shabd-logo

एक प्रश्न: आप की माता जी क्या करती है?

3 मई 2017

265 बार देखा गया 265
featured image

"भारतीय नारी" जिसे सम्पूर्ण विश्व प्रेम, स्नेह, त्याग ,तपस्या, वात्सल्य,संघर्ष, समझदारी, बुद्धिमत्ता और नेतृत्व कौशल की देवी के रूप में देखता है। भारतीय संस्कृति में नारी को देवी समान माना गया है विभिन्न अवसरों पर उनकी पूजा होती है। वेदों में ये भी कहा गया है कि "यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते, यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति)" अर्थात" जहां नारियो का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज, तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं ।


जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहां देवकृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किये गये कार्य सफल नहीं होते हैं"। वैदिक काल से लेकर अब तक महिलाओं ने अपनी योग्यता और बुद्धिमत्ता को साबित किया है और बहुत हद तक वें पुरुषों से आगे निकलती दिखाई दे रही है। लेकिन मेरे हृदय में एक प्रश्न बचपन से है कि क्या महिलाओं की इतनी खूबियों और योग्यताओं पे कहि न कहि पुरुषवादी सोच हाबी है क्योकिं आज भी ,जब महिलाएं पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में किसी भी प्रकार से कम नही है उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है ; एक प्रश्न जो हम सबके सामने आता है वो ये की "आप के पिता जी क्या करते है" ? कभी कोई ये नही पूछता की "आप की माता जी क्या करती है"?


वैसे तो आज के युग में क्या पुरुष क्या नारी सभी हर प्रकार के क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करते नजर आ रहे है। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां महिलाओं ने अपना परचम न लहराया हो, फ़िर भी स्कुल हो , कालेज हो, ऑफिस हो या कोई भी ऐसा स्थान जहाँ हम नए लोगो से मिलते है सभी का प्रश्न यही होता है कि "आप के पिताजी क्या करते है?" शायद लोगो की मानसिकता आज भी महिलाओं को घरेलू मानने की है । वैसे घर को सुचारू रूप से चलाना ही सबसे कठिन काम है जिसे महिलाएं अपना कर्तव्य मानकर बखूबी निभातीं है और जो महिलाएं नौकरी वाली है वो भी घर के काम को निपटाने के बाद ही अपने काम पर जाती है। इस प्रकार से देखा जाय तो महिलाएं पुरुषों से ज्यादा काम करती है और उनके सफलता का अनुपात भी पुरुषों से ज्यादा है।


फिर भी हमारे समाज में सबसे एक ही प्रश्न सबसे पूछा जाता है कि " आप के पिता जी क्या करते है?" इसका मुख्य कारण समाज की पुरुषवादी मानसिकता है, समाज ने पिताजी/पुरुष को ही मुलबिन्दु मान लिया है उन्ही से हमारी पहचान और उन्ही के नाम में हमारा नाम। किसी स्कुल, कालेज में जाओ तो पहले पिता का नाम, कोई फार्म भरो तो पहले पिता का नाम(कुछ एक कॉलेज, फार्म को छोड़कर) उसके बाद माता का नाम आता है। जब ये माताएं/ महिलाएं लगभग सभी क्षेत्रों में पुरुषों से आगे है तो इनका नाम पुरुषों के पीछे क्यों ??


इसके लिए जरूरत है कि हम अपनी पुरुषवादी मानसिकता को बदलें और अपनी पहचान को माता के नाम से बनाएं और आगे बढ़ाएं। इन चीजों के लिए हमे शुरुआत अपने घर से ही करनी पड़ेगी , हम जब किसी से मिले तो उससे सबसे पहला प्रश्न ये पूछेंगे की "आप की माता जी क्या करती है?" भले ही किसी की माँ घरेलू महिला हो तब भी उसे प्रश्न का उत्तर देने में संकोच नही करना चाहिए क्योंकि घर को संभालना नौकरी करने जे ज्यादा कठिन और जिम्मेदारी वाला काम है। इसके अतिरिक्त सबसे महत्वपूर्ण काम ये कि अब अगर कोई ये पूछे की "आप के पिताजी क्या करते है ?'" तो सबसे पहले उसे टोकिये और ये बताइये की आप की माता जी क्या करती है।

मिस्टर गौरव की अन्य किताबें

Kokilaben Hospital India

Kokilaben Hospital India

We are urgently in need of kidney donors in Kokilaben Hospital India for the sum of $450,000,00,For more info Email: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com WhatsApp +91 779-583-3215 अधिक जानकारी के लिए हमें कोकिलाबेन अस्पताल के भारत में गुर्दे के दाताओं की तत्काल आवश्यकता $ 450,000,00 की राशि के लिए है ईमेल: kokilabendhirubhaihospital@gmail.com व्हाट्सएप +91 779-583-3215

