इस कथा के दो पात्र है . एक भक्ति रस का उपासक तो दूजा श्रृंगार रस का उपासक है. दोनों के बीच द्वंद्व का होना लाजिमी है. ये कथा भक्ति रस के उपासक और श्रृंगार रस के उपासक मित्रों के बीच विवाद को दिखाते हुए लिखा गया है.ऑफिस से काम निपटा के दो मित्र कार से घर की ओर जा रहे थे