shabd-logo

षड्यंत्रों से संघर्ष करती हिंदी

11 जनवरी 2018

154 बार देखा गया 154
षड्यंत्रों से संघर्ष करती हिंदी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा होने के बावजूद हिंदी षड्यंत्रों का शिकार रही है। स्वाधीनता के बाद से हमारे देश में, हिंदी के खिलाफ षड्यंत्र रचे जाते रहे हैं। उन्ही का परिणाम है कि हिंदी आजतक अपना अनिवार्य स्थान नहीं पा सकी है। हम अपनी मानसिक गुलामी की वजह से यह मान बैठे हैं कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम नहीं चल सकता। अंग्रेजी के नाम पर जितनी अनदेखी और दुर्गति हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की हुई है उतनी शायद ही कहीं भी किसी और देश में उसकी राष्ट्रभाषा की हुई हो। अंग्रेजों के समय अंग्रेजी भाषा की जितनी महत्ता थी, उससे अधिक आज है। अपने ही  देश में हिंदी मातहत भाषा बन गयी है। प्रत्येक विकसित तथा स्वाभिमानी देश की अपनी एक भाषा अवश्य होती है जिसे राष्ट्रभाषा का गौरव प्राप्त होता है। शायद भारत इकलौता ऐसा देश है, जिसकी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, यह राष्ट्रीय शर्म की बात है। किसी भी स्वाधीन राष्ट्र में उसकी राष्ट्रभाषा इतने समय तक उपेक्षित नहीं रही है। आजादी के साढ़े छह दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी हमारी सरकारी सोच पर अंग्रेजी हावी है। तुर्की जब आजाद हुआ तो एक हफ्ते में वह विदेशी भाषा के चंगुल से मुक्त हो गया था। मुस्तफा कमाल पाशा की इच्छाशक्ति ने अविश्सनीय समय में तुर्की को राष्ट्रभाषा बना दिया। मुस्तफा कमाल पाशा का मानना था कि राष्ट्र निर्माण के लिए पहली आवश्यकता यह है कि अंग्रेजी के स्थान पर तुर्की भाषा को राष्ट्रभाषा बनाया जाए। इससे ठीक उलट 15 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस देश के 30 करोड़ लोगों को अंग्रेजी में संबोधित किया। उसी दिन यह तय हो गया था कि देश उस भाषा में चलेगा, जिस भाषा में नेहरू सोचते हैं। नेहरू के अंग्रेजी प्रेम की वजह से राजकाज में हिंदी का उपयोग शुरू नहीं हो सका। नेहरू के विचार में राजव्यवहार के लिए अंग्रेजी अनिवार्य थी। बाद की सरकारें इसी नजरिये से सोचती रहीं। शासन की जिम्मेवारी संभालनेवालों ने षड्यंत्र के तहत अंग्रेजी को तवज्जो देना शुरू किया और यह धीरे-धीरे व्यापक रूप लेता गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि राष्ट्रीयता और राष्ट्रभाषा की सोच पीछे छूट गयी। हमारी राष्ट्रभाषा लगातार कमजोर पड़ती गयी। यह दुर्भाग्य है कि अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति सम्मान का एक स्वर सुनाई नहीं दे रहा है। राष्ट्रभाषा से लगाव या उसपर गौरव करना तो अपराध करने जैसा प्रतीत होता है। कैसा अजब लगता है कि अपने ही देश में अपनी भाषा के लिए जब आवाज कोई उठाता है तो उसकी आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है। अपनी भाषा के पक्ष में बोलनेवालों की आलोचना होती है। उसकी सोच को मध्यकालीन करार दिया जाता है। हमारी सरकार कहती कुछ और है करती कुछ और है। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही हिन्दी भाषा पर जोर दिया था। यहां तक कि मंत्रालयों को भी हिन्दी में काम करने की नसीहत दी गई थी। लेकिन हुआ कुछ नहीं, सबकुछ पूर्ववत चल रहा है। लोकभाषा को महत्व दिए बिना लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था का कोई भी अंग संतोषजनक ढंग से तब तक काम नहीं कर सकता जब तक की उसकी भाषा लोकभाषा के अनुरूप नहीं हो। न्यायपालिका लोकतंत्र का महत्वपूर्ण अंग है। विडंबना है कि न्यायालयों में हिंदी को मान्यता देने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। राज्यभाषा पर संसदीय समिति ने वर्ष 1958 में यह अनुशंसा की थी कि उच्चतम न्यायालय में कार्यवाहियों की भाषा हिंदी होनी चाहिए। लेकिन देश के न्यायालयों की कार्यवाहियां अंग्रेजी भाषा में ही संपन्न होती रही। संविधान के भाषा संबंधित नीति में कहा गया है कि जब तक हिंदीत्तर क्षेत्रों की तीन-चैथाई सदस्य एकमत से हिंदी स्वीकार नहीं करते तब तक अंग्रेज चलती रहेगी। संविधान के अनुच्छेद 348 में यह कहा गया है कि संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाहियां अंग्रेजी भाषा में होगी। भाषा का प्रश्न मानवीय है खासकर भारत में जहाँ साम्राज्यवादी भाषा जनता को जनतंत्र से अलग कर रही है। तमाम भारतीयों का सपना था कि आजादी के बाद लोक-व्यवहार और राजकाज में भारतीय भाषाओं का प्रयोग होगा। दुर्भाग्यवश यह सपना कभी सच नहीं हो पाया। आज़ादी के बाद संविधान बनाने का उपक्रम शुरू हुआ। संविधान का प्रारूप अंग्रेजी में बना, संविधान की बहस अधिकांशतः अंग्रेजी में हुई। यहाँ तक कि हिंदी के अधिकांश पक्षधर भी अंग्रेजी भाषा में ही बोले। अगर हिंदी को लेकर हमारे संविधान निर्माता संजीदा होते तो हिंदी की यह हालत नहीं होती। साधनविहीन जन की भाषा अंग्रेजी न तो पहले थी और न अब है। करोड़ों लोगों के देश में अंग्रेजी न जनभाषा हो सकती है और न राजभाषा। विभिन्न रूपों में यह स्थान हिंदी को ही लेना है। हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा हासिल करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा। यह दर्जा भी केवल कागजों तक ही सीमित रहा। आज भी यह सवाल अनुतरित है कि भारत की राष्ट्रभाषा क्या है?  गुजरात उच्च न्यायालय के अनुसार ऐसा कोई प्रावधान या आदेश रिकार्ड में मौजूद नहीं है जिसमें हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया हो। हिंदी मातृभाषा है, राजभाषा है अथवा संपर्क भाषा, इस पर चर्चा हमेशा से होती रही है।  वर्ष 1965 में संसद द्वारा हिंदी राजभाषा अधिनियम पारित किया गया था। तभी से हिंदी को स़िर्फ राजभाषा का दर्जा हासिल है, लेकिन राष्ट्रभाषा का नहीं। आज भी प्रशासन और न्यायालय हिंदी में नहीं चलते। हर क्षेत्र में अंग्रेजी का वर्चस्व है। सरकारी दफ्तरों में अधिकतर कार्य अंग्रेजी में ही किया जाता है। घर से लेकर रोजगार और शिक्षा हर जगह हिंदी की उपेक्षा की जा रही है। जब तक अंग्रेजी का वर्चस्व रहेगा हिंदी का बढ़ना मुश्किल है। हमें अंग्रेजी का वर्चस्व समाप्त करना होगा। करोड़ों लोगों की भाषा शासन और न्याय की भाषा क्यों नहीं बन सकती है? किसी भी देश के लिए अपनी ऐसी भाषा की अनिवार्यता होती ही है जो अधिकांश जन बोलते-समझते हों। जो उस देश की संस्कृति की सूचक हो। दुर्भाग्यवश जन-जन की भाषा कहलाने वाली हिंदी को सहेजने में हम चूक गए।  राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए का व्यय तो हो रहा है, वांछित फल नहीं प्राप्त हो रहा, क्योंकि सब कुछ सतही है। अब तक जो भी चेष्टा की गयी, पर वह ठीक तरह से किया गया है यह कहना संशयात्मक है। जो सत्ता के केंद्र में हैं, व्यवस्था के अंग हैं या सामाजिक स्तर से मजबूत हैं वे अपनी दुनिया में रमे हुए हैं। ऐसी कोई पार्टी नहीं है जो हिंदी के प्रश्न पर डटी रहे और हिंदी के लिए लड़ती हुई दिखाई दे। लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग विधायिका में हिंदी समेत अन्य भारतीय भाषाओं की हालत पर कभी बहस नहीं होती है। इस मुद्दे पर हिंदी भाषी प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करनेवाले नेताओं की उदासीनता शर्मनाक ही कही जा सकती है। देश की संसद में अभी तक हिंदी को वह दर्ज़ा नहीं मिल सका है जो एक राष्ट्रभाषा को मिलना चाहिये। संसद में अधिकतर सदस्य अंग्रेजी में ही प्रश्न पूछते हैं व बहस करते हैं। हमारे देश में अंग्रेजी ऐसी विभाजन रेखा है, जो तय करती है कि किसी को जिंदगी में कैसा कैरियर और सुख-सुविधाएं मिलेंगी। अंग्रेजी बोलना-लिखना-पढ़ना समाज में बेहतर स्थिति और रोजगार की बहुत बड़ी योग्यता है। ज्ञान-विज्ञान, शिक्षा, राजनीति, शासन, पत्रकारिता जैसे क्षेत्रों में अंग्रेजी जाननेवालों का अधिकारयुक्त स्थान है। हिंदी किसी भी दृष्टिकोण से किसी भाषा से हीन नहीं है। हिंदी तो वह समर्थ भाषा है, जो पूरे देश को एक प्रेम के धागे से जोड़ सकती है। हिंदी विश्व में सर्वाधिक बोली जानेवाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। राजनीतिज्ञ और नीति निर्माता हिंदी के जिस महत्व को नहीं समझ पाये, बाजार ने फौरन समझ लिया। हिंदी आज बाजार की भाषा बन गयी है। एक ऐसी भाषा जिसके सहारे करोड़ो लोगों को बाजार द्वारा रोज नये सपने दिखाये जाते हैं। उदारीकरण के बाद जब बाजार का विस्तार हुआ तो विदेशी कंपनियां और विदेशी निवेशक अपने-अपने उत्पादों के साथ भारत पहुंचे। यहां के बाजार के सर्वे और शोध के बाद उन्हें यह महसूस हुआ कि भारतीय उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए उनकी भाषा का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। हिंदी को अपनाना बाजार की मजबूरी भी थी। देश में हिंदी बोलने, और समझनेवालों की संख्या सर्वाधिक है। बाजार ने हिंदी जाननेवालों को बाकी दुनिया से जुड़ने के नये विकल्प खोल दिये हैं। फिल्म, टी.वी., विज्ञापन और समाचार हर जगह हिंदी का वर्चस्व है। इंटरनेट और मोबाइल ने हिंदी को और विस्तार दिया। हिंदी बढ़ रही है लेकिन इसके सरोकार लगातार घट रहे हैं। जब हिंदी बाजार की भाषा हो सकती है तो रोजगार, शिक्षा और लोकव्यवहार की भाषा क्यों नहीं ? यह समझ से परे है कि हमारे देश में अंग्रेजी को इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है। दुनिया के 12 से भी कम देशों की राष्ट्रभाषा अंग्रेजी है। दुनिया के लगभग सारे मुख्य विकसित व विकासशील देशों में वहाँ का काम उनकी भाषाओं में ही होता है। अधिकांश देशों में दूसरे देशों के साथ आर्थिक-व्यापारिक सौदों के लिए मूल पाठ अंग्रेजी में नही बनाया जाता है तथा वार्ताओं में भी वे अपनी ही भाषा बोलना पसंद करते हैं। अनेक देशों के राजनेता अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी मातृभाषा का ही इस्तेमाल करते हैं। जापानियों, चीनियों, कोरियनों का अपनी भाषा के प्रति गजब का सम्मान और लगाव है। बिना अंग्रेजी के इस्तेमाल के ऐसे देश विकास के दौड़ में कई देशों से काफी आगे हैं। फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश आदि भाषाओं ने कभी अंग्रेजी के सामने समर्पण नहीं किया। हिंदी समाज को आधुनिक हिंदी के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की इन पंक्तियों से सीख लेने की जरूरत है : निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल, विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार, सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार। सामाजिक सक्रियता किसी भी भाषा के लिए एक अनिवार्य शर्त है जिसे हिंदीभाषियों ने पूरी तरह से भुला दिया है। हिंदी समाज ने यह मान लिया है कि राजभाषा होने के बाद ही हिंदी की सारी समस्या सुलझ गयी है। विडंबना है कि हिंदी को वह जगह नहीं मिल रही है, जिसकी वह हकदार है। हिंदी न तो संवैधानिक रूप से राष्ट्रभाषा बन पायी और न ही पूरी तरह से राजभाषा। हिंदी के संस्कारों और उसकी समृद्ध परंपरा को बचाए रखना बड़ी चुनौती है। बिना भारतीय भाषाओं के भारतीय संस्कृति ज़िंदा नहीं रह सकती। भारतीय सभ्यता और संस्कृति में हिंदी की जड़ें काफी गहरी हैं। अगर हिंदी को बचाना है तो यह जरूरी है कि शासकीय कामकाज और न्यायालयों में हिंदी को महत्व दिया जाये और इसे शिक्षा और रोजगार से जोड़ा जाये।हिंदी हमारे देश की एकता की कड़ी है। यह  हमारी मातृभाषा, राजभाषा है, इसे राष्ट्रभाषा का दर्ज़ा मिलना ही चाहिए। हिमकर श्याम

अजीत सिंहः की अन्य किताबें

1

भारतम्

7 अगस्त 2017
0
0
2

जयतु भारतम्

2

भारत और हम

7 अगस्त 2017
0
0
0

भारत में कुछ अजीबकिस्म के एकता वादी जन्म लेते हैं जो हमेशा यहाँ की वैचारिक परम्पराओं को ही हर घटना के लिए उत्तरदायी ठहराते रहते हैं। चाहे उसमें उसका लेशमात्र भी हिस्सा न हो। और भारत से बाहर जन्मे विचार तो ऐसे हैं उनके लिए कि पूँछो ही मत एक तरफ स्वंय ईश्वर आकर खडा हो जाये तो ये ईश्वर में दोष निकाल सक

3

स्वदेशी के आग्रही बनो....

7 अगस्त 2017
0
0
0

मित्रों हम सबके लिए बहुत ही हर्ष का विषय है कि हमारे बीच अब एक ऐसा सामाजिक एप है जो स्वदेशी है और वह विदेशी एप वाट्सऐप का अविस्मरणीय विकल्प उपलब्ध करा रहा है। हम आपसे पहले भी स्वदेशी के लिए आग्रह कर चुके हैं, और आज फिर एक शुभ घड़ी आई है हाइकएप के रूप में, तो सबसे अनुरोध है वाट्सऐप के खाते को मिटाकर

4

स्वदेशी के आग्रही बनो...

8 अगस्त 2017
0
0
0

मित्रों हम सबके लिए बहुत ही हर्ष का विषय है कि हमारे बीच अब एक ऐसा सामाजिक एप है जो स्वदेशी है और वह विदेशी एप ट्वीटर का अविस्मरणीय विकल्प उपलब्ध करा रहा है। हम आपसे पहले भी स्वदेशी के लिए आग्रह कर चुके हैं, और आज फिर एक शुभ घड़ी आई है मूषक एप के रूप में, तो सबसे अनुरोध है ट्वीटर के खाते को मिटाकर म

5

भारत और अंग्रेजीयत

8 अगस्त 2017
0
1
1

जब हम लोगों से कहते हैं कि देवनागरी अपनाओ और अंग्रेजी हटाओ..! तो लोग बार- बार यही प्रश्न करते हैं कि इससे क्या हो जायेगा? रोजगार बड जायेंगे? गरीबी कम हो जायेगी? भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा? हम कहते हैं ऐसा कर के देख लो। देवनागरी को अपना बना के देखो पता चल जायेगा कि तुम बाकी लोगों से कितने बडे हो गये

6

वर्तमान भारतीय और उनकी सोच

8 अगस्त 2017
0
1
0

जो लोग हाय,आई एम फाइन,गुड मोर्निंग, थैंक्यू चार अंग्रेजी के शब्द रटकर अंग्रेजी जानने का दावा करते हैं वही सुबह से साम तक हिन्दी में बात करते हुये कहते हैं यार इतनी हिन्दी नहीं आती....!

7

हम और हमारा भारत

8 अगस्त 2017
0
1
0

यदि हम श्रेष्ठ हैं तो ये हमारा कर्तव्य है कि हम सबको अपने दिल में जगह दें।

8

स्वदेशी है तो स्वाभिमान है

9 अगस्त 2017
0
0
0

आज हमारे साथ कुछ ऐसा हुआ सामाजिक माध्यम ट्वीटर पर कि सोचा आप सबके साथ साझा करूँ। मुझे लगता है कि यह आवश्यक भी है। तो ट्वीटर का घटना क्रम कुछ इस तरह घटा- हम स्वाभाविक रूप से स्वदेशी के आग्रही है विकल्प मिलने पर तो इसी क्रम में प्रारम्भ में हमने वाट्सऐप,ट्वीटर फेसबुक सब चलाया लेकिन जब हाइक के बारे में

9

शब्दनगरी के लिए दो शब्द...

9 अगस्त 2017
0
3
2

शब्दनगरी हम सब भारतीयों के लिए गर्व की बात है। हम हर जगह विदेशियों के पीछे भागते रहे हैं। जिसे श्री अमतेश मिश्र जी ने गम्भीरता से लिया और फेसबुक के स्वदेशी सर्वोत्तम विकल्प 'शब्दनगरी' हमारे बीच लेकर आये। मुझे आशा है कि शब्दनगरी भारत जन में राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र सम्मान, राष्ट्र भाषा के प्रति आदर भाव

10

हिन्दी अपनाओ अंग्रेजी के तलवे चाटना बन्द करो...!

10 अगस्त 2017
0
0
2

हिन्दी सहित भारतीय भाषायें उस भाषा से हार रही है जिसके बोलने वालों की कुल संख्या मात्र 226449 है 2011की जनगणनानुसार। क्यों? सोचा है कभी? ये ठीक वैसा ही है जैसे मीर जाफर और क्लाइव के बीच हुआ। उस घटना के लिए हम मीर जाफर को दोषी ठहराते रहते हैं।गद्दार कहते नहीं थकते। और जब अंग्रेजी की बात आती है तो हम

11

अंसारी और बाकी दुनियाँ

11 अगस्त 2017
0
1
0

अंसारी के साक्षात्कार ने फिर से यह साबित कर दिया है कि मुसलमान दुनिया के किसी भी अन्य समाज के साथ नहीं रह सकता नम्र से नम्र समाज के साथ उसका निबाह नहीं होगा। वो जहाँ भी होगा खुद को पीडित बतायेगा और दूसरे मासूमों को कत्ल करेगा। वो जहाँ भी होगा उस समाज का खून चूसने वाला कीडा बनकर रहेगा कभी समाज में ए

12

भारत जन का देश प्रेम का अनौखा रूप...

12 अगस्त 2017
0
1
3

यूँ तो सब अपने अपने देश से प्रेम करते हैं। विश्व में बहुत कम लोग होंगे जिन्हें अपने देश,अपनी सभ्यता,अपनी संस्कृति से प्रेम न हो। आप नजर उठा कर देखेंगे तो उनका देशप्रेम देखने को मिल जायेगा जैसे कभी आप जापान के बारे में पता करें तो मालूम होगा कि वे इतने राष्ट्रवादी है कि दूसरे देश से आये फल तक नहीं खा

13

भारत की भाषाओं का ऐसा अपमान..... वो भी भारत में...! क्यों...? सोचो...!