8 मार्च 2018

मिस्टर गौरव

मिस्टर गौरव

हृदय की अनन्त गहराइयों से आपका आभार रेणु जी। बस इसी तरह अपना आशीर्वाद बनाएं रखें।

4 मई 2017

रेणु

रेणु

गौरव आपने घरेलु महिलाओं का गौरव बढ़ाया है -- आपका बहुत आभार -- कह सकती हूँ बहुत अच्छी सोच रखते हैं आप --

3 मई 2017

1

देवी समान गर्लफ्रेंड

26 मार्च 2017
0
5
3

आज एक 4 साल पुराने मित्र से 6-7 महीने (लगभग) बाद मुलाक़ात हुई। साथ में इनकी माता जी भी थी।हालांकि इनसे सोसल मिडिया के माध्यम से हाल चाल हो जाती थी लेकिन पिछले कुछ महीनो से इनका रिप्लाई आना कम हो गया । मैंने भी सोचा लगता है अपने भविष्य को लेकर चिंतित होगा (जैसे ग्रेजुएशन के बाद अक्सर लोग होते है) इसलि

2

मुस्कुराहट एक परोपकार

27 मार्च 2017
0
1
0

आज के मॉडर्न समय में लोग सारे काम तो मॉडर्न तरीके से करते है लेकिन पहले के लोगो में जो एक हसने और मुस्कुराने की कला थी वो आज के लोगो में कम ही देखने को मिलती है। आज के लोग अपने जीवन की कुछ ज्यादा ही सीरियसली लेते है और इसी कारण से लोगो के चेहरे से मुस्कुराहट और हँसी गायब होती जा रही है। इस तरह रहने

3

बच्ची का संघर्ष

9 अप्रैल 2017
0
2
0

#बच्ची_का_संघर्षआज अनामिका क्लास में आधे घण्टे की देरी से आई, तो क्लास के अन्य बच्चे बोलने लगे की सर जी ! ये रोज देर से आती है इसे क्लास से बाहर निकाल दीजिये। हालांकि प्रक्षिक्षु अध्यापक के रूप में मेरा क्लास(कक्षा-4) का पहला दिन था। मैंने पहले दिन किसी को दंड न देना ही उचित समझा। तो मैंने उसे क्लास

4

बढ़ती बुद्धि : एक समस्या

22 अप्रैल 2017
0
2
3

जिस प्रकार आज के लोग तर्क कुतर्क करते हुए खुद को बुद्धि वाला एवं बुद्धिमान बताते है या एक दूसरे के तर्क-कुतर्क से प्रभावित होकर एक दूसरे को बुद्धिमान मानने लगते है। खुद को सही साबित करने के लिए तमाम तरह के हत्कंडे अपनाते है । आज के युग में लोगो को इस प्रकार देखकर ऐसे लगता है कि आज का युग बुद्धि और ब

5

पेट का साम्राज्य

26 अप्रैल 2017
0
1
0

इंसान प्रत्येक चीज बढाने में विश्वास रखता है चाहे धन-दौलत हो,जमीन -जायजाद हो या रूतबा-शोहरत हो।इन सारी मोहमाया को बढ़ाते बढ़ते न जाने उसके #पेट_का_साम्राज्य(मोटापा) कब बढ़ जाता है पता ही नही चलता। जिस मोहमाया को उसने खुद के लिए बढ़ाया है , जब उस मोहमाया को दोहन करने का समय आता है तो पेट के बढ़े साम्राज्

6

एक प्रश्न: आप की माता जी क्या करती है?

3 मई 2017
0
3
3

"भारतीय नारी" जिसे सम्पूर्ण विश्व प्रेम, स्नेह, त्याग ,तपस्या, वात्सल्य,संघर्ष, समझदारी, बुद्धिमत्ता और नेतृत्व कौशल की देवी के रूप में देखता है। भारतीय संस्कृति में नारी को देवी समान माना गया है विभिन्न अवसरों पर उनकी पूजा होती है। वेदों में ये भी कहा गया है कि "यत्र

7

कैंसर_ट्रेन : सैकड़ों मनुष्यों की जीवन रेखा

14 मई 2017
0
0
0

एक ऐसी ट्रेन जो उसमे बैठने वालों को अनंत काल का दर्शन कराती है।इसमें बैठने वाले अधिकतर लोग उस बिमारी से संघर्ष करते नजर आते है जिसके लिए वे खुद जिम्मेदार नही है।ये कोई साधारण बिमारी नही और न ही ये कोई साधारण ट्रेन है। इस आसाधारण बिमारी का नाम है 'कैंसर' और इस ट्रेन का नाम है 'कैंसर ट्रेन'। पंजाब के

8

सफल वैवाहिक जीवन के कुछ सूत्र

20 मई 2017
0
1
0

वैवाहिक जीवन के बाद पति पत्नी की एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारियां, आवश्यकताएं, जरूरते और अपेक्षाएं होती है । वैवाहिक जीवन के सुखपूर्वक चलते रहने के लिए ये सारी चीजे समय से पूरी होती रहनी चाहिए। लेकिन आज के समय में मनुष्य इतना व्यस्त है अपने कामों में ,की इन चीजों पे ध्यान नही दे पता । इसलिए पति पत्नी

9

पर्यावरण और हम

5 जून 2017
0
0
0

इतनी भीषण गर्मी, हर साल टूटता गर्मी का रिकार्ड, सालाना काटे जा रहे करोड़ो पेड़, नदियाँ सूखने की कगार पर, प्रतिदिन हजारो नई गाड़िया सड़को पर, रोज बढ़ता हुआ प्रदूषण, दूषित होती वायु ,थोड़ी दूरी के लिए भी बाइक , कार का प्रयोग, सी.ऍफ़.सी का बढ़ता प्रकोप और कार्बन उत्सर्जन में कोई कमी नही।पर्यावरण दिवस में नाम प

10

ज़ोया और समाज

8 जून 2017
0
0
0

आज ज़ोया की ऑफिस में एक महत्वपूर्ण मीटिंग थी! लेकिन कल रात से ही उसकी तबियत कुछ ठीक नही लग रही थी। आज सुबह जब ज़ोया उठी तो उसे बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी , फिर भी उसने दोनों बच्चों को स्कूल भेजा , पति को ऑफिस ,सास-ससुर के लिए दोपहर का खाना बनाया ,घर की सफाई की और खुद तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गई। त

11

अपनाने की कला

17 जून 2017
0
1
2

एक बड़े व्यापारी की दो बेटियां थी - श्रद्धा और प्रतिष्ठा । समय बीतता गया और दोनों विवाह योग्य हुई। उनके पिता ने उनके लिए दो वरों का चयन किया- यथार्थ और काल्पनिक। एक दिन दोनों वरों को दोनों कन्याओं से मिलने के लिए बुलाया गया। दोनों लड़कियां देखने में अतिसुन्दर लेकिन स्वभाव में दोनों एकदम विपरीत जहाँ एक

12

संगति का प्रभाव

25 जून 2017
0
1
0

एक पेड़ की दो सुखी टहनियां टूट कर नीचे गिर गई! एक टहनी फूल के पौधों के नीचे तो दूसरी कीचड़ में जा गिरी। कुछ समय बाद एक टहनी से सुगन्ध और दूसरी टहनी से दुर्गंध आने लगी।दोनों टहनियां जब मिली तो आपस में विचार करने लगी कि हम दोनों एक ही पेड़ के हिस्से है,फिर भी हमारी महक का इतना अंतर क्यों? सुगन्धित टहनी न

13

उनकी देशभक्ति Vs हमारी देशभक्ति

6 जुलाई 2017
0
4
1

इज़राइलीयों से दुनिया इसलिए खौफ खाती है,क्योंकि वो 85 लाख सिर्फ सच्चे एवं ईमानदार देशभक्त है और यही हाल जापान एवं जर्मनी जैसे राष्ट्रों का भी है। ये ऐसे मुल्क है जो खुद यहां के देशभक्त नागरिकों की वजह से आज विश्व में एक अलग विकसित राष्ट्र वाली छवि रखते है। वही अगर बात भारत के नागरिकों की करे, तो कहन

14

सुचित्रा और माँ

14 जुलाई 2017
0
0
0

सुचित्रा प्रतिदिन कालेज से लौटकर, वहाँ होने वाली परेशानियों का रोना लेकर माँ के सामने बैठ जाती थी।कभी सहेली न बनने की दिक्कत, कभी सहेलियों से होने वाले झगड़े,कभी लड़को से कहा-सुनी तो कभी अध्यापको के उसके प्रति बुरे बर्ताव की दिक्कत। माँ प्रतिदिन उसकी इन बातों को ध्यान से सुनती और सांत्वना देती की सब ठ

15

बहू : बेटी या बहू

19 जुलाई 2017
0
1
0

समाज में अक्सर सुनने और देखने को मिलता है की बेटे को बेटे की तरह, बेटी को बेटी की तरह,पिता को पिता की तरह,माता को माता की तरह , सास-ससुर को सास-ससुर की तरह और तो और दामाद को दामाद की तरह प्यार,सम्मान और आदर देते है लेकिन जब बात बहू की आती है तो बहू को बेटी की तरह प्यार करने की बात होने लगती है। जब ह

16

वो बच्चे

2 अगस्त 2017
0
0
0

घर में घुसते ही उसने देखा! कि आज फिर, माँ अगल-बगल के गरीब बच्चों के साथ खाना खा रही है। माँ को ऐसा करते देख वो बोली ," माँ तुम एक सुबह से उठकर घर की सफाई करती हो, अच्छे अच्छे पकवान बनाती हो और इन बच्चों को बुलाकर घर तो गन्दा करवाती ही हो और सारा खाना भी इन्हें ही खिला देती हो, इतनी मेहनत कर के आखिर

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए