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बढ़ती बुद्धि : एक समस्या

22 अप्रैल 2017

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जिस प्रकार आज के लोग तर्क कुतर्क करते हुए खुद को बुद्धि वाला एवं बुद्धिमान बताते है या एक दूसरे के तर्क-कुतर्क से प्रभावित होकर एक दूसरे को बुद्धिमान मानने लगते है। खुद को सही साबित करने के लिए तमाम तरह के हत्कंडे अपनाते है । आज के युग में लोगो को इस प्रकार देखकर ऐसे लगता है कि आज का युग बुद्धि और बुद्धिमानों का युग न होकर बुद्धि से पीड़ित युग है। इस युग की उचाइयां भी बुद्धि की है और परेशानियां भी बुद्धि की है। मेरा मानना है कि बुद्धि केवल समस्याओं का समाधान ही नही करती है, बल्कि समस्याओं को बढ़ाती भी है। बुद्धि जितनी ज्यादा तेज होगी उसकी तीव्रता में तर्क का जाल भी उतना ही ज्यादा होगा। यदि व्यक्ति की बुद्धि की तीव्रता बढ़ने लगती है तो धीरे धीरे उसके मन में तर्क और कुतर्क के काटे भी चुभने लगते है, जिससे उसका जीवन तनावपूर्ण हो जाता है। उसके मन में अवसाद उत्तपन्न हो जाता है एवं अनेक प्रकार के मनोविकार बढ़ने लगते है और उसकी मनोग्रन्थियां उसके जीवन को कष्टपूर्ण बना देती है। मनुष्य अहंकारी हो जाता है । बुद्धि को अपने तर्को के द्वारा जब दुसरो के तर्कों को काटने का बहाना मिलता है तो उससे भी उसके अहंकार को बड़ा आराम मिलता है । अतः जिस बुद्धि से मन को शांति मिलनी चाहिए वही व्यथा का कारण बनती है। बुद्धि की पीड़ा को अगर कोई शांत कर सकता है तो वो है हृदय के भाव। इसलिए मनुष्य की अपने हृदय के भाव को सकारात्मक दिशा की तरफ मोड़ना चाहिए। बुद्धि का उपयोग लोगो की भलाई एवं समाज के कल्याण में करना चाहिए । यदि आप अपनी बुद्धि का प्रयोग किसी के चेहरे पे मुस्कान लाने के लिए या किसी का जीवन सवाँरने के लिए करते है तो इससे आप को आत्मसंतुष्टि मिलेगी जो आपको तनाव और अवसाद से दूर रखेगी । ख़ुशी, सुख और शांति बुद्धि को बढाने से नही बल्कि बुद्धि का सकारात्मक तरीके से उपयोग करने पर मिलती है। बुद्धि को नियंत्रित करने एवं सही दिशा में ले जाने के लिए अपनी सोच बदलें , नियमित व्ययाम , योग, ध्यान करे और स्वस्थ्य रहें। © गौरव मौर्या

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मिस्टर गौरव

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धन्यवाद रेणु जी।

23 अप्रैल 2017

रेणु

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बहुत रोचक तथ्य है -- सच है अति सर्वत्र वर्जते -- अति घातक है चाहे -- कैसी भी हो

22 अप्रैल 2017

प्रशांत कुमार

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गणित विशेषकर उच्च गणित पढ़ने से वुद्धि बढ़ती है ऐसा माना जाता है। परन्तु टोपोलोजी, गाल्वा सिद्धांत, अ-यूक्लिडि ज्यामिति, तृतीय तथा चतुर्थ घात के समीकरण के हल के ज्ञान से कोई भलाई या जनहित का काम नहीं किया जा सकता है। परन्तु सामान्य गणित जैसे अनुपात, प्रतिशत, लाभ हानि का ज्ञान सिखाने से व्यक्ति खेत किसानी, दुकान, व्यापार का कम कर सकता है।

22 अप्रैल 2017

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देवी समान गर्लफ्रेंड

26 मार्च 2017
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आज एक 4 साल पुराने मित्र से 6-7 महीने (लगभग) बाद मुलाक़ात हुई। साथ में इनकी माता जी भी थी।हालांकि इनसे सोसल मिडिया के माध्यम से हाल चाल हो जाती थी लेकिन पिछले कुछ महीनो से इनका रिप्लाई आना कम हो गया । मैंने भी सोचा लगता है अपने भविष्य को लेकर चिंतित होगा (जैसे ग्रेजुएशन के बाद अक्सर लोग होते है) इसलि

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मुस्कुराहट एक परोपकार

27 मार्च 2017
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आज के मॉडर्न समय में लोग सारे काम तो मॉडर्न तरीके से करते है लेकिन पहले के लोगो में जो एक हसने और मुस्कुराने की कला थी वो आज के लोगो में कम ही देखने को मिलती है। आज के लोग अपने जीवन की कुछ ज्यादा ही सीरियसली लेते है और इसी कारण से लोगो के चेहरे से मुस्कुराहट और हँसी गायब होती जा रही है। इस तरह रहने

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बच्ची का संघर्ष

9 अप्रैल 2017
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#बच्ची_का_संघर्षआज अनामिका क्लास में आधे घण्टे की देरी से आई, तो क्लास के अन्य बच्चे बोलने लगे की सर जी ! ये रोज देर से आती है इसे क्लास से बाहर निकाल दीजिये। हालांकि प्रक्षिक्षु अध्यापक के रूप में मेरा क्लास(कक्षा-4) का पहला दिन था। मैंने पहले दिन किसी को दंड न देना ही उचित समझा। तो मैंने उसे क्लास

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बढ़ती बुद्धि : एक समस्या

22 अप्रैल 2017
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जिस प्रकार आज के लोग तर्क कुतर्क करते हुए खुद को बुद्धि वाला एवं बुद्धिमान बताते है या एक दूसरे के तर्क-कुतर्क से प्रभावित होकर एक दूसरे को बुद्धिमान मानने लगते है। खुद को सही साबित करने के लिए तमाम तरह के हत्कंडे अपनाते है । आज के युग में लोगो को इस प्रकार देखकर ऐसे लगता है कि आज का युग बुद्धि और ब

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पेट का साम्राज्य

26 अप्रैल 2017
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इंसान प्रत्येक चीज बढाने में विश्वास रखता है चाहे धन-दौलत हो,जमीन -जायजाद हो या रूतबा-शोहरत हो।इन सारी मोहमाया को बढ़ाते बढ़ते न जाने उसके #पेट_का_साम्राज्य(मोटापा) कब बढ़ जाता है पता ही नही चलता। जिस मोहमाया को उसने खुद के लिए बढ़ाया है , जब उस मोहमाया को दोहन करने का समय आता है तो पेट के बढ़े साम्राज्

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एक प्रश्न: आप की माता जी क्या करती है?

3 मई 2017
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"भारतीय नारी" जिसे सम्पूर्ण विश्व प्रेम, स्नेह, त्याग ,तपस्या, वात्सल्य,संघर्ष, समझदारी, बुद्धिमत्ता और नेतृत्व कौशल की देवी के रूप में देखता है। भारतीय संस्कृति में नारी को देवी समान माना गया है विभिन्न अवसरों पर उनकी पूजा होती है। वेदों में ये भी कहा गया है कि "यत्र

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कैंसर_ट्रेन : सैकड़ों मनुष्यों की जीवन रेखा

14 मई 2017
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एक ऐसी ट्रेन जो उसमे बैठने वालों को अनंत काल का दर्शन कराती है।इसमें बैठने वाले अधिकतर लोग उस बिमारी से संघर्ष करते नजर आते है जिसके लिए वे खुद जिम्मेदार नही है।ये कोई साधारण बिमारी नही और न ही ये कोई साधारण ट्रेन है। इस आसाधारण बिमारी का नाम है 'कैंसर' और इस ट्रेन का नाम है 'कैंसर ट्रेन'। पंजाब के

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सफल वैवाहिक जीवन के कुछ सूत्र

20 मई 2017
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वैवाहिक जीवन के बाद पति पत्नी की एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारियां, आवश्यकताएं, जरूरते और अपेक्षाएं होती है । वैवाहिक जीवन के सुखपूर्वक चलते रहने के लिए ये सारी चीजे समय से पूरी होती रहनी चाहिए। लेकिन आज के समय में मनुष्य इतना व्यस्त है अपने कामों में ,की इन चीजों पे ध्यान नही दे पता । इसलिए पति पत्नी

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पर्यावरण और हम

5 जून 2017
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इतनी भीषण गर्मी, हर साल टूटता गर्मी का रिकार्ड, सालाना काटे जा रहे करोड़ो पेड़, नदियाँ सूखने की कगार पर, प्रतिदिन हजारो नई गाड़िया सड़को पर, रोज बढ़ता हुआ प्रदूषण, दूषित होती वायु ,थोड़ी दूरी के लिए भी बाइक , कार का प्रयोग, सी.ऍफ़.सी का बढ़ता प्रकोप और कार्बन उत्सर्जन में कोई कमी नही।पर्यावरण दिवस में नाम प

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ज़ोया और समाज

8 जून 2017
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आज ज़ोया की ऑफिस में एक महत्वपूर्ण मीटिंग थी! लेकिन कल रात से ही उसकी तबियत कुछ ठीक नही लग रही थी। आज सुबह जब ज़ोया उठी तो उसे बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी , फिर भी उसने दोनों बच्चों को स्कूल भेजा , पति को ऑफिस ,सास-ससुर के लिए दोपहर का खाना बनाया ,घर की सफाई की और खुद तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गई। त

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अपनाने की कला

17 जून 2017
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एक बड़े व्यापारी की दो बेटियां थी - श्रद्धा और प्रतिष्ठा । समय बीतता गया और दोनों विवाह योग्य हुई। उनके पिता ने उनके लिए दो वरों का चयन किया- यथार्थ और काल्पनिक। एक दिन दोनों वरों को दोनों कन्याओं से मिलने के लिए बुलाया गया। दोनों लड़कियां देखने में अतिसुन्दर लेकिन स्वभाव में दोनों एकदम विपरीत जहाँ एक

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संगति का प्रभाव

25 जून 2017
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एक पेड़ की दो सुखी टहनियां टूट कर नीचे गिर गई! एक टहनी फूल के पौधों के नीचे तो दूसरी कीचड़ में जा गिरी। कुछ समय बाद एक टहनी से सुगन्ध और दूसरी टहनी से दुर्गंध आने लगी।दोनों टहनियां जब मिली तो आपस में विचार करने लगी कि हम दोनों एक ही पेड़ के हिस्से है,फिर भी हमारी महक का इतना अंतर क्यों? सुगन्धित टहनी न

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उनकी देशभक्ति Vs हमारी देशभक्ति

6 जुलाई 2017
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इज़राइलीयों से दुनिया इसलिए खौफ खाती है,क्योंकि वो 85 लाख सिर्फ सच्चे एवं ईमानदार देशभक्त है और यही हाल जापान एवं जर्मनी जैसे राष्ट्रों का भी है। ये ऐसे मुल्क है जो खुद यहां के देशभक्त नागरिकों की वजह से आज विश्व में एक अलग विकसित राष्ट्र वाली छवि रखते है। वही अगर बात भारत के नागरिकों की करे, तो कहन

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सुचित्रा और माँ

14 जुलाई 2017
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सुचित्रा प्रतिदिन कालेज से लौटकर, वहाँ होने वाली परेशानियों का रोना लेकर माँ के सामने बैठ जाती थी।कभी सहेली न बनने की दिक्कत, कभी सहेलियों से होने वाले झगड़े,कभी लड़को से कहा-सुनी तो कभी अध्यापको के उसके प्रति बुरे बर्ताव की दिक्कत। माँ प्रतिदिन उसकी इन बातों को ध्यान से सुनती और सांत्वना देती की सब ठ

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बहू : बेटी या बहू

19 जुलाई 2017
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समाज में अक्सर सुनने और देखने को मिलता है की बेटे को बेटे की तरह, बेटी को बेटी की तरह,पिता को पिता की तरह,माता को माता की तरह , सास-ससुर को सास-ससुर की तरह और तो और दामाद को दामाद की तरह प्यार,सम्मान और आदर देते है लेकिन जब बात बहू की आती है तो बहू को बेटी की तरह प्यार करने की बात होने लगती है। जब ह

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वो बच्चे

2 अगस्त 2017
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घर में घुसते ही उसने देखा! कि आज फिर, माँ अगल-बगल के गरीब बच्चों के साथ खाना खा रही है। माँ को ऐसा करते देख वो बोली ," माँ तुम एक सुबह से उठकर घर की सफाई करती हो, अच्छे अच्छे पकवान बनाती हो और इन बच्चों को बुलाकर घर तो गन्दा करवाती ही हो और सारा खाना भी इन्हें ही खिला देती हो, इतनी मेहनत कर के आखिर

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