15 अगस्त 2017
0
2
1

एक भाषा हमारे राष्ट्र को कैसे अवनति की ओर धकेल रही है इसका नूतन दृश्य रामजन्मभूमि विवाद है। जिसे शीघ्र सुलझाने के लिए नियमित कार्यवाही का अनुरोध किया गया था उसे पहले ही दिन तीन माह के लिए आगे बडा दिया गया। मात्र इसलिए क्यों कि विषय से सम्बन्धित पुरालेख अंग्रेजी में नहीं थे वो सभी स्थानीय भाषाओं में

14

खता तो जब हो जब हाल ऐ दिल किसी से कहें...

18 अगस्त 2017
0
1
2

किसी को चाहते रहना..... कोई.... खता... तो नहीं.....

15

गीतों और नारों में राष्ट्रनिष्ठा खोजता भारत....!

19 अगस्त 2017
0
1
3

हमारी गति भी अजीब हो रही है। जहाँ भारत के हर अंग में अंग्रेजीयत भरी है... गुलामी भरी है..... वहाँ हम नारों में राष्ट्र निष्ठा खोज रहे हैं... राष्ट्र गीत में राष्ट्रनिष्ठा खोज रहे हैं... राष्ट्रगान में राष्ट्रनिष्ठा खोज रहे हैं... जहाँ अंग्रेजी को अपनाने के लिए कानून बने हुये हैं जहाँ अंग्रेजीयत को म

16

स्वदेशी है तो स्वाभिमान है..

20 अगस्त 2017
0
3
6

हम लोगों की सोच पर पता नहीं कौन सा पत्थर पड गया है कि हमेशा हम गैरों को श्रेष्ठ मानते रहते हैं। और अपने आपको हीन। यह बहुत ही दुःखद है परन्तु सत्य है। कोई चीज आयातित है विदेशी है तो वो श्रेष्ठ ही है श्रेष्ठ होगी ही.... हमारा अक्सर यही मानना रहता है। फिर चाहे बात भाषा की हो, साहित्य की हो, संस्कृति की

17

मेरे प्रिय

21 अगस्त 2017
0
0
0

मित्र अच्छे हो या बुरे जीवन में बहुत से मित्र होने चाहिए। उनके विना जीवन बदरंग है।

18

तलाक एक कुरीति

22 अगस्त 2017
0
1
1

कुरीति को मिटाने के प्रयास चाहे कोई भी करे कैसे भी करे हम सबको उसका साथ देना ही चाहिए। जो लोग इस कुरीति पर हो रही कार्यवाही को अपनी क्षुद्र बुद्धि के कारण गलत बता रहे हैं वे समाज के शत्रु हैं। कोई दल, कोई व्यक्ति यदि हमें पसन्द नहीं तो क्या हम उसके हर उचित काम में बाधा बने? नहीं..! सभ्य जन तो ऐसा कभ

19

हिंदी में उपलब्‍ध वि‍ज्ञान, तकनीकी साहि‍त्‍य, पाठ्यक्रम और रोजगार के अवसर

23 अगस्त 2017
0
1
1

राहुल खटे (Rahul Khate)इस वेबसाईट का नि‍र्माण हिंदी के ज्ञानवर्धक पक्ष के प्रचार-प्रसार के लि‍ए कि‍या गया है। इसमें दी गई सामग्री का उपयोग शि‍क्षा-अनुसंधान और हिंदी के प्रचार-प्रसार के लि‍ए किया जा सकता हैं।Tuesday, December 6, 2016हिंदी में उपलब्‍ध वि‍ज्ञान, तकनीकी साहि‍त्‍य, पाठ्यक्रम और रोजगार के

20

जय पराजय

25 अगस्त 2017
0
0
0

"जय पराजय महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है तो ये कि हमारा संघर्ष किन सिद्धान्तों/उद्देश्यों के लिए है।"ट्वीटर के स्थान पर स्वदेशी मूषक पर मिलें मेरा मूषक पता- @अजीतसिंहः

21

प्रतीकों के सहारे गुमराह होते लोग....

25 अगस्त 2017
0
0
0

एक तरफ तो भारत की भाषाओं पर हिन्दी सहित कानूनी तैर पर प्रतिबन्ध लगा रखा है और दूसरी ओर हमारे नेता संस्कृत में पद व गोपनीयता व राष्ट्र सेवा के लिए दिखावे की शपथ ले कर स्वंय को भारतीयता का,भारत की संस्कृति का रक्षक बता रहे हैं। और जनता को मूर्ख बना रहे हैं। क्या कभी ऐसे बहरूपियों को राजनीति से भगाया

22

अतिवादी समाज के अज्ञानी.....

26 अगस्त 2017
0
0
0

गुरमीत रामरहीम इंसा के केस को लेकर हरियाणा,पंजाब,दिल्ली, उत्तरप्रदेश व राजस्थान में उनके समर्थकों ने तोड फोड मचा रखी है जिससे अन्य लोगों को अनावश्यक कष्ट उठाना पड रहा है क्यों कि यातायात के सार्वजनिक साधनों पर रोक लगा दी गई है कुछ की दिशा बदल दी गई है। कई क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लगा दी गई है। दूसरी

23

मनुस्मृति से.......

26 अगस्त 2017
0
2
1

यत्र धर्मो ह्यधर्मेण सत्यं यत्रानृतेन च।हन्यते प्रेक्षमाणानां हतास्तत्र सभासदः।।मनुस्मृतिजिस सभा में बैठे हुए सभासदों के सामने अधर्म से धर्म और झूठ से सत्य का हनन होता है,उस सभा में सब सभासद मरे-से ही हैं।

24

महाभारत से....

27 अगस्त 2017
0
0
0

न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धावृद्धा न ते ये न वदन्ति धर्मम्।नासौ धर्मो यत्र न सत्यमस्तिन तत् सत्यं यच्छलेनाभ्युपेतम्।।-महाभारतअर्थ- वह सभा नहीं है,जिसमें वृद्ध पुरूष न हों। वे वृद्ध नहीं हैं जो धर्म ही की बात नहीं बोलते। वह धर्म नहीं है, जिसमें सत्य नहीं और न वह सत्य है जोकि छल से युक्त हो।।

25

रोहिंगिया पीडित या पीडक...?

27 अगस्त 2017
0
1
0

कश्मीर में बसे रोहिंगिया खुद को मजबूर और पीडित बता रहे हैं और म्यामार में वही रोहिंगिया मासूम लोगों का और सैनिकों का खून बहा रहे हैं।

26

वर्तमान भारत हजारों प्रतिरोधों से संघर्षरत

27 अगस्त 2017
0
1
0

वर्तमान भारत हजारों प्रतिरोधों से संघर्षरत है। राजनेता दलों से दवे हुये हैं और दल जातीय, सांप्रदायक दलदल में फसे हुये हैं जिसके कारण राष्ट्र हित पीछे छूटता जा रहा है। तो ऐसे में हम सामान्य जनों पर कर्तव्य और अधिक बड जाता है। उसी सन्दर्भ में मेरा मत है कि यदि भारत की भाषाई समस्या का समाधान कर लिया जा

27

भारत में भाषायें एक भ्रम.......

