भाषा ने जो कहा।जो खेल सका दुनियाई भाषा से, वह खेल बहुत निराला हैं।किसान का हल, जवान की ताकत, लिखने वाले की कलम, बोलने वाले की आवाज।जब चारो मिलते हैं, देश दुनिया के बागों मे, महकते सुंदर फूल खिलते हैं।दुनियाँ जिससे ऊपर उठती हैं, यह दफन उन्ही को करती हैं।हल-ताकत-कलम-आवाज आज के दौर मे दबने से लगे इस जह