आ सजा दूँ
आ सजा दूँ।
काजल सी काली दाग
दे कर आँखों को आग
मन को मन में भर कर
कर को कर में कर-कर ,पर
सजकर, सजाकर ,संवर कर,
मन को हो भारी संताप ,कह कर
आ सजा दूँ।
आ सजा दूँ।
रूप, कुरूप मन
और करके मिलन तन
हो आए तृप्त जीवन,पर
बुझ कर, बुझा कर ,बूझ कर
मन को हो भारी संताप,कह कर
आ सजा दूँ।
आ सजा दूँ।
जीवन, अपनी तालों और लय से
प्रेम की हर नई किसलय से
बना कर गीत, संगीत दे कर, पर
बज कर, बजा कर, बांच कर
मन को हो भारी संताप, कह कर
आ सजा दूँ।
आ सजा दूँ।
गले में, दूँ गले का हार
जिसमे है जीवन का सार
लुटा कर अधरों का भार, पर
लुट कर, लुटा कर, लूट कर
मन को हो भारी संताप, कह कर
आ सजा दूँ।