28 अगस्त 2017
0
2
1

भारत को खण्ड-खण्ड करने की सोच रखने वाले भाषाशास्त्रियों के बस में होता तो वे भारत के हर नागरिक के नाम पर उसके बोलने के उतार चढाव को आधार मानकर भाषाओं का नामकरण कर देते। यद्यपि वे इस स्थिति पर तो नहीं पहुँचे कि एक व्यक्ति एक भाषा को साकार करते फिर भी उन्होंने क्षेत्रों को अलग-अलग कर दिया, जातियों को

28

भारत,म्यामार और बाकी दुनिया

28 अगस्त 2017
0
0
0

भारत में कुछ अजीबकिस्म के एकता वादी जन्म लेते हैं जो हमेशा यहाँ की वैचारिक परम्पराओं को ही हर घटना के लिए उत्तरदायी ठहराते रहते हैं। चाहे उसमें उसका लेशमात्र भी हिस्सा न हो। और भारत से बाहर जन्मे विचार तो ऐसे हैं उनके लिए कि पूँछो ही मत एक तरफ स्वंय ईश्वर आकर खडा हो जाये तो ये ईश्वर में दोष निकाल सक

29

अंग्रेजी की महानता.....

29 अगस्त 2017
0
2
0

क्या आपको पता है कि गवर्नमेंट, क्राउन, स्टेट, एँपायर, रॉयल, कोर्ट, काउंसिल, पार्लियामेंट, असेंबली, स्टैच्यूट, वॉर्डन, मेयर, प्रिंस, प्रिंसेस, ड्यूक, मिनिस्टर, मैडम, जस्टिस, क्राइम, बार, एडवोकेट, जज, प्ली, सूट, पेटिशन, कंप्लेंट, समन, एविडेंस, प्रूफ, प्लीड, वारंट, प्रॉपर्टी, इस्टेट, आर्ट, पेंटिग, म्यू

30

देश से प्रेम करो देशप्रेम के सिर्फ भाषण मत दो.....

31 अगस्त 2017
0
1
0

दिन रात मेरा भारत मेरा देश जपने वालो अगर तुम्हारी आँखों में जरा भी शर्मोहया बाकी है तो विदेशी फेसबुक/वाट्सऐप/ट्वीटर को बन्द करो...! और स्वदेशी शब्दनगरी/हाइक/मूषक चलाओ...! स्वदेशी विकल्प मौजूद है ये जानने के बाद भी जो फेसबुक/वाट्सऐप/ट्वीटर पर चिपके हैं वो किसी भी तरह से गद्दार से कम नहीं हैं। क्या तु

31

एकजुट रहो.....

1 सितम्बर 2017
0
1
0

शक्तिशाली व्यक्ति भी अहंकार में जब स्वजनों से वैर करता है तो वह झुण्ड से अलग हुये मैमने की भाँति अनायास ही काल का ग्रास बन जाता है।

32

राष्ट्र की उन्नति का आधार स्वदेशी

3 सितम्बर 2017
0
0
0

राष्ट्र की उन्नति का आधार स्वदेशी हमें यह समझना होगा कि देश में जो भी विकास अभी तक हुआ है, वह वास्तव में स्वदेशी के आधार पर ही हुआ है। कुल पूंजी निवेश में विदेशी पूंजी का हिस्सा २ प्रतिशत से भी कम है और वह भी गैर जरूरी क्षेत्रों में विदेशी पूंजी निवेश जाता है। आज चिकित्सा के क्षेत्र में भारत दुनिया

33

मूषक भारत का अपना सोसल नेटवर्क

3 सितम्बर 2017
0
0
0

मूषक एक वेब/एप एप्लीकेशन/सोसल नेटवर्क है जो एक विदेशी सोसल नेटवर्क ट्वीटर का उत्तम विकल्प है। इसका निर्माण पुणे के बन्धु श्री अनुराग गौड़ जी के द्वारा किया गया है। आप इस तक गूगल प्लेस्टोर पर 'मूषक' या रोमन में 'mooshak'

34

मूषक भारत का अपना सोसल नेटवर्क

3 सितम्बर 2017
0
2
1

मूषक एक स्वदेशी सोसल नेटवर्क है जो विदेशी सोसल नेटवर्क ट्वीटर का उत्तम विकल्प है आप इसे बहुत ही आसानी से प्रयोग में ला सकते हैं। इसके मोबाइल एप वर्जन डाउनलोड करने के लिए गूगल प्लेस्टोर में जाकर मूषक या mooshak लिख कर कर सकते हैं या कम्प्यूटर पर www.mooshak.in टाइप करें। इस पर खाता अपने मेल आईडी से

35

अंग्रेजी हटाओ

4 सितम्बर 2017
0
0
1

अपनी भाषा अपना देशअंग्रेजी की वहिष्कार करो

36

रोहिंगिया

6 सितम्बर 2017
0
0
0

जो अपने समाज में औरों को स्वीकार्य नहीं करते वे भारत से स्वंय को स्वीकार्य करने के लिए दबाव बना रहे हैं। और कुछ निहायत ही घटिया और टुच्चे लोग उन्हें पीडित बता रहे हैं। और आँसू बहा रहे हैं और भारत को भारत की सरकार को गरिया रहे हैं।

37

गौरी लंकेश

7 सितम्बर 2017
0
0
0

जो दूसरों के लिए जाल बिछाते हैं उन्हें भी कभी-कभी उसी जाल में फस कर प्राणों का त्याग करना पडता है।#गौरीलंकेश#हत्यापरराजनीति

38

म्यांमार से रोहिंग्या मुस्लिमों क्यों भगाया जा रहा है? जानिये पूरा इतिहास…

7 सितम्बर 2017
0
2
0

जब सोमालिया में जन्मे और पाकिस्तान में आठ वर्ष बिता चुके अब्दुल रज्जाक आर्तन ने अमेरिका की ओहायो यूनिवर्सिटी में मौजूद भीड़ में अपनी कार तेजी से घुसा दी और फिर उस भीड़ में से बचे हुए लोगों पर चाकुओं से हमला किया, तब वह चीख रहा था, “अमेरिका दूसरे मुस्लिम देशों में दखल देना बंद करे, म्यांमार के रोहिंग

39

Conspiracy बनाम Victim

11 सितम्बर 2017
0
0
0

कम स्तर की, अचानक, लेकिन सतत हिंसा: इस्लाम का सबसे ख़तरनाक हथियार (Low level, random, but unceasing violence: the deadliest weapon of Islam)एक विडीओ वाइरल है सोशल मीडिया पर। कुछ मुसलमान बच्चे गणेश जी की प्रतिमा पर पत्थरबाज़ी करते CCTV कैमरे में रिकार्ड हुए है। ये तो बच्चे है, कुछ समय पहले एक अन्य वि

40

पंजाब के अमृतसर में मुगल......

11 सितम्बर 2017
0
0
0

पंजाब के अमृतसर में मुगलों का राज था।तारू सिंह अपनी माता के साथ पहूला गांव में रहते थे। वे सिख थे। धर्म ही उनका सब कुछ था। एक दिन तारू सिंह के यहां रात्रि में विश्राम के लिए जगह खोजते हुए रहीम बख्श नाम का एक मछुआरा आया। तारू सिंह ने ना केवल उसकी सहायता कि बल्कि उसे पेट भर भोजन भी कराया।रात्रि के दौर

41

डेरा सच्चा सौदा को नष्ट करने का हरियाणा सरकार का रवैया गलत अवधेश कुमार

11 सितम्बर 2017
0
0
0

हरियाणा पुलिस और प्रशासन जिस तरह डेरा सच्चा सौदा को खत्म करने पर तुली है उसका समर्थन नहीं किया जा सकता है। डेरा के वर्तमान प्रमुख पर न्यायालय में यौन शोषण और बलात्कार का मामला प्रमाणित हुआ है और उन्हें उतनी सजा मिली है जितनी हम आप कल्पना भी नहीं कर रहे थे। दो दोषों की अलग-अलग सजा। अगर उपर के न्यायाल

42

विदेशी भी या पूर्ण स्वदेशी....!

15 सितम्बर 2017
0
1
1

यदि हम विदेशी भी अपनायें और स्वदेशी का भी ढोल पीटते रहें तो यह एक विशुद्ध पागलपन और नौटंकी है, वैसे ही जैसे हमारे नेता/अभिनेता/समाजसेवी नौटंकी बाज है। भाषण हिन्दी में काम अंग्रेजी में। रोटी हिन्दी की चाकरी अंग्रेजी की। बात स्वदेश गर्व की गुलामी औरों की।मित्रों स्वदेश पर गर्व है स्वदेशी से प्रेम है त

43

ओ३म्.....

16 सितम्बर 2017
0
1
0

 "वेदों मे वर्णित सार का पान करनेवाले ही ये जान सकते हैं कि  'जिन्दगी' का मूल बिन्दु क्या है।" -स्वामी दयानन्द सरस्वती जी

44

पढो....

19 सितम्बर 2017
0
1
0

"पढो, लिखो, कर्म करो, आगे बढो, कष्ट सहन करो, एकमात्र मातृभूमि के लिए, माँ की सेवा के लिए"-अरबिन्दो घोष

45

🌷मनुस्मृति और धर्म 🌷

20 सितम्बर 2017
0
3
5

वास्तविक धर्म क्या है और धर्म कैसा होना चाहिए।धर्म क्या है इस पर वैषेशिक के महर्षि कणाद कहते हैं:-*'यतोऽभ्युदय निःश्रेयस्सिद्धि स धर्मः'।*अर्थात् जो कर्म हमारा अपना उद्धार अरें और प्राणी मात्र को जिससे सुख मिले वह धर्म है।परमात्मा ने संसार रचा।उसमें नाना प्रकार के फल फूल,वनस्पतियाँ,औषधियाँ,अन्न,आदि

46

ब्राह्मण शब्द को लेकर भ्रांतियां एवं उनका निवारण डॉ विवेक आर्य

20 सितम्बर 2017
0
2
0

ब्राह्मण शब्द को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं। इनका समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। क्यूंकि हिन्दू समाज की सबसे बड़ी कमजोरी जातिवाद है। ब्राह्मण शब्द को सत्य अर्थ को न समझ पाने के कारण जातिवाद को बढ़ावा मिला है।शंका 1 ब्राह्मण की परिभाषा बताये?समाधान-पढने-पढ़ाने से,चिंतन-मनन करने से, ब्रह्मचर्य, अनुशासन, सत

47

विजयी के सदृश्य जियो रे.......

23 सितम्बर 2017
0
0
13

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालोचट्टानों की छाती से दूध निकालोहै रुकी जहाँ भी धार शिलाएं तोड़ोपीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ोचढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रेयोगियों नहीं विजयी के सदृश जियो रेजब कुपित काल धीरता त्याग जलता हैचिनगी बन फूलों का पराग जलता हैसौन्दर्य बोध बन नई आग जलता हैऊँचा उठकर काम

48

धुँधली हुई दिशाएँ...

23 सितम्बर 2017
0
0
0

धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासाकुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसाकोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा हैमुंह को छिपा तिमिर में क्यों तेज सो रहा हैदाता पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला देबुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला देप्यारे स्वदेश के हित अँगार माँगता हूँचढ़ती जवानियों का श्रृंगार मांगता हूँबेचैन हैं हवाएँ

49

हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी है

24 सितम्बर 2017
0
0
0

हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी हैबहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवालीगहने गढ़ाते जाओसर पर चढ़ाते जाओवह मुटाती जाएपसीने से गंधाती जाए घर का माल मैके पहुँचाती जाएपड़ोसिनों से जलेकचरा फेंकने को ले कर लड़ेघर से तो खैर निकलने का सवाल ही नहीं उठताऔरतों को जो चाहिए घर ही में हैएक महाभारत है एक रामा

50

नीरज बधवार की कलम से....

24 सितम्बर 2017
0
0
0

हिंदी दिवस हिंदी भाषियों के लिए रोना रोने का मौका बनकर रह गया है। जबकि ज़रूरत इस बात की है कि दुनिया को हिंदी भाषा की महानता के बारे में बताया जाए। उन गुणों के बारे में बताया जाए जो किसी और भाषा में नहीं है। जैसे-1. उदारता- पूरी दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां लोग अपनी राष्ट्र भाषा के लिए

51

गुलामों का देश भारत...

26 सितम्बर 2017
0
0
0

भारत के लोगो..! क्या अब भी बहाने बनाओगे..? चीन वाट्सऐप ट्वीटर फेसबुक/ट्वीटर/वाट्सऐप सब बन्द कर देता है राष्ट्र की सुरक्षा के लिए। और एक हम हैं और हमारे महान राष्ट्रवादी नेता हैं जो एक टुच्चे फेसबुक संस्थापक के पास मिलने जाते हैं। शर्म करो..! शर्म करो...!! भारत के लोगो शर्म करो.....!!! तुम्हारे पास स

52

आचार्य विनोबा भावे.....

30 सितम्बर 2017
0
2
1

"मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।" - विनोबा भावे।ये शब्द आचार्य ने अपने समय में कहे... क्या आज हम में से कोई है जो इन शब्दों का पुनरावर्तन कर सके..... और उनका मान रख सके...!

53

रवीन्द्रनाथ ठाकुर

1 अक्टूबर 2017
0
1
0

"अंग्रेजी सीखकर जिन्होंने विशिष्टता प्राप्त की है, सर्वसाधारण के साथ उनके मत का मेल नहीं होता। हमारे देश में सबसे बढ़कर जातिभेद वही है, श्रेणियों में परस्पर अस्पृश्यता इसी का नाम है।" - रवीन्द्रनाथ ठाकुर।

54

एकता का बल....

1 अक्टूबर 2017
0
1
1

एकत्व के बल का प्रदर्शन करती चीटियाँ जो एक विशालकाय कीट को जमीन पर खीचने के बजाय दीवार पर चड़ा लिए जा रहीं हैं। आप भी देखें...

55

क्रांतिकारी की कथा  हरिशंकर परसाई

2 अक्टूबर 2017
0
1
0

‘क्रांतिकारी’ उसने उपनाम रखा था। खूब पढ़ा-लिखा युवक। स्वस्थ सुंदर। नौकरी भी अच्छी। विद्रोही। मार्क्स-लेनिन के उद्धरण देता, चे ग्वेवारा का खास भक्त। कॉफी हाउस में काफी देर तक बैठता। खूब बातें करता। हमेशा क्रांतिकारिता के तनाव में रहता। सब उलट-पुलट देना है। सब बदल देना है। बाल बड़े, दाढ़ी करीने से बढ़

56

हिन्दी....

4 अक्टूबर 2017
0
0
0

बटुकदत्त से कह रहे, लटुकदत्त आचार्यसुना? रूस में हो गई है हिंदी अनिवार्यहै हिंदी अनिवार्य, राष्ट्रभाषा के चाचा-बनने वालों के मुँह पर क्या पड़ा तमाचाकहँ ‘ काका ' , जो ऐश कर रहे रजधानी मेंनहीं डूब सकते क्या चुल्लू भर पानी मेंपुत्र छदम्मीलाल से, बोले श्री मनहूसहिंदी पढ़नी होये तो, जाओ बेटे रूसजाओ बेटे

57

अंग्रेजी के ताले में बंद भारत का विकास

6 अक्टूबर 2017
0
1
0

यह सच है कि आर्थिक वैश्वीकरण के इस युग में अंग्रेजी भाषा की महत्ता थोड़ी मात्रा में ही सही, हर देश में बढ़ गयी है। अधिकांश देशों में अंग्रेजी शेष दुनिया के देशों के साथ संवाद के लिए प्रयोग की जाती है, विशेषकर अन्तरराष्ट्रीय लेन-देन के मामलों में। हालांकि कुछ गिने-चुने देश ही अंग्रेजी को आन्तरिक प्रश

58

अंग्रेजी ने बनाए 'नए वंचित' और 'नए ब्राह्मण'

7 अक्टूबर 2017
0
2
0

मधु पूर्णिमा किश्वरअसमानता, भेदभाव और पिछड़ेपन के हल के रूप में आरक्षण पर चल रही मौजूदा बहस कुल जमा एक बिन्दू पर सिमटा दी गई है-क्या शैक्षिक आरक्षण जाति आधारित होना चाहिए अथवा उसमें आर्थिक पक्ष भी शामिल किया जाना चाहिए? इन दोनों विकल्पों के पीछे एक गलत धारणा यह है कि भारत में किसी के लाभ से वंचित हो

59

हम हैं भारत....!

12 अक्टूबर 2017
0
2
0

यदि राष्ट्र का पतन होता है तो ये स्वाभाविक है कि उसके नागरिकों का भी पतन होगा.! तब न तो कोई सुखमय जीवन बिता सकेगा और न ही उसकी कोई इच्छा अनइच्छा ही रहेगी। हर सुख हर सुविधा हम आज जिसभी रूप में भोग रहे हैं वो सब राष्ट्र का है। और इसके लिए हमारे लाखो पूर्वजों ने स्वंय को बलिदान किया है। आपके सुख के लिए

60

काका हाथरसी को एक बार तो पढिये....

11 नवम्बर 2017
0
2
1

काका हाथरसी-रिंग रोड पर मिल गए नेता जी बलवीर।कुत्ता उनके साथ था पकड़ रखी जंजीर॥     पकड़ रखी जंजीर अल्शेशियन था वह कुत्ता।     नेता से दो गुना भौंकने का था बुत्ता॥हमने पूछा, कहो, आज कैसे हो गुमसुम।इस गधे को लेकर कहाँ जा रहे हो तुम॥     नेता बोले क्रोध से करके टेढ़ी नाक।     कुत्ता है या गधा है, फूट

61

गूगल गुरु को देखिए.....

1 दिसम्बर 2017
0
0
0

.

62

कांग्रेस अब राहुल की...

4 दिसम्बर 2017
0
1
0

वर्षो ं से खबर चल रही थी राहुल जी अब अध्यक्ष बन रहे हैं अगले माह बन रहे हैं अगली तिमाही में बन रहे हैं। लेकिन तब सबका इन्तजार खत्म हो गया जब उन्होंने नामांकन फार्म भर दिया। अब कांग्रेस हुई राहुल की.... साथ ही विदेशीमूल का प्रधानमन्त्री बनेगा या नहीं ये प्रश्न भी हमेशा के लिए शान्त हो गया। #अ

63

स्वभाषी मेल डाटामेल.......!

5 दिसम्बर 2017
0
1
1

यह मात्र हिन्दी नहीं हिन्दी सहित अन्य भारतीय व विश्व भाषाओं में मेल पता उपलब्ध कराती है इसके सृजक अजय डाटा जी हैं और यह वर्षों पुराना समाचाा है। हमारा ईमेल पता - अजीतसिंह1@डाटामेल .भारत है। आप भी अपना जीमेल छोडकर स्वदेशी और स्वभाषी डाटामेल अपनायें।DataMailGet FREE email address like mine अज

64

राहुल गाँधी......

11 दिसम्बर 2017
0
1
0

कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी निर्विरोध चुन लिए गए हैं.सोमवार को पार्टी अध्यक्ष पद के प्रस्तावित चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख थी और किसी ने भी राहुल गांधी की उम्मीदवारी को चुनौती नहीं दी थी.कांग्रेस नेता मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, "नामांकन के 89 प्रस्ताव

65

मैकाले और भारत के लोग...

1 जनवरी 2018
0
1
0

“मैंने पूरे भारत की लगभग सभी दिशाओं में यात्राएँ की हैं और मुझे इस पूरे दौर में न तो कोई भिखारी व्यक्ति दिखा और न कोई चोर। मैंने इस देश की अमूल्य संपन्नता को देखा है, जहाँ गहरे नैतिक मूल्य व्याप्त हैं और लोग क्षमताओं से लबरेज हैं और इसलिए मैं समझता हूँ कि इस देश पर विजय पाना हमारे लिए तब तक सम्भव नह

66

हाइक चलाओ

4 जनवरी 2018
0
0
0

मेरे साथ Hike पर चैट करें! बस @ajeetsingh1 की खोज करें या यहाँ टैप करें https://hike.li/@ajeetsingh1

67

हमारे भोजन पर नियंत्रण के प्रयास -थेरेसा क्रिनीनगर

10 जनवरी 2018
0
0
0

हमारे भोजन पर नियंत्रण के प्रयास-थेरेसा क्रिनीनगरकॉर्पोरेट एटलस-2017 की रिपार्ट यह दर्शाती है कि दुनियाभर में खाद्य उद्योगों का हो रहा विकास किस प्रकार सामान्य जनता को प्रभावित कर रहा है। उभरते एवं तेजी से फैलते बाजार से विकासशील देशों में खाद्य व्यवस्था की कमजोर कड़ी माने जाने वाले कृषक तथा खेतिहर म

68

षड्यंत्रों से संघर्ष करती हिंदी

11 जनवरी 2018
0
1
0

षड्यंत्रों से संघर्ष करती हिंदीसंवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा होने के बावजूद हिंदी षड्यंत्रों का शिकार रही है। स्वाधीनता के बाद से हमारे देश में, हिंदी के खिलाफ षड्यंत्र रचे जाते रहे हैं। उन्ही का परिणाम है कि हिंदी आजतक अपना अनिवार्य स्थान नह

69

बदलने होंगे गुलामी के समय के प्रशासन, शिक्षा और राजनैतिक सिस्टम

14 जनवरी 2018
0
0
0

बदलने होंगे गुलामी के समय के प्रशासन, शिक्षा और राजनैतिक सिस्टमएक आजाद देश को अपना सिस्टम बनाना चाहिए था, लेकिन हमने अपने पुराने सिस्टम में बस बहुत थोड़ा सा बदलाव कर लिया। इसी वजह से कई मायनों में हमने खुद को पंगु बना लिया है।जो लोग हम पर बाहर से शासन करना चाहते थे, उन्होंने कुछ खास तरह का तंत्र व स

70

बदलने होंगे गुलामी के समय के प्रशासन, शिक्षा और राजनैतिक सिस्टम

14 जनवरी 2018
0
0
0

बदलने होंगे गुलामी के समय के प्रशासन, शिक्षा और राजनैतिक सिस्टमएक आजाद देश को अपना सिस्टम बनाना चाहिए था, लेकिन हमने अपने पुराने सिस्टम में बस बहुत थोड़ा सा बदलाव कर लिया। इसी वजह से कई मायनों में हमने खुद को पंगु बना लिया है।जो लोग हम पर बाहर से शासन करना चाहते थे, उन्होंने कुछ खास तरह का तंत्र व स

71

भारत में अंग्रेजी कलैण्डर क्यों भारतीय पंचांग क्यों नहीं.....

19 जनवरी 2018
0
0
0

भारत में अंग्रेजी कलैण्डर क्यों भारतीय पंचांग क्यों नहीं..!भारतीय वृत,पर्व व विवाह आदि सभी शुभ कार्य भारतीय पंचांग के अनुसार ही होते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से यह पंचांग भारत सरकार के द्वारा प्रयोग में नहीं है। वह अंग्रेजी कलैण्डर का प्रयोग करती है। दूसरा जिसे मान्यता प्राप्त है वह है शक सम्वत जो विक्र

72

चीन ने बनाया हिन्दी को हथियार

29 जनवरी 2018
0
2
0

चीन ने बनाया हिंदी को हथियार वेद प्रताप वैदिकचीन हमें आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर ही मात देने की तैयारी नहीं कर रहा है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी वह हमें पटकनी मारने पर उतारु है। उसने चीनी स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए अब हिंदी को अपना हथियार बना लिया है। इस समय चीन की 24 लाख जवानों की फौज में हज

73

मूर्खों का पुलिन्दा (भारत का तथाकथित संविधान) और झण्डा प्रेम.....!

1 फरवरी 2018
0
1
1

मूर्खों का पुलिन्दा (भारत का तथाकथित संविधान) और झण्ड़ा प्रेम.... "याद रखिए 1 भूल कई सारी उपलब्धियों पर पानी फेर देती है।" क्या यह सही नहीं है कि भारत का संविधान भारतजन विरोधी नहीं है? क्या जनता की जुबान पर लगे प्रतिबन्ध उचित हैं? उन्हें अपनी बात रखने के लिए विदेशी भाषा को सीखने पर मजबूर करना उचित

74

पिछडे होने का एक ही कारण वो है अंग्रेजी

11 फरवरी 2018
0
0
0

विश्व में केवल आर्थिक नहीं, अन्य भी अनेक दृष्टियों से जो स्थान जापान, कोरिया, चीन आदि देशों का है, हमारा देश उनसे हर क्षेत्र में दूर, बहुत ही दूर केवल इसलिए है क्योंकि हमने अपने बच्चों के विकास के मार्ग में अंग्रेजी माध्यम की दीवार खड़ी कर रखी है.

75

इंटरनेट पर हिन्दी....!

18 फरवरी 2018
0
4
3

भारत में अंग्रेजी अब इंटरनेट पर प्रयोग में लाई जाने वाली प्रमुख भाषा नहीं रह गई है। बड़े पैमान पर हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग ने देश में अंग्रेजी के प्रयोग को पछ़ाड दिया है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक देशी भाषाओं का प्रयोग साइबर स्पेस में लगातार बढ़ता जा रहा है। हिंदी इनमें सबसे आगे

76

भारत में अंग्रेजी क्यों?

20 फरवरी 2018
0
1
0

यदि नौवेल पुरूस्कार आदर्श गुलामों को देने की प्रथा बन जाये तो सारे नौवेल पुरूस्कार भारतीय ही जीतेंगे।#भारत-में-अंग्रेजी-क्यों?

77

मूर्ख हिन्दुओं की मसीहा सरकार.....

20 फरवरी 2018
0
1
0

सरकार ने कोर्ट में कहा- ताजमहल नहीं है शिवालय, शाहजंहा ने मुमताज की याद में बनवाया आगरा। कार्यालय संवाददाताUpdated: Tue, 20 Feb 2018 12:18 ताज या तेजोमहालय मामले में सोमवार को भारत सरकार व पुरातत्व विभाग ने अपना जवाब कोर्ट में दाखिल कर दिया है। इसमें पुन: एक बार कहा है कि ताजमहल शिवालय नहीं है। ऐसा

78

गुलाम भारत....!

22 फरवरी 2018
0
0
0

जो मूर्ख भारतीय संविधान को अपना माई-बाप कहते हैं वो संविधान भारत की किसी भी जन भाषा में कानून/न्याय/शिक्षा का अधिकार नहीं देता। इसलिए हम इसके व इसकी रक्षा करने वालों के विनाश की कामना करता हूँ ।अनुच्छेद 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए