टीनज़िम्मर और रीश कापेल आदि के भव्य कमरे देखते ही बनते हैं। कई पुरातन, लेकिन “क्लासिक” गैलरियाँ और राजाओं के निवास, वास्तुकला का नायाब नमूना हैं।
ड्यूक अल्बर्ट द्वारा प्राचीन कला वस्तुओं के संग्रह के लिये सन 1570 में इसका निर्माण किया गया। एक सौ तीस कमरों वाले इस भव्य महल में कलात्मक मेज-कुर्सी-फ़र्नीचर, पेंटिंग्स, भित्तिचित्र, पोर्सलेन की विभिन्न तत्कालीन कलाकारों द्वारा निर्मित कलाकृतियाँ रखी हुई हैं।
रेसीडेन्स का कोषालय (ट्रेजरी) ------
यहाँ स्वर्ण के काम वाली मध्ययुगीन कलात्मक वस्तुएं देख सकते हैं। इसके संकलन में बेशकीमती पत्थरों, हीरों, आभूषणों से लैस कलाकृतियाँ भी हैं। मुख्य आकर्षण के तौर पर बेवेरियन “मुकुट” और सेंट जॉर्ज की मूर्ति शामिल हैं।
ओलम्पिक पार्क----
सन 1972 के म्युनिक ओलम्पिक आयोजित करने वाली इस जगह में तमाम खेल सुविधायें मिल जायेंगी, जैसे झीलें, साईकल चालन हेतु ट्रैक, समारोह हेतु बड़े स्थान, रेस्टोरेण्ट और फ़ुटबॉल स्टेडियम आदि। पास ही में स्थित बीएमडब्ल्यू संग्रहालय और इस कम्पनी के मुख्यालय को देखना ना भूलियेगा, जिसकी इमारत का डिजाईन एक चार सिलेंडरों वाले इंजन की तरह किया गया है।
आल्टे पिनकोथेक-------
यह विश्व की सबसे पुरानी और महत्वपूर्ण कलादीर्घा है। विभिन्न यूरोपियन कलाकारों द्वारा रचित आठ सौ से ज्यादा विलक्षण कलाकृतियाँ यहाँ देखने को मिलती हैं, जो मध्यकाल से लेकर रोकोक्को काल तक के दौरान की हैं। यहाँ वेनेटियन कला के उस्ताद पेंटर तितियन, डच कलाकार फ़्रांज़ हाल्स भी मौजूद हैं, जबकि रूबेन्स को संग्रहालय में केन्द्रीय स्थान दिया गया है। एक और विशेषता के तौर पर आल्ट्डोर्फ़र और ड्यूरर की पुरानी जर्मन कलाकारी को भी आल्टे पिनाकोथेक में जगह दी गई है।
नया पिनाकोथेक-----
अठारहवीं सदी से बीसवीं सदी तक के यूरोपियन कला, वास्तु और स्थापत्य की कलाकृतियों से भरपूर है यह म्यूजियम। जहाँ एक ओर उन्नीसवीं सदी के संग्रह मौजूद हैं, वहीं राजा लुडविग प्रथम के कुछ व्यक्तिगत संकलन भी हैं। यहाँ फ़्रांसीसी कलाकारों जैसे मोनेट, मानेट, डेगास, पिस्सारो और रेनोइर की कलाकृतियाँ भी देखने को मिलेंगी।
बेवेरिया क्षेत्र के आसपास कोई समुद्र किनारा नहीं है, लेकिन यह इलाका विस्मित कर देने वाली झीलों के लिए विख्यात है। इनमें से अधिकतर ठिकाने ट्रेन या कार द्वारा म्यूनिख से मात्र एक घंटे के सफ़र पर उपलब्ध हैं। इन झीलों के किनारे पर आप पाएंगे आल्प्स पर्वत श्रृंखला के खूबसूरत नजा़रे और बवेरिया के कुछ शानदार प्राकृतिक दृश्य है। पहाडों पर साइक्लिंग आनन्द को दोगुना कर देती है।
स्टार्न्बर्गर झील-----
मुख्य शहर के दक्षिण में लगभग सत्ताईस कि.मी. दूर स्थित स्टार्नबर्गर झील म्यूनिख की सबसे करीबी झील है। इसकी अधिकतम गहराई 127 मीटर है, जबकि यह 57 वर्ग किमी के क्षेत्रफ़ल में फ़ैली है।
इस झील से आल्पस पर्वतों का बेहतरीन नजा़रा प्रस्तुत होता है। यहाँ हम तैरने के अलावा मित्रों के साथ एक किश्ती किराए पर लेकर समूची झील की सैर का आनन्द ले सकते हैं। उन लोगों के लिए, जो आराम से बैठकर प्रकृति का आनन्द लेना चाहते हैं। गाईड सहित किश्तियों की व्यवस्था भी है, जिसमें हम आराम से बीयर की चुस्कियाँ लेते हुए इस झील को निहार सकते हैं।
“स्टर्नबर्गर” में, बवेरिया शहर का एक पुराने ढंग का लेकिन विलक्षण बाजार भी है, जहाँ बावेरिया के परम्परागत कपडे़ खरीदे जा सकते हैं, कॉफ़ी हाऊस, रेस्टोरेण्ट तो हैं ही। सबसे खास और रोमांटिक है इस झील के आसपास फ़ैला पोस्सेन्होफ़ेन का जंगल, जहाँ हम आराम से अपने साथी या साथियों के साथ एक लम्बी चहलकदमी पर जा सकते हैं। इसी के किनारे तट पर राजकुमारी एलिसाबेथ का जन्म हुआ था जो आगे चलकर ऑस्ट्रिया की महारानी बनीं थीं।
टेगर्न झील-----
पर्यटकों का एक पसन्दीदा “स्पॉट”, बेवेरिया की यह सबसे स्वच्छ जल वाली और आल्पस पर्वतों से घिरी हुई झील है। छुट्टियाँ बिताने के लिए आदर्श यह झील, लगभग नौ वर्ग किलोमीटर इलाके में फ़ैली हुई है। इस झील की लम्बाई छः किमी और चौडा़ई डेढ किमी है। यदि हम खेलों के शौकीन हैं तो यहाँ हमारे लिए बहुत कुछ है।
चारों ओर के पहाडों में हम साइकिलिंग, ट्रेकिंग और पर्वतारोहण के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द ले सकते हैं। पानी के खेलों में तैराकी, मछली पकड़ना और नौकायन भी मौजूद है, आखिर अपनी मर्जी के मालिक तो हम हैं। टेगर्न्सी, म्य़ूनिख से लगभग पचास किमी दूर दक्षिण में स्थित है।
कीम झील बायर्न इलाके की इस झील को “बेवेरिया का सागर” कहा जाता है। यह सही भी है। लगभग अस्सी वर्ग किमी में फ़ैली हुई और 74 मी. गहराई वाली इस विशाल झील को सागर न कहा जाये तो क्या कहें। यहाँ तक कि इस झील में तीन द्वीप और भी हैं, लेकिन सभी द्वीपों पर कारें प्रतिबन्धित हैं।
श्लॉस हेरेन्चिम्सी नाम का किला यहाँ के राजा लुडविग द्वितीय ने बनवाया था जो कि हेरेन्चिम्सी में ही स्थित है। द्वीप पर चहलकदमी करते और “कैरिज” की सवारी के पश्चात हम एक भव्य किले में प्रवेश करते हैं।
जहाँ गाईड हमको उस किले के इतिहास और राजसी ठाटबाट, कला, संस्कृति, वास्तु आदि के बारे में जानकारी देता है। यहाँ एक छोटा सा चर्च भी है, जो फ़्रॉनिन्जेल के कॉन्वेंट से सम्बद्ध है, साथ ही हैं कुछ प्रसिद्ध बेवेरियन रेस्टोरेण्ट हैं । जहाँ हम घूमने-फ़िरने के बाद पेटपूजा कर सकते हैं।
एम्मर झील----
जर्मनी का सबसे पुराना लेकलैंड सेलिंग स्कूल यहाँ पर स्थित है। एम्मरसी में हमको विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ मिलेंगी, जैसे तैराकी, रोईंग, नौकायन, विंड-सर्फ़िंग आदि। छोटी नौकाएं, बोट आदि भी आपको झील की सैर करवाने के लिए हमेशा उपलब्ध हैं। पास ही है आन्डेक्स एक पवित्र पहाडी़, जहाँ धर्मालुजन एम्मरसी के प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द लेते हुए चढाई करते हुए वहाँ तक जाते हैं। हमको यहाँ की प्रसिद्ध और परम्परागत बीयर भी मिलेगी।
क्योनिग झील----
यह झील “राजा की झील” के नाम से जानी जाती है, बर्शटेसगाडेन राष्ट्रीय उद्यान के पास ही स्थित इस झील के चारों तरफ़ आल्पस पर्वत फ़ैला हुआ है। जब भी हम बायर्न जाएं, आठ किमी लम्बी, डेढ किमी चौडी़ और एक सौ नब्बे मी. गहरी यह सुन्दर झील है।
पेयजल का एक प्रमुख स्रोत होने के कारण सन 1909 तक यहाँ सिर्फ़ इलेक्ट्रिक बोट चलाने की ही अनुमति थी। यहाँ हमें बोट टूर करवाया जाता है। जिसमें सेंट बार्थोलोम चर्च तथा ओबर्सी झील की सैर करवाई जाती है। वापसी के लिये भी लगातार बोट मिलती रहती हैं। झील की सैर के पश्चात लोग आसपास मौजूद पारम्परिक और बेहतरीन बेवेरियन खाने तथा स्वादिष्ट बीयर का आनंद लेते हैं।
कोखेल झील-----
चारों ओर पहाडियाँ और किनारे पर फ़ैली हुई प्राकृतिक सुन्दरता साथ-साथ उत्साही युवाओं को यह झील आकर्षित करती है। मशहूर पेंटर फ़्रांज मार्क ने यहाँ सन 1908 से 1916 तक बसेरा किया था। एक प्रकृतिप्रेमी होने के नाते उन्होंने अपनी पेंटिंग कला के जरिए वन्य जीवन पर बेहतरीन काम किया।
हालांकि इस कलाकार की मात्र 36 वर्ष की आयु में हत्या हो गई थी। लेकिन कलाप्रेमी इनकी बहुत सारी कलाकृतियाँ फ़्रांज मार्क म्यूजियम में देख सकते हैं। बहरहाल यह झील 6 वर्ग किमी में फ़ैली हुई है और इसकी अधिकतम गहराई है 66 मीटर।
इस तरह कुल मिलाकर जर्मनी के म्यूनिख शहर की शोभा अद्वितीय है। हमने एक माह तक यहां रहकर इसका भरपूर आनंद लिया लेकिन मन अभी भरा नहीं है। यदा कदा म्यूनिख की यादें तन मन को बेचैन कर देती हैं।
जब भी अवसर मिले आप यह शहर अवश्य देखिए और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लीजिए ।