नीदरलैंड का एम्सटर्डम
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नीदरलैंड को पहले होलेंड के नाम से जाना जाता था।
नीदरलैंड की कई स्मारकीय इमारते प्राचीन शहर के लंबे इतिहास को दर्शाती हैं।एम्सटर्डम नीदरलैंड का सबसे महत्वपूर्ण शहर माना जाता है और यह नीदरलैंड की राजधानी है।
जब एम्सटर्डम ने डच स्वर्ण युग इस शीर्षक का पदभार संभाला था।तब यह नीदरलैंड का सांस्कृतिक केंद्र बन गया था। यह अभी भी वो देश है जो 8 वीं सदी के बाद बनाया गया था। यह एक धार्मिक केंद्र है।
एम्सटर्डम में संग्रहालयों की अपनी उचित हिस्सेदारी है।कुछ के नाम इस प्रकार है सेंट्रल म्यूजियम, कला और संस्कृति के लिए रेलसंग्रहालय तथा संग्रहालय स्पीकलॉक आदि। यहां घड़ियां और अन्य उपकरणों के संग्रह देख सकते हैं। कुछ संग्रहालय समकालीन कला को दर्शाते हैं।
आदिवासी संग्रहालय इस अनूठी कला के रूप में समर्पित हैं। बच्चों के लिए मैफी संग्रहालय है। जहां वे लघु दुनिया की एक श्रृंखला की खोज करते हैं। मैफी एक डच चरित्र है जोकि चित्र पुस्तकों की एक श्रृंखला के लिए डिक ब्राउन द्वारा बनाया गया था। कैसल डी हार के आसपास ही एम्सटर्डम स्थित है यह सात दिन यानि पूरे सप्ताह दर्शकों के लिए खुला रहता है।यह एक बहुत ही सुंदर संयुक्त राष्ट्र है। यह डच संपन्नता के साथ एक परी की कहानी जैसा महल है। यह 14 वीं सदी का है।
शहर में विशाल डोम टॉवर है। नीदरलैंड में सबसे ज्यादा चर्च टॉवर है। 14 वीं सदी का घंटी टॉवर नीदरलैंड में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है। यह 112 मीटर ऊंचा है और वहाँ 95 मीटर के निशान परएक दृष्टिकोण है।
एम्सटर्डम देश की सबसे बड़ी प्रदर्शनी और सम्मेलन का केंद्र है।यह सेंट्रल स्टेशन के बगल में स्थित है और एक साल में अच्छी तरह से एक लाख से अधिक आगंतुकों का स्वागत करता है।यहाँ पर जनवरी में लगभग हर साल अंतरराष्ट्रीय पर्यटन और अवकाश मेला आयोजित होता है।
यहां चीज का उत्पादन सबसे अधिक है। यहां विभिन्न प्रकार की स्वादिष्ट चीज बनाई जाती हैं। यहां पर किसानों द्वारा गाय पाली जाती हैं। चीज यहां का मुख्य भोजन है। यहां पर पनचक्की द्वारा बिजली उत्पादित की जाती है तथा मसाले आदि पीसने का कार्य भी पनचक्की से किया जाता है।
यह पूरा शहर झीलों पर बसा है। इसकी सुंदरता अतुलनीय है। यहां पर टुलिप फूल के बहुत बड़े-बड़े बगीचे हैं। जोकि फरवरी से अप्रैल तक खिलते हैं। टुलिप फूल इस शहर की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।
नीदरलैंड यूरोप महाद्वीप में स्थित एक छोटा सा देश है।नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम है।यह विश्व का 135 वां बड़ा देश है।नीदरलैंड का सबसे ऊंची जगह समुंदर से सिर्फ 323 मीटर ही है।
यहां के 86 प्रतिशत लोग अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग डच भाषा का प्रयोग भी करते हैं। छोटा देश होने के बावजूद यहां 100 के करीब अजायबघर है। यहां केवल 3% लोग ही खेतीबाड़ी करते हैं। नीदरलैंड के उत्तरी व पश्चिमी सीमा पर समुद्र है।
नीदरलैंड के दक्षिण में बेल्जियम तथा पूर्व में जर्मनी है। नीदरलैंड में दुनिया के सबसे लम्बे लोग रहते हैं यहां के पुरुषों की औसत ऊंचाई 6 फुट है। अक्सर नीदरलैंड को हालैंड के नाम से भी जाना जाता है पर यह नीदरलैंड के पश्चिमी भाग का नाम है।
हमें यहां के हर मुख्य चौराहे पर एक क्रिसमस ट्री दिखाई दिया। यहां हमने ज्यादातर लोगों को साइकिल चलाते हुए देखा। यहाँ का राष्ट्रगान सबसे पुराना है इसे 1568 में लिखा गया तथा 1932 में इसे अधिकारिक मान्यता दी गई थी। यहां का ध्वज 1572 का है जो तीन रंगों वाला सबसे पुराना ध्वज है। संतरी रंग की गाजर सबसे पहले नीदरलैंड में ही उगाई गई थी। इसलिए संतरी रंग यहां का राष्ट्रीय रंग है।
यकीनन फूल दुनिया की सबसे ज्यादा सुकून और खुशी देने वाली चीजों में से है। तभी तो इंसान अपनी भावनाओं के इजहार में अक्सर फूलों का इस्तेमाल करता है। हेलेन केलर ने प्यार को परिभाषित करते हुए कहा था कि प्यार उस फूल की तरह है। जिसे हम छू नहीं सकते, लेकिन जिस तरह फूलों की खुशबू से बाग महकते हैं। वैसे ही प्यार की खुशबू से जीवन में महक आती है।
इसी तरह राल्फ वाल्डॉ एनेरसेन ने फूलों का पृथ्वी के लिए महत्व बताते हुए कहा कि पृथ्वी फूलों के रूपों में हंसती है।यानी, फूल हमारी पृथ्वी की खुशी को दर्शाते हैं। इंसानों की जिंदगी में फूलों के इस महत्व को इस बात से भी समझा जा सकता है कि फूल कई देशों की स्थानीय संस्कृति का हिस्सा रहे हैं और उनके अस्तित्व का शुक्रिया अदा करने के लिए विश्वभर में फूलों से जुड़े कई त्यौहार मनाए जाते हैं।
नीदरलैंड फूलों का देश है। यहां के रंग बिरंगे फूल मन को मोह रहे थे। चारों तरफ प्रकृतिक सुंदरता बिखरी हुई थी।
यूरोपीय देश 'नीदरलैण्ड' जिसे पहले 'हॉलैण्ड' के नाम से जाना जाता था। यहां रहने वाले लोगों को डच कहा जाता है। डच लोगों ने भारत के इतिहास में अपनी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। भारत में इनका सबसे प्रमुख उद्देश्य मसालों का व्यापार करना था।
डचों ने भी भारत में पुर्तग़ालियों से काफ़ी लम्बे समय संघर्ष किया, और पुर्तग़ालियों की शक्ति को काफ़ी हद तक कमज़ोर कर दिया। डचों ने 'इण्डोनेशिया' को अपना प्राथमिक केन्द्र बनाया था।
गिएथूर्न एक छोटा सा गांव नीदरलैंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह गांव चारों तरफ़ नहरों से घिरा होने के कारण अलौकिक प्रतीत होता है। इस गांव में सड़कें न होने के कारण इस गांव के लोगों को गाड़ी या बाइक की ज़रूरत नहीं होती इसलिए यहां किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं है। गिएथूर्न गांव में केवल नहरे हैं इसलिए यहां के लोग कहीं भी आने-जाने के लिए नावों या इलेक्ट्रिक मोटर का ही इस्तेमाल करते हैं।
आमने-सामने के घरों में जाने के लिए इन लोगों ने लकड़ी के छोटे-छोटे पुल बना रखे हैं। जो बहुत ही कलात्मक व सुंदर थे।
गांव के स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां की ज़मीन दलदली मिट्टी और कई तरह की वनस्पतियों के मिश्रण से बनी है। जिसे पिट भी कहा जाता है।
पिट को ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 1170 में आयी भयानक बाढ़ के कारण यहां बहुत ज़्यादा पानी इकट्ठा हो गया था। जिससे पिट बन गई थी और जब यहां आकर लोगों ने बसना शुरू किया था। तो ईंधन के रूप में इस पिट का इस्तेमाल करने के लिए उन्होंने खुदाई शुरू कर दी। सालों तक खुदाई होने के कारण यहां पानी इकठ्ठा होने लगा और घरों और गांव के चारों ओर नहरें बन गई और अब इन नहरों की वजह से ये गांव दुनिया के ख़ूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक बन चुका है।
गांव के लोगों द्वारा ज्ञात हुआ कि इस गांव की स्थापना 1230 में हुई थी और इस गांव से 7.5 किलोमीटर लम्बी नहर निकलती थी। इस गांव का शुरुआती नाम ‘गेटेनहोर्न’ था। जिसका मतलब होता है ‘बकरियों के सींग’। ये नाम इसलिए पड़ा था क्योंकि जब यहां लोगों ने खुदाई शुरू की, तो उनको बकरियों के सींग मिले थे। कई सालों बाद ये नाम बदल कर गिएथूर्न हो गया।
वहां के एक बुजुर्ग व्यक्ति पीटर ने बताया कि ये गांव 1958 में उस समय लोगों की नज़रों में आया था। जब ‘बर्ट हांस्त्रा’ की एक डच कॉमेडी फ़िल्म फनफियर की यहां पर शूटिंग हुई थी और तब से ही ये गांव फ़ेमस हो गया। लगभग 2600 की आबादी वाले इस गांव में 180 से ज़्यादा लकड़ी केंद्रीय पुल बने हुए हैं।
गांव का पूरा जनजीवन इलेक्ट्रिक नावों और साधारण नावों पर ही आश्रित है।
हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता को खुद में समेटे हुए इस गांव में साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। सर्दियों के मौसम में यहां का तापमान 1 डिग्री से भी कम हो जाता है। जिसके कारण यहां की नहरें जम जाती हैं। जो पर्यटकों को और अधिक लुभाती है।
इस तरह नीदरलैंड और गिएथूर्न गांव की यात्रा करके बहुत आनंद आया और बहुत कुछ सीखने को मिला। वहां के लोगों की कर्मठता तो काबिले तारीफ थी। भविष्य में मैं पुनः इस गांव में आना चाहती हूँ।