ईश्वर ने इस धरती को रचा है और जाहिर सी बात है की जब धरती को रचा है तो बनाने वाले ने इंसान को भी बनाया है वो इसलिये की इन्सान दो पैर का बुद्धिजीवी प्राणी हैं जिसके पास दिमाग है ईश्वर की यह बहुत सुन्दर कला का नाम है इंसान जिसे ईश्वर ने बहुत सोच समझकर के बनाया है अब बात करे जातिवाद की तो ईश्वर ने केवल इंसान बनाया है और उसका कार्य इंसानियत है इन्हीं दोनों के मेल से इन्सान बनता है आप किसी भी जाति व धर्म के क्यों न हो सभी धर्मों में इन्सान और इंसान की इंसानियत को ही सर्वोपरि रखा है अब बात करे आगे तो आप किसी भी जाति में पैदा हुये है आपकी जाति कोई भी क्यों न हो अपनी जाति का सम्मान करे सभी जाति सम्मान की हकदार है किसी को नीचा दिखाके आप उपर उठ नही सकते इसलिये सभी का सम्मान करे जातिवाद और धर्म के भेदभाव का व्यापार नेताओं की राजनीति
करती है जिन्हें पांच साल के लिये जनता से अपनी कुर्सी चाहिये चुनाव में और कुछ नही |
ये तो सब ही जानते है की प्रभु श्री राम भगवान है किन्तु अगर देखा जावे तो किसी भी भगवान के सामने मर्यादा शब्द नही लगा है जैसा की हम सभी जानते है की सनातन धर्म में तैतीस कोटि देवी देवता माने गये है किन्तु किसी भी देवी व देवता के सामने मर्यादा शब्द नही लगा यह मर्यादा शब्द केवल प्रभु श्री राम को ही मिला वो इसलिये की अयोध्या के राजा होते हुये भी प्रभु श्री राम में अहंकार,घृणा,द्वेष,बल भ्रस्टाचार इत्यादि रत्ति भर भी प्रभु श्री राम के व्यक्तित्व में नही था वो अयोध्या के राजा होते हुये भी अपने शासन व लोगों के बीच आम नागरिक की भांति रहते थे आम जीवन व्यतीत करते थे यही कारण होने के बावजूद प्रभु श्री राम ने कैकयी माता द्वारा दिया गया चौदह वर्ष का वनवास हँसते हँसते प्राप्त कर लिया था प्रभु श्री राम की सोच उनका साधारण व्यक्तित्व धैर्य की चरम प्रकाशठा स्नेह उदारता,सुंदर चरित्र,कठिन परिस्तिथियों में अव्वल,धैर्य की सीमा यह सभी प्रभु श्री राम को मर्यादा जैसे शब्द की और अग्रसर करते है प्रभु श्री राम ने न ही केवल मर्यादा में रहकर कार्यकिये बल्कि वह एक खुद मर्यादित राजा थे अयोध्या के जिनकी अगर मर्यादा का गुणगान कितना भी किया जावे उतना ही कम है इसलिये प्रभु श्री राम मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम कहलाये |