हरियाणा पुलिस और प्रशासन जिस तरह डेरा सच्चा सौदा को खत्म करने पर तुली है उसका समर्थन नहीं किया जा सकता है। डेरा के वर्तमान प्रमुख पर न्यायालय में यौन शोषण और बलात्कार का मामला प्रमाणित हुआ है और उन्हें उतनी सजा मिली है जितनी हम आप कल्पना भी नहीं कर रहे थे। दो दोषों की अलग-अलग सजा। अगर उपर के न्यायालय में भी यह कायम रहता है तो गुरमीत राम रहीम का पूरा जीवन जेल में ही बीत जाएगा। किंतु इसका यह मतलब नहीं है डेरा को ही नष्ट कर दिया जाए।
मैं कभी डेरा के अंदर नहीं गया न किसी डेरा सच्चा सौदा के मानने वाले से अपनी मुलाकात है। कभी-कभी उनको सेवा का कार्य करते देखा है। डेरा सच्चा सौदा एक विचार है। उस विचार से हम असहमत हो सकते हैं। जिस आडम्बर और ताम-झाम के साथ डेरा प्रमुख रहता था उसे हम अध्यात्मिक व्यक्ति का तौर-तरीका नहीं मान सकते। किंतु यह भी एक विचार से निकला जीवन शैली है। हमारी नजर में वह गलत हो सकता है, किसी की नजर में वही सही है। डेरा का विचार विचार न सिख्ख धर्म के अनुरुप है न सनातन धर्म के। किंतु भारत धर्म के क्षेत्र में ऐसी ही विविधताओं का देश रहा है। डेरा सच्चा सौदा को भारत के संविधान के तहत अपना प्रचार-प्रसार करने का पूरा अधिकार है।
हरियाणा सरकार ने जिस दिन गुरमीत राम रहीम पर फैसला सुनाया जाना था उसके पहले लोग एकत्रित न हों, इसके आवश्यक पूर्वोपाय नहीं किया। लोगों केा एकत्रित होने दिया। यह उसकी विफलता थी। लोग एकत्रित हो गए तो प्रतिकूल फैसला आने के बाद यदि वे गुस्से में हिंसक प्रतिरोध करते हैं तो उन्हें संभाला कैसे जाए इसकी भी उचित व्यवस्था नहीं की। जब कुछ समर्थक हिंसक हो गए तो पुलिस ने बेरहमी से गोलियां चलाकर 39 लोगों को भून दिया। पुलिस की गोली से 39 लोगों का मरना कोई छोटी घटना नहीं होती। यह हरियाणा सरकार एवं उसके प्रशासन की आपराधिक विफलता थी।
अब उसे ढंकने के लिए वह पूरे डेरा को खलनायक बनाने पर तुली है। जिस ढंग से वहां सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट किया जा रहा है, सरकार पूरी तरह उसे खत्म करने पर उतारु है वह बिल्कुल अस्वीकार्य है। दुर्भाग्य से मीडिया पुलिस प्रशासन के इस अपराध में भागीदार बन रही है। मीडिया पर हमले हुए और यह भी अस्वीकार्य है। किंतु तब भी हमें अपना संयम नहीं खोना चाहिए। डेरा को गुरमीत राम रहीम ने हर दृष्टि से स्वावलंबी बनाने का काम किया। वह उनके सोचने के तरीके के अनुरुप है। पेट्रोल पंप से लेकर, स्कूल, अस्पताल....दूकानें, होटल सब कुछ उसके अंदर निर्मित है। यह कोई आज से नहीं है। अगर इसमें कुछ गैर कानूनी था तो पुलिस ने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की? अगर अंदर पटाखा की फैक्टरी बिना लाइसेंस के चल रही थी तो क्यों? क्या इसका पता पुलिस को नहीं था? पहले उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
ये सारे सवाल तो पुलिस से भी पूछा जाना चाहिए। पटाखा बनाने का विस्फोटक मिलता है तो हम मीडिया वाले ऐसे प्रस्तुत करते हैं मानो वहां आतंक फैलाने के लिए विस्फोटक रखा हुआ था। यह बिल्कुल गलत है। पुलिस आखिर किन कानूनों के तहत इस प्रकार की कार्रवाई कर रही है?
मेरा मानना है कि डेरा के लोगों पर अब तक का सबसे बड़ा संकट आया है। उन्हें संयम से व्यवहार करना है। किंतु उन्हें इसके विरोध में आगे आना चाहिए। हां, विरोध पूरी तरह अहिंसक हो और कानून के दायरे में हो। आप हरियाणा सरकार की इस कार्रवाई के विरोध में जगह-जगह सत्याग्रह करिए। यानी अहिंसक धरना-प्रदर्शन करिए, जेल जाइए। और यह लगातार करिए। अहिंसक विरोध आपका अधिकार है।