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हिंदी में उपलब्‍ध वि‍ज्ञान, तकनीकी साहि‍त्‍य, पाठ्यक्रम और रोजगार के अवसर

23 अगस्त 2017

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राहुल खटे (Rahul Khate) इस वेबसाईट का नि‍र्माण हिंदी के ज्ञानवर्धक पक्ष के प्रचार-प्रसार के लि‍ए कि‍या गया है। इसमें दी गई सामग्री का उपयोग शि‍क्षा-अनुसंधान और हिंदी के प्रचार-प्रसार के लि‍ए किया जा सकता हैं। Tuesday, December 6, 2016 हिंदी में उपलब्‍ध वि‍ज्ञान, तकनीकी साहि‍त्‍य, पाठ्यक्रम और रोजगार के अवसर राहुल खटे उप प्रबंधक(राजभाषा) मोबाइल: 09483081656 ई-मेल: rahulkhate@gmail.com वेबसाईट: www.rahulkhate.online http://www:राहुलखटे.भारत/ प्राय: समझा जाता है कि, वि‍ज्ञान और तकनीकी की पढाई केवल अंग्रेजी में ही संभव है। ऐसी धारणा होना स्‍वाभावि‍क भी है क्‍योंकि हमारी शि‍क्षा प्रणाली में यही पढाया जाता है कि वि‍ज्ञान की पढाई केवल अंग्रेजी में ही हो सकती है। वि‍ज्ञान और हिंदी के सभी वि‍द्वान यही बताते हुए पाए जाते हैं कि वि‍ज्ञान की परि‍भाषा केवल अंग्रेजी में ही करना संभव है। बड़े-बड़े पुरस्‍कार प्राप्‍त हिंदी के वि‍द्वान हिंदी का महिम-मंडन करते नहीं थकते, लेकिन जब उनके अपने बच्‍चों को स्‍कूल में दाखि‍ला देने का समय आता है, तो वे अंग्रेजी के स्‍कूलों को ही प्राधान्‍य देते हैं। दूसरी तरफ वि‍ज्ञान के विद्वान जब भी वि‍ज्ञान की बात करेंगे तो उनके जुबान से अंग्रेजी ही हावी रहेगी । एक और तर्क दि‍या जाता है कि विज्ञान का उगम ही पश्‍चि‍म की अंग्रेजी भाषा में हुआ है, इसलि‍ए उसे वि‍ज्ञान केवल अंग्रेजी में ही पढना और पढाना उचि‍त है। इसमें वि‍ज्ञान वि‍षय की पर्याप्‍त मात्रा में सामग्री न होने का भी कुतर्क दि‍या जाता है। वि‍किपीडि‍या पर प्रकाशि‍त एक लेख के अनुसार हिंदी के 3500लेखक हैं जो वि‍ज्ञान के वि‍भिन्‍न वि‍षयों पर लि‍खते हैं और ऐसे पुस्‍तकों की संख्‍या 8000 के आसपास जो वि‍ज्ञान के वि‍षयों पर लि‍खी गई हैं। चंद्रकांत राजू की पुस्‍तक ''क्‍या वि‍ज्ञान का जन्‍म पश्‍चि‍म में हुआ है?'' पुस्‍तक में स्‍पष्ट रूप से बताया गया है कि किस प्रकार भारतीय प्राचीन विज्ञान के सूत्र जो पहले संस्‍कृत में थे, किस प्रकार अंग्रेजी और अन्‍य भाषाओं में अनुदीत कर उसे अपने नाम से प्रसारि‍त किया गया है। अब हम इस वि‍षय पर वि‍चार करेंगे कि भारत में वर्तमान समय क्‍या वि‍ज्ञान की पढाई हिंदी में संभव है और यदि‍ संभव है तो किस कक्षा तक, क्‍योंकि वि‍ज्ञान की पढाई हिंदी में करवाना तो संभव है यह कुछ पालक जानते हुए भी अधि‍कतर पालक अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडि‍यम स्‍कूलों में इसलि‍ए भेजते हैं, क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि जब आगे की पढाई अंग्रेजी में ही करनी है, तो बचपन से ही उन्‍हें अंग्रेजी की आदत क्‍यों न डाल दें। लेकिन पालकों को यह नहीं पता होता कि उनके बच्‍चों यदि‍ बचपन में मातृभाषा और हिंदी में वि‍ज्ञान और गणि‍त जैसे कठीण वि‍षय पढेंगे तो उनकी समझ बढेगी और जटील संकल्‍पनाओं को वे और बेहतर ढंग से समझ पाऐंगे। लेकिन माध्‍यमि‍क, उच्च और महावि‍द्यालयीन तथा वि‍श्ववि‍द्यालयीन स्‍तर की तकनीकी और विज्ञान की पुस्‍तकें और पढाई हिंदी में उपलब्‍ध है तो फि‍र स्‍कूल और बचपन में ही अंग्रेजी का बोझ लादने की आवश्‍यकता क्या है। बच्चों के बस्‍तें और दि‍माग पर बोझ बढाने से अच्‍छा है उन्‍हें मातृभाषा और हिंदी में लि‍खी गई वि‍ज्ञान की पुस्‍तकें पढवाई जाए, इससे उनकी वि‍ज्ञान संबंधी सोच स्‍पष्‍ट होगी ओर उनके कोमल मन और बुद्धि‍ पर वि‍देशी भाषा का बोझ भी नहीं बढेगा। माध्यमिक शिक्षा के बाद सारी पढाई अंग्रेजी में होने की वजह से भारतीय वि‍द्यार्थी हीन भावना के शिकार भी होते हैं, साथ में उनकी विज्ञान की कोई सोच विकसित नहीं हो पाती या सीधे शब्दों में कहें तो बच्चे अंग्रेजी से सीधे तौर पर सहज नहीं हो पाते हैं, जिससे कि उनके वि‍चारों में मौलिकता की कमी हो जाती है। माध्यमिक स्तर के बाद विज्ञान, इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रोफ़ेशनल कोर्सेस की भाषा हिंदी में होनी चाहिए तभी विज्ञान का सही मायनों में प्रसार होगा। हिंदी में विज्ञान को शैक्षणिक स्तर के साथ साथ रोजगार की भाषा भी बनाना होगा। कहने का मतलब यह है कि अगर कोई छात्र हिंदी माध्यम से विज्ञान या इंजीनियरिंग आदि की पढाई करें तो उसे बाजार भी सपोर्ट करें जिससे कि उसे नौकरी मिल सके। उसके साथ रोजगार के मामले में भेदभाव नहीं होना चाहिए। सरकार को इसके लिए एक व्यवस्था विकसित करनी होगी तभी हिंदी विज्ञान की भाषा बन पायेगा। इसी तरह हिंदी में विज्ञान संचार को भी रोजगारपरक बनाते हुए बढ़ावा देना होगा। इसका एक और फायदा यह है कि महावि‍द्यालयीन और वि‍श्ववि‍द्यालय स्‍तर की पढाई को जो सामान्‍यत: 4 से 5 वर्षेां की होती है, उसे घटाकर 2 से 3 वर्षों का किया जा सकता है और अंग्रेजी समझने में लगने वाले समय और मेहनत से भी बचा जा सकता है। भारत सरकार के राजभाषा नीति‍ को कार्यान्‍वीत करने में भी इससे गति‍ मि‍लेगी क्‍योंकि युवापीढि‍ हिंदी में तकनीकी और वि‍ज्ञान के वि‍षयों को पढेंगे तो उन्‍हें केंद्र सरकार के कार्यालयों में रोजगार प्राप्त करने पर अलग से हिंदी प्रशि‍क्षण योजना के माध्‍यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ की कक्षाओं को चलाने की भी आवश्‍यकता नहीं होगी और उन्‍हें सीधे 'पारंगत' पाठ्यक्रम में प्रवेश दि‍या जा सकता है। इसके अति‍रि‍क्त यदि‍ स्‍नातक और स्‍नातकोत्तर स्‍तर पर कार्यालयीन हिंदी भाषा को अनि‍वार्य तौर पर एक वि‍षय के रूप में लागू किया गया तो इससे भी राजभाषा हिंदी के प्रशि‍क्षण और कार्यान्‍वयन को और भी गति‍ मि‍लेगी। प्राय: देखा गया है कि सरकारी कार्यालयों में भर्ती होने वाले अधि‍कतर लोग अपने तकनीकी और वि‍ज्ञान के वि‍षयों को अंग्रेजी में पढ़कर आते है, इसलि‍ए उन्‍हें अपना कार्य हिंदी में करने में कठीनाई जाती है, जि‍सके लि‍ए ऐसे कर्मचारि‍यों के लि‍ए अलग से प्रशि‍क्षण कार्यक्रम चलाना पड़ता है, जो सि‍र्फ हिंदी में कार्यालयीन कार्य में प्रवीण बनाने के लि‍ए होता है। भारत के कुछ राज्‍यों में विज्ञान वि‍षयों को हिंदी में पढने और पढाने से अच्‍छे परि‍णाम सामने आने लगे है। अधि‍कतर स्‍पर्धा परीक्षाओं में अव्वल आने वाले वि‍द्यार्थी हिंदी माध्‍यमों से अच्‍छे अंक प्राप्‍त करते दि‍खाई दे रहे हैं। खासकर जटील वि‍षयों को अपनी भाषा में पढने से वि‍षय को समझने में आसानी होती है। स्‍कूल के वि‍ज्ञान के साथ-साथ माध्‍यमि‍क, उच्‍च माध्‍यमि‍क,महावि‍द्यालयीन, स्‍नातक और स्‍नातकोत्तर के वि‍ज्ञान और तकनीकि संबंधी वि‍षयों की पुस्‍तकें हिंदी में भी उपलब्‍ध है, जि‍सकी जानकारी अधि‍कतर लोगों को नहीं है। जैसे वि‍ज्ञान की सभी शाखाओं,तकनीकी, अभि‍यांत्रि‍की, पॉलि‍टेक्‍नीक, आइटीआइ, सीए, सीएस,सीएमए, कंप्‍यूटर, आयकर(टैक्‍स), स्‍पर्धा परिक्षाओं की तैयारी से संबंधि‍त पुस्‍तकें, धर्म, वि‍धि‍शास्‍त्र, मेडि‍कल, नर्सिंग, औषध नि‍र्माण(फार्मसी), बी फार्मसी की पुस्‍तकें भी हिंदी में उपलब्‍ध हैं। राजस्‍थान, छत्तीसगढ़, मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश,बि‍हार, दि‍ल्‍ली, पंजाब, हरि‍याणा आदि‍ राज्‍यों में वि‍ज्ञान वि‍षयों का हिंदी में आसानी से पढाया और समझाया जा सकता है। इससे स्‍पर्धा परीक्षा और अन्‍य परीक्षाओं में भी अव्‍वल स्‍थान प्राप्‍त किया जा सकता है। एमएस सी आयटी जैसे कंप्‍यूटर कोर्सेस में यदि भाषा संबंधी एक अध्‍याय जोड़ दि‍या जाए तो कंप्‍यूटर में प्रशि‍क्षण प्राप्‍त करते समय ही हिंदी और अन्‍य भारतीय भाषाओं में कंप्यूटर पर कार्य करने का प्रशि‍क्षण दि‍या जा सकता है। वर्तमान समय में प्राथमि‍क, माध्‍यमि‍क, उच्चतर, महावि‍द्यालयीन,स्‍नातकोत्तर, स्‍नातक, वि‍श्ववि‍द्यालय स्‍तर की वि‍भि‍न्न वि‍षयों की पुस्‍तकें हिंदी में उपलब्ध है, जि‍नकी जानकारी हम प्राप्त करेंगे। वि‍ज्ञान शाखा से ग्‍यारहवीं और बारहवीं कक्षाओं के बाद बीएस.सी,बी.कॉम. बी.सीए, इलेक्‍ट्रि‍कल, इलेक्‍ट्रॉनि‍क्‍स, इंजि‍नि‍यरिंग, नर्सिंग तथा एलएलबी (वि‍धि‍) की पढाई हिंदी में की जा सकती हैं। लेकिन इसमें एक समस्‍या यह हैं कि जो लोग पहले से ही इन विषयों को अंग्रेजी में पढ़कर कॉलेजों तथा वि‍श्‍ववि‍द्यालयों में पढा रहें हैं, उन्‍हें इन वि‍षयों को पहले हिंदी में पढना होगा तभी वे अपने वि‍द्यार्थिंयों का हिंदी में पढा पाऐंगे। इसके लि‍ए, डी.एड, बी.एड, तथा एम.एड के पाठ्यक्रमों में भी पहले इन विषयों को हिंदी में पढ़ने का पर्याय उपलब्‍ध कराना होगा। इसके लि‍ए भारत सरकार के उच्चशि‍क्षा तथा तकनीकी शि‍क्षा वि‍भाग द्वारा वि‍शेष ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है। इन सभी परि‍वर्तनों से हमारे देश की वैज्ञानि‍क चेतना में जागृति‍ बढेगी और केवल अंग्रेजी के बोझ के नीचे दबे प्रति‍भाशाली वि‍द्यार्थिंयों के भवि‍ष्‍य को सवॉरने में भी सहायता मि‍लेगी । इन वि‍षयों में अर्थशास्‍त्र (Economics), पर्यावरण(Environment), कंप्‍यूटर (Computer), लेखांकण(Accountancy), आयकर (Income Tax), अंकेषण (Audit),वाणि‍ज्‍य (Commerce), प्रबंधन (Management), ग्रामीण वि‍कास (Rural Development), वि‍पणन (Marketing), मानव संसाधन(Human Resource), प्राणी वि‍ज्ञान (Zoology), जीव वि‍ज्ञान (Biology), प्राणीशास्‍त्र (Zoology), प्रति‍रक्षा वि‍ज्ञान(Resistance Science), सूक्ष्‍मजीव शास्‍त्र (Micro-biology),जैव प्रौद्योगि‍की (Bio-Technology), वनस्‍पति‍शास्‍त्र (Botany),पारि‍स्‍थि‍ति‍की पर्यावरण वि‍ज्ञान (Environment Science),अनुप्रयुक्त प्राणीशास्‍त्र(Applied Zoology), जैव सांख्‍यि‍की(Bio-Statics), प्रकाशि‍की (Optics) , सांख्‍यि‍किय और उष्‍मा-गति‍कि, भौति‍की (Physics), गणि‍त भौति‍की (Mathematics Physics), प्रारंभि‍क क्‍वान्‍टम यांत्रि‍की, स्‍पेक्‍ट्रोस्‍कोर्पी(Spectroscopy), प्रायोगि‍क भौति‍क अवकल समीकरण(Experimental Physics), संख्‍यात्‍मक वि‍ष्‍लेषण (Statistics Analysis), नि‍र्देशांक ज्‍यामि‍ति‍ (Directive Geometry),दीमीव, सदि‍शकलन, सम्‍मि‍श्र वि‍श्‍लेषण, गति‍ वि‍ज्ञान (Speed Science), कार्बनि‍क और अकार्बनि‍क रसायन (Organic and inorganic Chemistry), कार्बनि‍क रसायन विज्ञान(Organic Chemistry), भौति‍क रसायन(Physics Chemistry),प्रायोगि‍क रसायन (Practical Chemistry), शोध पद्धति‍(Research Methodology), सहकारि‍ता वि‍ज्ञान (Co-Operation Science), प्रायोगि‍क वनस्‍पति‍ कोश(Experimental Botany Dictionary), प्रायोगि‍क वनस्‍पति‍शास्‍त्र (Experimental Botany), भृण विज्ञान(Embryology), आण्‍वि‍क जैवि‍की और जैव प्रौद्योगि‍की(Otomic Biology and Bio Technology), पारि‍स्‍थि‍ति‍की और वनस्‍पति‍विज्ञान (Ecology and Botany), भ्रौणि‍की(Embryology Science), पर्यावरणीय जैवि‍की(Environmental Biology), अनुप्रयुक्त प्राणीशास्‍त्र और व्‍यावहारि‍की(Applied Zoology and Behavior Science),जैव सांख्‍यि‍की(Bio Statices), प्रायोगि‍क प्राणीविज्ञान(Practical Zoology), कॉर्डेटा (Cordeta), नाभि‍किय भौति‍की(Nuclear Physics), ठोस अवस्‍था भौति‍की (Solid State Physics), वि‍द्यूत चुंबकत्‍व (Electric Magnetic), वि‍द्युत चुंबकिकी (Electric Magnetic Science), पर्यावरण अध्‍ययन(Environmental Study), शैवाल, लाइकेन एवं बायोफाइटा(Liken and Biotech), सूक्ष्‍म जैवि‍की (Micro-Biology),प्राणि‍ वि‍वि‍धता एवं जैव वि‍कास (Diversity of animals and evolution), कवक एवं पादप रोग विज्ञान(, परि‍वर्धन जैवि‍की(Developmental Biology), पादक कार्यि‍की और जैव रसायन(Plant Psychology and Bio Chemistry)कोशि‍का वि‍ज्ञान अनुवांशि‍की एवं पादप प्रजनन, पादप शरीर क्रि‍या वि‍ज्ञान और जैव रसायन (Plant Physiology and Bio Chemistry) शैवाल,शैवक एवं ब्रायोफायटा, टेरि‍ओडोफायटा जि‍म्‍नोस्‍पर्म और पेलि‍योबॉटनी (Terodofita, Gymnosperms and Paleontology), समि‍श्र वि‍श्‍लेषण (Complex Analysis),अमूर्त बीजगणि‍त (Abstract Algebra), अवकलन गणि‍त,समाकलन गणि‍त, रेखीय सि‍द्धांत, वि‍वि‍क्त गणि‍त, इष्‍टमि‍ति‍करण सि‍द्धांत, त्रि‍वि‍म नि‍र्देशांक ज्‍यामि‍ति‍, सांख्‍यि‍किय और उष्‍मागति‍की भौति‍की, इलेक्ट्रानि‍क्‍स एंव ठोस प्रावस्‍था युक्‍ति‍यॉं, द्वि‍मीय नि‍र्देशांक ज्‍यामि‍ति‍, त्रि‍वि‍म नि‍र्देंशांक ज्‍यामि‍ति‍, व्‍यावसायि‍क सांख्‍यि‍की, उद्यमि‍ता और लघु व्‍यापार प्रबंधन, नि‍गमीय और वि‍त्तीय लेखांकण, भारतीय बैंकिंग, वि‍त्तीय व्‍यवस्‍था, व्‍यापारि‍क वि‍धि‍,सामान्‍य प्रबंधन, विपणन प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन, उच्चतर प्रबंधन, लेखांकण, व्‍यावसायि‍क वातावरण, वि‍पणन शोध प्रबंध,प्रबंधकिय अर्थशास्‍त्र, वि‍ज्ञापन प्रबंधन, अंतर्राष्ट्रीय वि‍पणन, मानव संसाधन प्रबंध, क्रि‍यात्‍मक (प्रयोजनमूलक) प्रबंधन, व्‍यावसायि‍क बजटन, परि‍योजना नि‍योजन एवं बजटरी नि‍यंत्रण, भारत की संवैधानि‍क वि‍धि‍, वि‍धि‍क भाषा इत्‍यादि‍। बी एस.सी. के लि‍ए उपयोगी प्राणि‍ कार्यि‍की एवं जैव रसायन,प्रति‍रक्षा वि‍ज्ञान, सूक्ष्‍म जीववि‍ज्ञान एवं जैव प्रौद्योगि‍की, प्रायोगि‍त प्राणी विज्ञान, कॉडेटा (संरचना एवं कार्य), पारि‍स्‍थि‍ति‍की एवं पर्यावरण जैवि‍क, बी.एससी पार्ट 3 के लि‍ए अनुप्रयुक्त प्राणीशास्‍त्र,व्‍यावहारि‍की एवं जैवसांख्‍यि‍की, तृतीय वर्ष के लि‍ए प्रायोगि‍क प्राणि‍वि‍ज्ञान, प्रकाशि‍की(भौति‍की) सांख्‍यि‍किय और उष्‍मा गति‍की भौति‍की बी.एस.सी द्वि‍तीय वर्ष के लि‍ए। बी.एससी. (तृतीय वर्ष के लि‍ए) प्रारंभि‍क क्‍वॉटम और स्‍पेक्‍ट्रोस्‍कोपी, वास्‍तवि‍क वि‍श्‍लेषण,अवकलन समीकरण (डि‍फ्रंशि‍यल इक्‍वीशन्‍स), नि‍देशांक ज्‍यामि‍ति‍,द्वीमीव, सदीश कलन, समि‍श्र मि‍श्रण, गति‍ वि‍ज्ञान, कार्बनि‍क और अकार्बनि‍क रसायन, इ.उपलब्‍ध हैं। अर्थशास्‍त्र में व्‍यावसायि‍क सांख्‍यि‍की, व्‍यावसायि‍क अर्थशास्‍त्र,समाजशास्‍त्र, मनोवि‍ज्ञान की पुस्‍तकें भी उपलब्‍ध है। अब पॉलि‍टेक्‍नि‍क की पुस्‍तकें के बारे में जानेंगे। पॉलि‍टेक्‍नि‍क के द्वि‍ति‍य और तृतीय वर्ष की पुस्‍तकें: प्रथम वर्ष के लि‍ए बेसि‍क इलेक्‍ट्रानि‍क्स,बेसि‍क इलेक्‍ट्रि‍कल इंजि‍नीयरिंग, इलेक्‍ट्रि‍कल मैनेजमेंट और इन्‍स्ट्रूमेंशन, इलेक्‍ट्रि‍कल सर्किट थ्‍योरी, इनेक्‍ट्रि‍कल मशीन, पावर सि‍स्‍टम, माइक्रो प्रोसेसर और सी प्रोग्रामिंग, इलेक्‍ट्रि‍क वर्कशॉप,स्‍टेंथ ऑफ मटेरि‍यल, फ्यूयि‍ड मैंकेनि‍क्‍स एण्‍ड मशीन, इंजि‍नि‍यरिंग मटेरि‍यल एण्‍ड प्रोसेसिंग, मशीन ड्रार्इंग और कंप्‍यूटर एडेड ड्राफ्टींग,बेसि‍क ऑटोमोबाइल इंजि‍नि‍यरिंग, इलेक्‍ट्रि‍कल इलेक्‍ट्रानि‍क्‍स इंजि‍नयरिंग, थर्मोडायनामि‍क्‍स और अंर्तदहन इंजि‍न, वर्कशॉप टेक्‍नॉलॉजी और मेट्रोलॉजी, सी प्रोग्रामिग, बि‍डिंग टेक्‍नॉलॉजी,सर्वेयिंग, ट्रान्‍सपोर्ट इंजि‍नि‍यरिंग, सॉईल फाउंडेशन इंजि‍नि‍यरिंग,कॉन्‍क्रि‍ट टेक्‍नोलॉजी, बि‍ल्‍डिंग ड्रार्इंग इत्‍यादि‍। इलेक्ट्रीकल और इलेक्ट्रानि‍क्स इंजि‍नि‍यरिंग की पुस्‍तकें भी हिंदी में उपलब्‍ध हैं - बेसि‍क इलेक्ट्रॉनि‍क्स, बेसि‍क मैकेनि‍कल इंजीनि‍यरिंग,बेसि‍क इलेक्ट्रि‍कल इंजि‍नीयरिंग, इलेक्‍ट्रि‍कल प्रबंधन (मैंनेजमेंट)एण्‍ड इंस्‍टूमेंटेशन, इलेक्ट्रि‍कल सर्किट थ्‍योरी, इलेक्‍ट्रि‍कल मशीन,पावर सि‍स्‍टम, माइक्रो प्रोसेसर और सी प्रोग्रामिंग, इलेक्‍ट्रि‍कल वर्कशॉप, इंटर प्रोन्‍यूरशि‍प एण्‍ड मैनेजमेंट, प्रशासनि‍क वि‍धि। इन पुस्‍तकों के माध्‍यम से आसानी से इलेक्‍ट्रि‍कल इंजि‍नि‍यरिंग की पढाई पूरी की जा सकती है। सामान्‍य अर्थशास्‍त्र, लेखांकण के मूल तत्व, परि‍णामात्‍मक अभि‍रूचि‍, व्‍यापारि‍क वि‍धि‍, व्‍यापारि‍क वि‍धि‍, नीति‍शास्‍त्र और संरचना, व्‍यापारि‍क वि‍धि‍, नीति‍शास्‍त्र और संचार, अंकेषण और आश्‍वासन इत्‍यादि‍ पुस्‍तकें उपलब्‍ध हैं, जिन्‍हें राजस्थान वि‍श्‍ववि‍द्यालय में समावि‍ष्‍ट किया गया है। प्राय: देखा जाता है कि वि‍धि‍ संबंधी पुस्‍तकें हिंदी में न मि‍लने के कारण हमारी न्‍यायव्‍यवस्‍था से आवाज उठती है कि हिंदी को न्‍यायालयों में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है। लेकिन हिंदी में भी एलएलबी की पुस्‍तकें उपलब्‍ध हैं, जो इस प्रकार हैं' वि‍धि‍शास्‍त्र एवं वि‍धि‍ के सि‍द्धांत, अपराध वि‍धि‍, संपत्ती अंतरण अधि‍नि‍यम एवं सुखाधि‍कार, कंपनी वि‍धि‍, अंतर्राष्‍ट्रीय वि‍धि‍ और मानवाधि‍कार,श्रम कानून (वि‍धि‍), प्रशासनि‍क वि‍धि‍, आयकर अधि‍नि‍यम, बीमा वि‍धि‍ इत्‍यादि‍ जि‍नकी सहायता से वि‍द्यार्थी हिंदी में कानून की पढाई की जा सकती है। इससे आगे चलकर यहि‍ लोग न्‍यायालयों में हिंदी में अपनी बात रख सकते हैं। इसमें संवि‍दा वि‍धि‍, दुष्‍कति‍ वि‍धि‍(मोटर वाहन अधि‍नि‍यम और उपभोक्ता), हिंदु(लॉ) वि‍धि‍, मुस्‍लि‍म(लॉ) वि‍धि‍, भारत का संवैधानि‍क वि‍धि‍, वि‍धि‍क भाषा लेखन और सामान्‍य अंग्रेजी, भारत का वि‍धि‍क और संवैधानि‍क इति‍हास,लोकहि‍त वाद और वि‍धि‍क सहायता और पैरा लीगल सर्वि‍सेस इत्‍यादि। इसके अति‍रि‍क्‍त कृषि‍ वि‍ज्ञान और पशुचि‍कित्‍सा जैसे वि‍षयों को हिंदी में पढाने से भी उसका सीधा फायदा पाठकों को होगा क्‍योकि यह दोनों वि‍षय देश की मि‍ट्टी से जुड़े हैं। कृषि‍ वि‍ज्ञान को हिंदी में पढाये जाने से देश की कृषि‍ व्‍यवस्‍था को इसका लाभ ही होगा। जि‍सकी पूस्‍तकें भी हिंदी में उपलब्‍ध है। कंप्‍यूटर की पढाई में सी-प्रोग्रामिंग, इलेक्ट्रॉनि‍क्‍स और शॉप प्रक्‍टि‍स, सर्किट एनॅलीसि‍स,इलेक्‍ट्रॉनि‍क्‍स मेजरमेंट एण्‍ड इन्‍स्‍ट्रुमेंटेशन, इलेक्‍ट्रॉनि‍क डि‍वाईसेस एवं सर्किटस्, डि‍जीटल इलेक्‍ट्रॉनि‍क्‍स, वेब प्रोपोगेशन एवं कम्‍यूनि‍केशन इंजि‍नि‍यरिंग, इलेक्‍ट्रॉनि‍क्‍स इन्‍स्‍ट्रुमेंटेशन, आदि‍ तकनीकी वि‍षयों का समावेश है। भारत सरकार के केंद्रीय वि‍श्‍ववि‍द्यालय जैसे महात्‍मा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय हिंदी वि‍श्‍ववि‍द्यालय, वर्धा और अटल बि‍हारी वाजपेयी वि‍श्‍ववि‍द्यालय, भोपाल ने ऐसे कुछ पाठ्यक्रमों को हिंदी में पढाने का शुभारंभ भी किया है, जि‍समें प्रबंधन, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी,कम्प्यूटर साइंस, हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, मनोविज्ञान, मीडिया, फिल्म अध्ययन, भौतिकी, गणित, सूचना-प्रौद्योगिकी एवं भाषा-अभियांत्रिकी आदि‍ वि‍षय सम्‍मि‍लि‍त हैं। इसके अति‍रि‍क्‍त भाषा संबंधी कुठ पाठ्यक्रमों का भी समावेश है, जैसें पी-एच.डी. स्पेनिश,एम.फिल. (कंम्‍प्‍यूटेशनल लिंग्विस्टिक्‍स), एम.फिल (कंप्यूटेशनल भाषाविज्ञान), अनुषंगी अनुशासन: अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान कंप्यूटर साइंस, इनफॉरर्मेशन टेक्नोलॉजी, भौतिक विज्ञान, गणित का भी समावेश हैं। इनसे कई रोजगार के अवसर भी उपलब्‍ध होते हैं जैसे कंप्यूटेशनल भाषाविज्ञान के विद्यार्थी देश विदेश के विभिन्न संस्थानों में, विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर एवं शोध अनुषंगी (रिसर्च एसोशिएट) विभिन्न प्रौद्योगिकी संस्थानों जैसे-आई.आई.टी.,आई.आई.आई.टी अथवा विभिन्न शोध संस्थान जैसे सी-डैक अथवा विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भाषा संसाधन विशेषज्ञ या कंप्यूटेशनल भाषाविज्ञानी के रूप में नियुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भी शोध एवं अध्यापन के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। इसके अति‍रि‍क्‍त एम.फिल. चायनीज़, एम. फिल. स्‍पेनिश, एम.फिल. हिंदी (भाषा प्रौद्योगिकी), एम.ए. कंप्‍यूटेशनल लिंग्विस्टिक्‍स पाठ्यक्रमों से भी रोजगार के द्वार खुल गए हैं, जिसके अंतर्गत कम्प्यूटेशनल लिंग्विस्टिक्स के सैद्धांतिक एवं अनुप्रयुक्त क्षेत्र यथा-कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा, प्राकृतिक भाषा संसाधन आदि का अध्ययन किया जाता है।मास्‍टर ऑफ इन्‍फॉरमेटिक्‍स एन्‍ड लैंग्‍वेज इंजीनियरिंग इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत भाषा से जुड़े सूचना एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र का अध्ययन किया जाता है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों में हिंदी भाषा को लेकर नई अवधारणा का विकास करना है। इस पाठ्यक्रम में भाषा-अभियांत्रिकी एवं सूचना-प्रौद्योगिकी से संबद्ध विविध प्रयोगात्मक क्षेत्रों के अध्ययन पर बल दिया जाता है।कम्‍प्‍यूटर अप्लीकेशन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (भाषा प्रौद्योगिकी) भाषा प्रौद्योगिकीय अध्ययन विकास एवं शोध के लिए बौद्धिक संसाधनों का उत्पादन एवं प्रशिक्षण प्रदान करना हैं। इसके अति‍रक चीनी भाषा में एडवांस्‍ड डिप्‍लोमा डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी उपलब्ध हैं। यह एकीकृत पाठ्यक्रम है, जो दो वर्षीय पाठ्यक्रम है, जो चार छमाही में पूर्ण होता है। स्‍पेनिश भाषा में डिप्‍लोमा, यह एक वर्षीय पाठ्यक्रम है, जो दो छमाही में पूर्ण होता है। स्‍पेनिश भाषा में एडवांस्‍ड डिप्‍लोमा, यह दो वर्षीय पाठ्यक्रम है, जो चार छमाही में पूर्ण होता है। जापानी भाषा में डिप्‍लोमा यह एक वर्षीय पाठ्यक्रम है, जो दो छमाही में पूर्ण होता है। मलयालम भाषा में डिप्‍लोमा, उर्दू भाषा में डिप्‍लोमा, डिप्‍लोमा इन कम्‍प्‍यूटर एप्‍लीकेशन, यह एक वर्षीय अंशकालिक पाठ्यक्रम है, जो दो छमाही में पूर्ण होता है। फ्रेंच भाषा में डिप्‍लोमा, यह एक वर्षीय पाठ्यक्रम है, जो दो छमाही में पूर्ण होता है। इसके अति‍रि‍क्त संस्कृत भाषा में डिप्लोमा, स्‍पेनिश भाषा में सर्टिफिकेट, चीनी भाषा में सर्टिफिकेट, फ्रेंच भाषा में सर्टिफिकेट पाठ़यक्रम, जापानी भाषा में सर्टिफिकेट, बांग्‍ला भाषियों के लिए सरल हिंदी शिक्षण में सर्टिफिकेट इत्‍यादि‍ पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। ज्ञान-विज्ञान के सभी क्षेत्रों में शिक्षण, प्रशिक्षण एवं शोध को हिन्दी माध्यम से बढ़ाने हेतु 19 दिसंबर 2011 को मध्यप्रदेश शासन ने अटल बि‍हारी वाजपेयी हिंदी वि‍श्‍ववि‍द्यालय, भोपाल की स्थापना की है। इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण करना है जो समग्र व्यक्तित्व विकास के साथ रोजगार कौशल हिंदी माध्‍यम से करना है। विश्वविद्यालय ऐसी शैक्षिक व्यवस्था का सृजन करना चाहता है, जो भारतीय ज्ञान तथा आधुनिक ज्ञान में समन्वय करते हुए छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों में ऐसी सोच विकसित कर सके जो भारत केन्द्रित होकर सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण को प्राथमिकता दे। इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास 6 जून 2013 को भारत के राष्ट्रपति माननीय श्री प्रणव मुखर्जी के कर कमलों से ग्राम मुगालिया कोट की 50 एकड़ भूमि पर किया गया है। इस वि‍श्‍ववि‍द्यालय में18 संकायों में 200 से अधिक पाठयक्रमों का हिन्दी में निर्माण कर लिया गया है। विश्वविद्यालय में प्रत्येक छात्र को हिंदी भाषा के साथ साथ एक विदेशी भाषा, एक प्रांतीय भाषा के साथ साथ संगणक प्रशिक्षण की सुविधा अंशकालीन प्रमाणपत्र कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध हैं। सभी पाठयक्रमों में आधुनिक ज्ञान के साथ उस विषय में भारतीय योगदान की जानकारी भी दी जाती है तथा संबंधित विषय में मूल्य आधारित व्यावसायिकता के साथ स्वरोजगार की अवधारणा के संवर्धन पर ज़ोर दिया जाता है। अटल बि‍हारी वाजपेयी हिंदी वि‍श्‍ववि‍द्यायल, भोपाल में चिकित्सा,अभियांत्रिकी, विधि, कृषि, प्रबंधन आदि में हिंदी माध्यम से शिक्षण-प्रशिक्षण एवं शोध का कार्य कर रहा हैं। अधि‍क जानकारी के लि‍ए वेबसाइट देखें। संत गाडगेबाबा अमरावती वि‍श्‍ववि‍द्यालय, अमरावती महाराष्‍ट्र में भी एम एम (अनुवाद हिंदी) यह पाठयक्रम चलाया जाता हैं, जि‍समें हिंदी साहि‍त्‍य के साथ-साथ हिंदी भाषावि‍ज्ञान, कोशवि‍ज्ञान,पत्रकारि‍ता, राजभाषा अधि‍नि‍यम, अनुवाद के सि‍द्धांत, हिंदी साहि‍त्‍य का इति‍हास आदि‍ वि‍षय पढाए जाते हैं। इस वि‍षय पर आकाशवाणी-धारवाड पर प्रसारि‍त 'लघुवार्ता' सुनने के लि‍ए इस लिंक को खोलें: https://soundcloud.com/rahul-khate/science-courses-and-books-in-hindi-navaras-programme

अजीत सिंहः की अन्य किताबें

रवि कुमार

रवि कुमार

अजीत भाई , बहुत ही मेहनत से पूरा लेख लिखा , जानकारी भी बहुत अच्छी दी , मगर जब तक हम ही अंग्रेज़ियत को अपना स्टैण्डर्ड समझते चल रहे हैं तो भारतीय भाषाओँ और हिंदी को होना स्थान कैसे मिलेगा . आपके लेख पढ़ कर वाकई प्रसन्नता होती है , अंधेरे में दिए का काम करते हैं

24 अगस्त 2017

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भारतम्

7 अगस्त 2017
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जयतु भारतम्

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भारत और हम

7 अगस्त 2017
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भारत में कुछ अजीबकिस्म के एकता वादी जन्म लेते हैं जो हमेशा यहाँ की वैचारिक परम्पराओं को ही हर घटना के लिए उत्तरदायी ठहराते रहते हैं। चाहे उसमें उसका लेशमात्र भी हिस्सा न हो। और भारत से बाहर जन्मे विचार तो ऐसे हैं उनके लिए कि पूँछो ही मत एक तरफ स्वंय ईश्वर आकर खडा हो जाये तो ये ईश्वर में दोष निकाल सक

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स्वदेशी के आग्रही बनो....

7 अगस्त 2017
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मित्रों हम सबके लिए बहुत ही हर्ष का विषय है कि हमारे बीच अब एक ऐसा सामाजिक एप है जो स्वदेशी है और वह विदेशी एप वाट्सऐप का अविस्मरणीय विकल्प उपलब्ध करा रहा है। हम आपसे पहले भी स्वदेशी के लिए आग्रह कर चुके हैं, और आज फिर एक शुभ घड़ी आई है हाइकएप के रूप में, तो सबसे अनुरोध है वाट्सऐप के खाते को मिटाकर

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स्वदेशी के आग्रही बनो...

8 अगस्त 2017
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मित्रों हम सबके लिए बहुत ही हर्ष का विषय है कि हमारे बीच अब एक ऐसा सामाजिक एप है जो स्वदेशी है और वह विदेशी एप ट्वीटर का अविस्मरणीय विकल्प उपलब्ध करा रहा है। हम आपसे पहले भी स्वदेशी के लिए आग्रह कर चुके हैं, और आज फिर एक शुभ घड़ी आई है मूषक एप के रूप में, तो सबसे अनुरोध है ट्वीटर के खाते को मिटाकर म

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भारत और अंग्रेजीयत

8 अगस्त 2017
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जब हम लोगों से कहते हैं कि देवनागरी अपनाओ और अंग्रेजी हटाओ..! तो लोग बार- बार यही प्रश्न करते हैं कि इससे क्या हो जायेगा? रोजगार बड जायेंगे? गरीबी कम हो जायेगी? भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा? हम कहते हैं ऐसा कर के देख लो। देवनागरी को अपना बना के देखो पता चल जायेगा कि तुम बाकी लोगों से कितने बडे हो गये

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वर्तमान भारतीय और उनकी सोच

8 अगस्त 2017
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जो लोग हाय,आई एम फाइन,गुड मोर्निंग, थैंक्यू चार अंग्रेजी के शब्द रटकर अंग्रेजी जानने का दावा करते हैं वही सुबह से साम तक हिन्दी में बात करते हुये कहते हैं यार इतनी हिन्दी नहीं आती....!

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हम और हमारा भारत

8 अगस्त 2017
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यदि हम श्रेष्ठ हैं तो ये हमारा कर्तव्य है कि हम सबको अपने दिल में जगह दें।

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स्वदेशी है तो स्वाभिमान है

9 अगस्त 2017
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आज हमारे साथ कुछ ऐसा हुआ सामाजिक माध्यम ट्वीटर पर कि सोचा आप सबके साथ साझा करूँ। मुझे लगता है कि यह आवश्यक भी है। तो ट्वीटर का घटना क्रम कुछ इस तरह घटा- हम स्वाभाविक रूप से स्वदेशी के आग्रही है विकल्प मिलने पर तो इसी क्रम में प्रारम्भ में हमने वाट्सऐप,ट्वीटर फेसबुक सब चलाया लेकिन जब हाइक के बारे में

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शब्दनगरी के लिए दो शब्द...

9 अगस्त 2017
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शब्दनगरी हम सब भारतीयों के लिए गर्व की बात है। हम हर जगह विदेशियों के पीछे भागते रहे हैं। जिसे श्री अमतेश मिश्र जी ने गम्भीरता से लिया और फेसबुक के स्वदेशी सर्वोत्तम विकल्प 'शब्दनगरी' हमारे बीच लेकर आये। मुझे आशा है कि शब्दनगरी भारत जन में राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र सम्मान, राष्ट्र भाषा के प्रति आदर भाव

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हिन्दी अपनाओ अंग्रेजी के तलवे चाटना बन्द करो...!

10 अगस्त 2017
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हिन्दी सहित भारतीय भाषायें उस भाषा से हार रही है जिसके बोलने वालों की कुल संख्या मात्र 226449 है 2011की जनगणनानुसार। क्यों? सोचा है कभी? ये ठीक वैसा ही है जैसे मीर जाफर और क्लाइव के बीच हुआ। उस घटना के लिए हम मीर जाफर को दोषी ठहराते रहते हैं।गद्दार कहते नहीं थकते। और जब अंग्रेजी की बात आती है तो हम

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अंसारी और बाकी दुनियाँ

11 अगस्त 2017
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अंसारी के साक्षात्कार ने फिर से यह साबित कर दिया है कि मुसलमान दुनिया के किसी भी अन्य समाज के साथ नहीं रह सकता नम्र से नम्र समाज के साथ उसका निबाह नहीं होगा। वो जहाँ भी होगा खुद को पीडित बतायेगा और दूसरे मासूमों को कत्ल करेगा। वो जहाँ भी होगा उस समाज का खून चूसने वाला कीडा बनकर रहेगा कभी समाज में ए

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भारत जन का देश प्रेम का अनौखा रूप...

12 अगस्त 2017
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यूँ तो सब अपने अपने देश से प्रेम करते हैं। विश्व में बहुत कम लोग होंगे जिन्हें अपने देश,अपनी सभ्यता,अपनी संस्कृति से प्रेम न हो। आप नजर उठा कर देखेंगे तो उनका देशप्रेम देखने को मिल जायेगा जैसे कभी आप जापान के बारे में पता करें तो मालूम होगा कि वे इतने राष्ट्रवादी है कि दूसरे देश से आये फल तक नहीं खा

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भारत की भाषाओं का ऐसा अपमान..... वो भी भारत में...! क्यों...? सोचो...!

15 अगस्त 2017
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एक भाषा हमारे राष्ट्र को कैसे अवनति की ओर धकेल रही है इसका नूतन दृश्य रामजन्मभूमि विवाद है। जिसे शीघ्र सुलझाने के लिए नियमित कार्यवाही का अनुरोध किया गया था उसे पहले ही दिन तीन माह के लिए आगे बडा दिया गया। मात्र इसलिए क्यों कि विषय से सम्बन्धित पुरालेख अंग्रेजी में नहीं थे वो सभी स्थानीय भाषाओं में

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खता तो जब हो जब हाल ऐ दिल किसी से कहें...

18 अगस्त 2017
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किसी को चाहते रहना..... कोई.... खता... तो नहीं.....

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गीतों और नारों में राष्ट्रनिष्ठा खोजता भारत....!

19 अगस्त 2017
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हमारी गति भी अजीब हो रही है। जहाँ भारत के हर अंग में अंग्रेजीयत भरी है... गुलामी भरी है..... वहाँ हम नारों में राष्ट्र निष्ठा खोज रहे हैं... राष्ट्र गीत में राष्ट्रनिष्ठा खोज रहे हैं... राष्ट्रगान में राष्ट्रनिष्ठा खोज रहे हैं... जहाँ अंग्रेजी को अपनाने के लिए कानून बने हुये हैं जहाँ अंग्रेजीयत को म

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स्वदेशी है तो स्वाभिमान है..

20 अगस्त 2017
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हम लोगों की सोच पर पता नहीं कौन सा पत्थर पड गया है कि हमेशा हम गैरों को श्रेष्ठ मानते रहते हैं। और अपने आपको हीन। यह बहुत ही दुःखद है परन्तु सत्य है। कोई चीज आयातित है विदेशी है तो वो श्रेष्ठ ही है श्रेष्ठ होगी ही.... हमारा अक्सर यही मानना रहता है। फिर चाहे बात भाषा की हो, साहित्य की हो, संस्कृति की

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मेरे प्रिय

21 अगस्त 2017
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मित्र अच्छे हो या बुरे जीवन में बहुत से मित्र होने चाहिए। उनके विना जीवन बदरंग है।

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तलाक एक कुरीति

22 अगस्त 2017
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कुरीति को मिटाने के प्रयास चाहे कोई भी करे कैसे भी करे हम सबको उसका साथ देना ही चाहिए। जो लोग इस कुरीति पर हो रही कार्यवाही को अपनी क्षुद्र बुद्धि के कारण गलत बता रहे हैं वे समाज के शत्रु हैं। कोई दल, कोई व्यक्ति यदि हमें पसन्द नहीं तो क्या हम उसके हर उचित काम में बाधा बने? नहीं..! सभ्य जन तो ऐसा कभ

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हिंदी में उपलब्‍ध वि‍ज्ञान, तकनीकी साहि‍त्‍य, पाठ्यक्रम और रोजगार के अवसर

23 अगस्त 2017
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राहुल खटे (Rahul Khate)इस वेबसाईट का नि‍र्माण हिंदी के ज्ञानवर्धक पक्ष के प्रचार-प्रसार के लि‍ए कि‍या गया है। इसमें दी गई सामग्री का उपयोग शि‍क्षा-अनुसंधान और हिंदी के प्रचार-प्रसार के लि‍ए किया जा सकता हैं।Tuesday, December 6, 2016हिंदी में उपलब्‍ध वि‍ज्ञान, तकनीकी साहि‍त्‍य, पाठ्यक्रम और रोजगार के

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जय पराजय

25 अगस्त 2017
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"जय पराजय महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है तो ये कि हमारा संघर्ष किन सिद्धान्तों/उद्देश्यों के लिए है।"ट्वीटर के स्थान पर स्वदेशी मूषक पर मिलें मेरा मूषक पता- @अजीतसिंहः

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प्रतीकों के सहारे गुमराह होते लोग....

25 अगस्त 2017
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एक तरफ तो भारत की भाषाओं पर हिन्दी सहित कानूनी तैर पर प्रतिबन्ध लगा रखा है और दूसरी ओर हमारे नेता संस्कृत में पद व गोपनीयता व राष्ट्र सेवा के लिए दिखावे की शपथ ले कर स्वंय को भारतीयता का,भारत की संस्कृति का रक्षक बता रहे हैं। और जनता को मूर्ख बना रहे हैं। क्या कभी ऐसे बहरूपियों को राजनीति से भगाया

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अतिवादी समाज के अज्ञानी.....

26 अगस्त 2017
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गुरमीत रामरहीम इंसा के केस को लेकर हरियाणा,पंजाब,दिल्ली, उत्तरप्रदेश व राजस्थान में उनके समर्थकों ने तोड फोड मचा रखी है जिससे अन्य लोगों को अनावश्यक कष्ट उठाना पड रहा है क्यों कि यातायात के सार्वजनिक साधनों पर रोक लगा दी गई है कुछ की दिशा बदल दी गई है। कई क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लगा दी गई है। दूसरी

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मनुस्मृति से.......

26 अगस्त 2017
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यत्र धर्मो ह्यधर्मेण सत्यं यत्रानृतेन च।हन्यते प्रेक्षमाणानां हतास्तत्र सभासदः।।मनुस्मृतिजिस सभा में बैठे हुए सभासदों के सामने अधर्म से धर्म और झूठ से सत्य का हनन होता है,उस सभा में सब सभासद मरे-से ही हैं।

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महाभारत से....

27 अगस्त 2017
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न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धावृद्धा न ते ये न वदन्ति धर्मम्।नासौ धर्मो यत्र न सत्यमस्तिन तत् सत्यं यच्छलेनाभ्युपेतम्।।-महाभारतअर्थ- वह सभा नहीं है,जिसमें वृद्ध पुरूष न हों। वे वृद्ध नहीं हैं जो धर्म ही की बात नहीं बोलते। वह धर्म नहीं है, जिसमें सत्य नहीं और न वह सत्य है जोकि छल से युक्त हो।।

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रोहिंगिया पीडित या पीडक...?

27 अगस्त 2017
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कश्मीर में बसे रोहिंगिया खुद को मजबूर और पीडित बता रहे हैं और म्यामार में वही रोहिंगिया मासूम लोगों का और सैनिकों का खून बहा रहे हैं।

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वर्तमान भारत हजारों प्रतिरोधों से संघर्षरत

27 अगस्त 2017
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वर्तमान भारत हजारों प्रतिरोधों से संघर्षरत है। राजनेता दलों से दवे हुये हैं और दल जातीय, सांप्रदायक दलदल में फसे हुये हैं जिसके कारण राष्ट्र हित पीछे छूटता जा रहा है। तो ऐसे में हम सामान्य जनों पर कर्तव्य और अधिक बड जाता है। उसी सन्दर्भ में मेरा मत है कि यदि भारत की भाषाई समस्या का समाधान कर लिया जा

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भारत में भाषायें एक भ्रम.......

28 अगस्त 2017
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भारत को खण्ड-खण्ड करने की सोच रखने वाले भाषाशास्त्रियों के बस में होता तो वे भारत के हर नागरिक के नाम पर उसके बोलने के उतार चढाव को आधार मानकर भाषाओं का नामकरण कर देते। यद्यपि वे इस स्थिति पर तो नहीं पहुँचे कि एक व्यक्ति एक भाषा को साकार करते फिर भी उन्होंने क्षेत्रों को अलग-अलग कर दिया, जातियों को

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भारत,म्यामार और बाकी दुनिया

28 अगस्त 2017
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भारत में कुछ अजीबकिस्म के एकता वादी जन्म लेते हैं जो हमेशा यहाँ की वैचारिक परम्पराओं को ही हर घटना के लिए उत्तरदायी ठहराते रहते हैं। चाहे उसमें उसका लेशमात्र भी हिस्सा न हो। और भारत से बाहर जन्मे विचार तो ऐसे हैं उनके लिए कि पूँछो ही मत एक तरफ स्वंय ईश्वर आकर खडा हो जाये तो ये ईश्वर में दोष निकाल सक

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अंग्रेजी की महानता.....

29 अगस्त 2017
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क्या आपको पता है कि गवर्नमेंट, क्राउन, स्टेट, एँपायर, रॉयल, कोर्ट, काउंसिल, पार्लियामेंट, असेंबली, स्टैच्यूट, वॉर्डन, मेयर, प्रिंस, प्रिंसेस, ड्यूक, मिनिस्टर, मैडम, जस्टिस, क्राइम, बार, एडवोकेट, जज, प्ली, सूट, पेटिशन, कंप्लेंट, समन, एविडेंस, प्रूफ, प्लीड, वारंट, प्रॉपर्टी, इस्टेट, आर्ट, पेंटिग, म्यू

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देश से प्रेम करो देशप्रेम के सिर्फ भाषण मत दो.....

31 अगस्त 2017
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दिन रात मेरा भारत मेरा देश जपने वालो अगर तुम्हारी आँखों में जरा भी शर्मोहया बाकी है तो विदेशी फेसबुक/वाट्सऐप/ट्वीटर को बन्द करो...! और स्वदेशी शब्दनगरी/हाइक/मूषक चलाओ...! स्वदेशी विकल्प मौजूद है ये जानने के बाद भी जो फेसबुक/वाट्सऐप/ट्वीटर पर चिपके हैं वो किसी भी तरह से गद्दार से कम नहीं हैं। क्या तु

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एकजुट रहो.....

1 सितम्बर 2017
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शक्तिशाली व्यक्ति भी अहंकार में जब स्वजनों से वैर करता है तो वह झुण्ड से अलग हुये मैमने की भाँति अनायास ही काल का ग्रास बन जाता है।

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राष्ट्र की उन्नति का आधार स्वदेशी

3 सितम्बर 2017
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राष्ट्र की उन्नति का आधार स्वदेशी हमें यह समझना होगा कि देश में जो भी विकास अभी तक हुआ है, वह वास्तव में स्वदेशी के आधार पर ही हुआ है। कुल पूंजी निवेश में विदेशी पूंजी का हिस्सा २ प्रतिशत से भी कम है और वह भी गैर जरूरी क्षेत्रों में विदेशी पूंजी निवेश जाता है। आज चिकित्सा के क्षेत्र में भारत दुनिया

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मूषक भारत का अपना सोसल नेटवर्क

3 सितम्बर 2017
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मूषक एक वेब/एप एप्लीकेशन/सोसल नेटवर्क है जो एक विदेशी सोसल नेटवर्क ट्वीटर का उत्तम विकल्प है। इसका निर्माण पुणे के बन्धु श्री अनुराग गौड़ जी के द्वारा किया गया है। आप इस तक गूगल प्लेस्टोर पर 'मूषक' या रोमन में 'mooshak'

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मूषक भारत का अपना सोसल नेटवर्क

3 सितम्बर 2017
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मूषक एक स्वदेशी सोसल नेटवर्क है जो विदेशी सोसल नेटवर्क ट्वीटर का उत्तम विकल्प है आप इसे बहुत ही आसानी से प्रयोग में ला सकते हैं। इसके मोबाइल एप वर्जन डाउनलोड करने के लिए गूगल प्लेस्टोर में जाकर मूषक या mooshak लिख कर कर सकते हैं या कम्प्यूटर पर www.mooshak.in टाइप करें। इस पर खाता अपने मेल आईडी से

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अंग्रेजी हटाओ

4 सितम्बर 2017
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अपनी भाषा अपना देशअंग्रेजी की वहिष्कार करो

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रोहिंगिया

6 सितम्बर 2017
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जो अपने समाज में औरों को स्वीकार्य नहीं करते वे भारत से स्वंय को स्वीकार्य करने के लिए दबाव बना रहे हैं। और कुछ निहायत ही घटिया और टुच्चे लोग उन्हें पीडित बता रहे हैं। और आँसू बहा रहे हैं और भारत को भारत की सरकार को गरिया रहे हैं।

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गौरी लंकेश

7 सितम्बर 2017
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जो दूसरों के लिए जाल बिछाते हैं उन्हें भी कभी-कभी उसी जाल में फस कर प्राणों का त्याग करना पडता है।#गौरीलंकेश#हत्यापरराजनीति

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म्यांमार से रोहिंग्या मुस्लिमों क्यों भगाया जा रहा है? जानिये पूरा इतिहास…

7 सितम्बर 2017
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जब सोमालिया में जन्मे और पाकिस्तान में आठ वर्ष बिता चुके अब्दुल रज्जाक आर्तन ने अमेरिका की ओहायो यूनिवर्सिटी में मौजूद भीड़ में अपनी कार तेजी से घुसा दी और फिर उस भीड़ में से बचे हुए लोगों पर चाकुओं से हमला किया, तब वह चीख रहा था, “अमेरिका दूसरे मुस्लिम देशों में दखल देना बंद करे, म्यांमार के रोहिंग

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Conspiracy बनाम Victim

11 सितम्बर 2017
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कम स्तर की, अचानक, लेकिन सतत हिंसा: इस्लाम का सबसे ख़तरनाक हथियार (Low level, random, but unceasing violence: the deadliest weapon of Islam)एक विडीओ वाइरल है सोशल मीडिया पर। कुछ मुसलमान बच्चे गणेश जी की प्रतिमा पर पत्थरबाज़ी करते CCTV कैमरे में रिकार्ड हुए है। ये तो बच्चे है, कुछ समय पहले एक अन्य वि

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पंजाब के अमृतसर में मुगल......

11 सितम्बर 2017
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पंजाब के अमृतसर में मुगलों का राज था।तारू सिंह अपनी माता के साथ पहूला गांव में रहते थे। वे सिख थे। धर्म ही उनका सब कुछ था। एक दिन तारू सिंह के यहां रात्रि में विश्राम के लिए जगह खोजते हुए रहीम बख्श नाम का एक मछुआरा आया। तारू सिंह ने ना केवल उसकी सहायता कि बल्कि उसे पेट भर भोजन भी कराया।रात्रि के दौर

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डेरा सच्चा सौदा को नष्ट करने का हरियाणा सरकार का रवैया गलत अवधेश कुमार

11 सितम्बर 2017
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हरियाणा पुलिस और प्रशासन जिस तरह डेरा सच्चा सौदा को खत्म करने पर तुली है उसका समर्थन नहीं किया जा सकता है। डेरा के वर्तमान प्रमुख पर न्यायालय में यौन शोषण और बलात्कार का मामला प्रमाणित हुआ है और उन्हें उतनी सजा मिली है जितनी हम आप कल्पना भी नहीं कर रहे थे। दो दोषों की अलग-अलग सजा। अगर उपर के न्यायाल

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विदेशी भी या पूर्ण स्वदेशी....!

15 सितम्बर 2017
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यदि हम विदेशी भी अपनायें और स्वदेशी का भी ढोल पीटते रहें तो यह एक विशुद्ध पागलपन और नौटंकी है, वैसे ही जैसे हमारे नेता/अभिनेता/समाजसेवी नौटंकी बाज है। भाषण हिन्दी में काम अंग्रेजी में। रोटी हिन्दी की चाकरी अंग्रेजी की। बात स्वदेश गर्व की गुलामी औरों की।मित्रों स्वदेश पर गर्व है स्वदेशी से प्रेम है त

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ओ३म्.....

16 सितम्बर 2017
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 "वेदों मे वर्णित सार का पान करनेवाले ही ये जान सकते हैं कि  'जिन्दगी' का मूल बिन्दु क्या है।" -स्वामी दयानन्द सरस्वती जी

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पढो....

19 सितम्बर 2017
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"पढो, लिखो, कर्म करो, आगे बढो, कष्ट सहन करो, एकमात्र मातृभूमि के लिए, माँ की सेवा के लिए"-अरबिन्दो घोष

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🌷मनुस्मृति और धर्म 🌷

20 सितम्बर 2017
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वास्तविक धर्म क्या है और धर्म कैसा होना चाहिए।धर्म क्या है इस पर वैषेशिक के महर्षि कणाद कहते हैं:-*'यतोऽभ्युदय निःश्रेयस्सिद्धि स धर्मः'।*अर्थात् जो कर्म हमारा अपना उद्धार अरें और प्राणी मात्र को जिससे सुख मिले वह धर्म है।परमात्मा ने संसार रचा।उसमें नाना प्रकार के फल फूल,वनस्पतियाँ,औषधियाँ,अन्न,आदि

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ब्राह्मण शब्द को लेकर भ्रांतियां एवं उनका निवारण डॉ विवेक आर्य

20 सितम्बर 2017
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ब्राह्मण शब्द को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं। इनका समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। क्यूंकि हिन्दू समाज की सबसे बड़ी कमजोरी जातिवाद है। ब्राह्मण शब्द को सत्य अर्थ को न समझ पाने के कारण जातिवाद को बढ़ावा मिला है।शंका 1 ब्राह्मण की परिभाषा बताये?समाधान-पढने-पढ़ाने से,चिंतन-मनन करने से, ब्रह्मचर्य, अनुशासन, सत

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विजयी के सदृश्य जियो रे.......

23 सितम्बर 2017
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वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालोचट्टानों की छाती से दूध निकालोहै रुकी जहाँ भी धार शिलाएं तोड़ोपीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ोचढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रेयोगियों नहीं विजयी के सदृश जियो रेजब कुपित काल धीरता त्याग जलता हैचिनगी बन फूलों का पराग जलता हैसौन्दर्य बोध बन नई आग जलता हैऊँचा उठकर काम

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धुँधली हुई दिशाएँ...

23 सितम्बर 2017
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धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासाकुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसाकोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा हैमुंह को छिपा तिमिर में क्यों तेज सो रहा हैदाता पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला देबुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला देप्यारे स्वदेश के हित अँगार माँगता हूँचढ़ती जवानियों का श्रृंगार मांगता हूँबेचैन हैं हवाएँ

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हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी है

24 सितम्बर 2017
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हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी हैबहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवालीगहने गढ़ाते जाओसर पर चढ़ाते जाओवह मुटाती जाएपसीने से गंधाती जाए घर का माल मैके पहुँचाती जाएपड़ोसिनों से जलेकचरा फेंकने को ले कर लड़ेघर से तो खैर निकलने का सवाल ही नहीं उठताऔरतों को जो चाहिए घर ही में हैएक महाभारत है एक रामा

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नीरज बधवार की कलम से....

24 सितम्बर 2017
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हिंदी दिवस हिंदी भाषियों के लिए रोना रोने का मौका बनकर रह गया है। जबकि ज़रूरत इस बात की है कि दुनिया को हिंदी भाषा की महानता के बारे में बताया जाए। उन गुणों के बारे में बताया जाए जो किसी और भाषा में नहीं है। जैसे-1. उदारता- पूरी दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां लोग अपनी राष्ट्र भाषा के लिए

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गुलामों का देश भारत...

26 सितम्बर 2017
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भारत के लोगो..! क्या अब भी बहाने बनाओगे..? चीन वाट्सऐप ट्वीटर फेसबुक/ट्वीटर/वाट्सऐप सब बन्द कर देता है राष्ट्र की सुरक्षा के लिए। और एक हम हैं और हमारे महान राष्ट्रवादी नेता हैं जो एक टुच्चे फेसबुक संस्थापक के पास मिलने जाते हैं। शर्म करो..! शर्म करो...!! भारत के लोगो शर्म करो.....!!! तुम्हारे पास स

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आचार्य विनोबा भावे.....

30 सितम्बर 2017
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"मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।" - विनोबा भावे।ये शब्द आचार्य ने अपने समय में कहे... क्या आज हम में से कोई है जो इन शब्दों का पुनरावर्तन कर सके..... और उनका मान रख सके...!

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रवीन्द्रनाथ ठाकुर

1 अक्टूबर 2017
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"अंग्रेजी सीखकर जिन्होंने विशिष्टता प्राप्त की है, सर्वसाधारण के साथ उनके मत का मेल नहीं होता। हमारे देश में सबसे बढ़कर जातिभेद वही है, श्रेणियों में परस्पर अस्पृश्यता इसी का नाम है।" - रवीन्द्रनाथ ठाकुर।

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एकता का बल....

1 अक्टूबर 2017
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एकत्व के बल का प्रदर्शन करती चीटियाँ जो एक विशालकाय कीट को जमीन पर खीचने के बजाय दीवार पर चड़ा लिए जा रहीं हैं। आप भी देखें...

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क्रांतिकारी की कथा  हरिशंकर परसाई

2 अक्टूबर 2017
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‘क्रांतिकारी’ उसने उपनाम रखा था। खूब पढ़ा-लिखा युवक। स्वस्थ सुंदर। नौकरी भी अच्छी। विद्रोही। मार्क्स-लेनिन के उद्धरण देता, चे ग्वेवारा का खास भक्त। कॉफी हाउस में काफी देर तक बैठता। खूब बातें करता। हमेशा क्रांतिकारिता के तनाव में रहता। सब उलट-पुलट देना है। सब बदल देना है। बाल बड़े, दाढ़ी करीने से बढ़

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हिन्दी....

4 अक्टूबर 2017
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बटुकदत्त से कह रहे, लटुकदत्त आचार्यसुना? रूस में हो गई है हिंदी अनिवार्यहै हिंदी अनिवार्य, राष्ट्रभाषा के चाचा-बनने वालों के मुँह पर क्या पड़ा तमाचाकहँ ‘ काका ' , जो ऐश कर रहे रजधानी मेंनहीं डूब सकते क्या चुल्लू भर पानी मेंपुत्र छदम्मीलाल से, बोले श्री मनहूसहिंदी पढ़नी होये तो, जाओ बेटे रूसजाओ बेटे

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अंग्रेजी के ताले में बंद भारत का विकास

6 अक्टूबर 2017
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यह सच है कि आर्थिक वैश्वीकरण के इस युग में अंग्रेजी भाषा की महत्ता थोड़ी मात्रा में ही सही, हर देश में बढ़ गयी है। अधिकांश देशों में अंग्रेजी शेष दुनिया के देशों के साथ संवाद के लिए प्रयोग की जाती है, विशेषकर अन्तरराष्ट्रीय लेन-देन के मामलों में। हालांकि कुछ गिने-चुने देश ही अंग्रेजी को आन्तरिक प्रश

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अंग्रेजी ने बनाए 'नए वंचित' और 'नए ब्राह्मण'

7 अक्टूबर 2017
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मधु पूर्णिमा किश्वरअसमानता, भेदभाव और पिछड़ेपन के हल के रूप में आरक्षण पर चल रही मौजूदा बहस कुल जमा एक बिन्दू पर सिमटा दी गई है-क्या शैक्षिक आरक्षण जाति आधारित होना चाहिए अथवा उसमें आर्थिक पक्ष भी शामिल किया जाना चाहिए? इन दोनों विकल्पों के पीछे एक गलत धारणा यह है कि भारत में किसी के लाभ से वंचित हो

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हम हैं भारत....!

12 अक्टूबर 2017
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यदि राष्ट्र का पतन होता है तो ये स्वाभाविक है कि उसके नागरिकों का भी पतन होगा.! तब न तो कोई सुखमय जीवन बिता सकेगा और न ही उसकी कोई इच्छा अनइच्छा ही रहेगी। हर सुख हर सुविधा हम आज जिसभी रूप में भोग रहे हैं वो सब राष्ट्र का है। और इसके लिए हमारे लाखो पूर्वजों ने स्वंय को बलिदान किया है। आपके सुख के लिए

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काका हाथरसी को एक बार तो पढिये....

11 नवम्बर 2017
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काका हाथरसी-रिंग रोड पर मिल गए नेता जी बलवीर।कुत्ता उनके साथ था पकड़ रखी जंजीर॥     पकड़ रखी जंजीर अल्शेशियन था वह कुत्ता।     नेता से दो गुना भौंकने का था बुत्ता॥हमने पूछा, कहो, आज कैसे हो गुमसुम।इस गधे को लेकर कहाँ जा रहे हो तुम॥     नेता बोले क्रोध से करके टेढ़ी नाक।     कुत्ता है या गधा है, फूट

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गूगल गुरु को देखिए.....

1 दिसम्बर 2017
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कांग्रेस अब राहुल की...

4 दिसम्बर 2017
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वर्षो ं से खबर चल रही थी राहुल जी अब अध्यक्ष बन रहे हैं अगले माह बन रहे हैं अगली तिमाही में बन रहे हैं। लेकिन तब सबका इन्तजार खत्म हो गया जब उन्होंने नामांकन फार्म भर दिया। अब कांग्रेस हुई राहुल की.... साथ ही विदेशीमूल का प्रधानमन्त्री बनेगा या नहीं ये प्रश्न भी हमेशा के लिए शान्त हो गया। #अ

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स्वभाषी मेल डाटामेल.......!

5 दिसम्बर 2017
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यह मात्र हिन्दी नहीं हिन्दी सहित अन्य भारतीय व विश्व भाषाओं में मेल पता उपलब्ध कराती है इसके सृजक अजय डाटा जी हैं और यह वर्षों पुराना समाचाा है। हमारा ईमेल पता - अजीतसिंह1@डाटामेल .भारत है। आप भी अपना जीमेल छोडकर स्वदेशी और स्वभाषी डाटामेल अपनायें।DataMailGet FREE email address like mine अज

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राहुल गाँधी......

11 दिसम्बर 2017
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कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी निर्विरोध चुन लिए गए हैं.सोमवार को पार्टी अध्यक्ष पद के प्रस्तावित चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख थी और किसी ने भी राहुल गांधी की उम्मीदवारी को चुनौती नहीं दी थी.कांग्रेस नेता मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, "नामांकन के 89 प्रस्ताव

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मैकाले और भारत के लोग...

1 जनवरी 2018
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“मैंने पूरे भारत की लगभग सभी दिशाओं में यात्राएँ की हैं और मुझे इस पूरे दौर में न तो कोई भिखारी व्यक्ति दिखा और न कोई चोर। मैंने इस देश की अमूल्य संपन्नता को देखा है, जहाँ गहरे नैतिक मूल्य व्याप्त हैं और लोग क्षमताओं से लबरेज हैं और इसलिए मैं समझता हूँ कि इस देश पर विजय पाना हमारे लिए तब तक सम्भव नह

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हाइक चलाओ

4 जनवरी 2018
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मेरे साथ Hike पर चैट करें! बस @ajeetsingh1 की खोज करें या यहाँ टैप करें https://hike.li/@ajeetsingh1

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हमारे भोजन पर नियंत्रण के प्रयास -थेरेसा क्रिनीनगर

10 जनवरी 2018
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हमारे भोजन पर नियंत्रण के प्रयास-थेरेसा क्रिनीनगरकॉर्पोरेट एटलस-2017 की रिपार्ट यह दर्शाती है कि दुनियाभर में खाद्य उद्योगों का हो रहा विकास किस प्रकार सामान्य जनता को प्रभावित कर रहा है। उभरते एवं तेजी से फैलते बाजार से विकासशील देशों में खाद्य व्यवस्था की कमजोर कड़ी माने जाने वाले कृषक तथा खेतिहर म

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षड्यंत्रों से संघर्ष करती हिंदी

11 जनवरी 2018
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षड्यंत्रों से संघर्ष करती हिंदीसंवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा होने के बावजूद हिंदी षड्यंत्रों का शिकार रही है। स्वाधीनता के बाद से हमारे देश में, हिंदी के खिलाफ षड्यंत्र रचे जाते रहे हैं। उन्ही का परिणाम है कि हिंदी आजतक अपना अनिवार्य स्थान नह

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बदलने होंगे गुलामी के समय के प्रशासन, शिक्षा और राजनैतिक सिस्टम

14 जनवरी 2018
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बदलने होंगे गुलामी के समय के प्रशासन, शिक्षा और राजनैतिक सिस्टमएक आजाद देश को अपना सिस्टम बनाना चाहिए था, लेकिन हमने अपने पुराने सिस्टम में बस बहुत थोड़ा सा बदलाव कर लिया। इसी वजह से कई मायनों में हमने खुद को पंगु बना लिया है।जो लोग हम पर बाहर से शासन करना चाहते थे, उन्होंने कुछ खास तरह का तंत्र व स

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बदलने होंगे गुलामी के समय के प्रशासन, शिक्षा और राजनैतिक सिस्टम

14 जनवरी 2018
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बदलने होंगे गुलामी के समय के प्रशासन, शिक्षा और राजनैतिक सिस्टमएक आजाद देश को अपना सिस्टम बनाना चाहिए था, लेकिन हमने अपने पुराने सिस्टम में बस बहुत थोड़ा सा बदलाव कर लिया। इसी वजह से कई मायनों में हमने खुद को पंगु बना लिया है।जो लोग हम पर बाहर से शासन करना चाहते थे, उन्होंने कुछ खास तरह का तंत्र व स

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भारत में अंग्रेजी कलैण्डर क्यों भारतीय पंचांग क्यों नहीं.....

19 जनवरी 2018
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भारत में अंग्रेजी कलैण्डर क्यों भारतीय पंचांग क्यों नहीं..!भारतीय वृत,पर्व व विवाह आदि सभी शुभ कार्य भारतीय पंचांग के अनुसार ही होते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से यह पंचांग भारत सरकार के द्वारा प्रयोग में नहीं है। वह अंग्रेजी कलैण्डर का प्रयोग करती है। दूसरा जिसे मान्यता प्राप्त है वह है शक सम्वत जो विक्र

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चीन ने बनाया हिन्दी को हथियार

29 जनवरी 2018
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चीन ने बनाया हिंदी को हथियार वेद प्रताप वैदिकचीन हमें आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर ही मात देने की तैयारी नहीं कर रहा है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी वह हमें पटकनी मारने पर उतारु है। उसने चीनी स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए अब हिंदी को अपना हथियार बना लिया है। इस समय चीन की 24 लाख जवानों की फौज में हज

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मूर्खों का पुलिन्दा (भारत का तथाकथित संविधान) और झण्डा प्रेम.....!

1 फरवरी 2018
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मूर्खों का पुलिन्दा (भारत का तथाकथित संविधान) और झण्ड़ा प्रेम.... "याद रखिए 1 भूल कई सारी उपलब्धियों पर पानी फेर देती है।" क्या यह सही नहीं है कि भारत का संविधान भारतजन विरोधी नहीं है? क्या जनता की जुबान पर लगे प्रतिबन्ध उचित हैं? उन्हें अपनी बात रखने के लिए विदेशी भाषा को सीखने पर मजबूर करना उचित

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पिछडे होने का एक ही कारण वो है अंग्रेजी

11 फरवरी 2018
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विश्व में केवल आर्थिक नहीं, अन्य भी अनेक दृष्टियों से जो स्थान जापान, कोरिया, चीन आदि देशों का है, हमारा देश उनसे हर क्षेत्र में दूर, बहुत ही दूर केवल इसलिए है क्योंकि हमने अपने बच्चों के विकास के मार्ग में अंग्रेजी माध्यम की दीवार खड़ी कर रखी है.

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इंटरनेट पर हिन्दी....!

18 फरवरी 2018
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भारत में अंग्रेजी अब इंटरनेट पर प्रयोग में लाई जाने वाली प्रमुख भाषा नहीं रह गई है। बड़े पैमान पर हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग ने देश में अंग्रेजी के प्रयोग को पछ़ाड दिया है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक देशी भाषाओं का प्रयोग साइबर स्पेस में लगातार बढ़ता जा रहा है। हिंदी इनमें सबसे आगे

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भारत में अंग्रेजी क्यों?

20 फरवरी 2018
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यदि नौवेल पुरूस्कार आदर्श गुलामों को देने की प्रथा बन जाये तो सारे नौवेल पुरूस्कार भारतीय ही जीतेंगे।#भारत-में-अंग्रेजी-क्यों?

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मूर्ख हिन्दुओं की मसीहा सरकार.....

20 फरवरी 2018
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सरकार ने कोर्ट में कहा- ताजमहल नहीं है शिवालय, शाहजंहा ने मुमताज की याद में बनवाया आगरा। कार्यालय संवाददाताUpdated: Tue, 20 Feb 2018 12:18 ताज या तेजोमहालय मामले में सोमवार को भारत सरकार व पुरातत्व विभाग ने अपना जवाब कोर्ट में दाखिल कर दिया है। इसमें पुन: एक बार कहा है कि ताजमहल शिवालय नहीं है। ऐसा

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गुलाम भारत....!

22 फरवरी 2018
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जो मूर्ख भारतीय संविधान को अपना माई-बाप कहते हैं वो संविधान भारत की किसी भी जन भाषा में कानून/न्याय/शिक्षा का अधिकार नहीं देता। इसलिए हम इसके व इसकी रक्षा करने वालों के विनाश की कामना करता हूँ ।अनुच्छेद 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली

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