10 नवम्बर 2022
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मैं एक अतृप्त बुंद हुD
🌷🌷🌷🌹 अलबेली सुबहा 🌹🌷🌷🌷दो वक्त भोजन के दौरान ,तिखी तानों का वार झेलना,मुख खुलने से अंगारे बरसे ,अंसुवन के संग था खेलना ।निवाले अन्दर जाते नहीं ,लें जाने थे जरूरी ,अन्दर ही अन्दर घुट रहा था,थी ब
🌹🌹🌹 🌷अलबेली सुबहा 🌷🌹🌹🌹( दुसरी कड़ी )गुरूर हुआ कुछ इस तरह ,अपनों का ख्याल नहीं ,स्वार्थ छुपा था कोने में ,व्यंगों का मलाल नहीं ।गला घोट दिया सम्बन्धों का,वो इतने शक्तिहीन न थे ,हरेक जरूरतों में
🌷, 🌹 🌹 🌹अटुट शांति, 🌹 🌹 🌹🌷प्रखर बुद्धि उल्झे शब्दों को सुल्झा देती है ,अंधेरे पथ को रोशनी से भर देती है ,भटके पथिक भी जब शान्त चित्त करते हैं,उनके मंजिल की राह गोचर करा देती है ।बुद्धि विचलित
🌹🌹🌷।। टिड्डे कि साहस ।।🌷🌹🌹टिड्डे कि साहस मैंने देखा ,संघर्ष अपार करते हैं ,राह से उन्हें भटकाया बहुत,वो राह अपनी स्मर्ण करते हैं।वापस आ जाते राह में अपनी,उदास कभी ना होते हैं ,लड़खड़ाते कदमों से
🌷🌷🌷 जननी गर्व कर लें 🌷🌷🌷🌷मिट्टी कहती हैं लिख दे अमिट नाम कोई ,गगन कहता है बन जा तु महान कोई ,पवन कहता है कर लो पूरूषार्थ कोई ,जला लो ज्ञान का दीप राह में भटके ना कोई।खिल सकता है दामन में तेरे ग
🌹🌹🌹🌹🌷 ईक बुंद 🌷🌹🌹🌹🌹 ईक बुंद संसार का सार है , वहीं बुंद उसकी कहानी है , उसी बुंद को वो तरस रहा , बुंद ही उसकी निशानी है । उसी में सृजन उसी में पालन, लिप्त माया ने विस्मर्ण किया, ठोकर लगी और
👃👃🌷🌷 मां कि आहे 🌷 🌷👃👃 तु आन बान मेरी शान हैं , जी जान से पाला है तुझको, जीवन मृत्यु की परवाह नहीं कि, मां बनने कि थी गर्व मुझको । रात जगी गिले में सोई , तुझे सुलाने में थी खोई, रात बिति पता न
🌷 🙏 संस्कार 🙏 🌷 चुप रहकर जिनको देखता , जी भर के उसे तकता हूं , तन जिससे ढ़का है उसकी , आव भाव को टटोलता हूं । चलचित्र के हमस्वरुप , आचरण स्पष्ट हो जाता है , मनोभावनाए लेस म
🌹🌹अलबेली सुबहा 🌹🌹स्वास्थ्यवर्धक प्रत्येक शैलीया ,लुप्त होती जा रही ,जन जन कि मुख मंडल पर ,स्वार्थ की आभा दिख रही ।खानपान व्यवहार वेषभूषा ,अपनी करवट बदल रही ,सम्बन्धों में भी कड़वाहट ,धिमें- धीमें
🌹🌹 नारी का सम्मान 🌹🌹 ईक सौख है सुंदर दिखने का , वहीं सौख है सुंदरता प्रदर्शन का, सुझ बुझ यू बिसर गई , दोषी बनीं अंग प्रदर्शन का । घर में किसी को फिक्र न थी , ढोल बज गए सारी गलियों में , मेरी
👉 👉🙏सुरक्षा 🙏👈👈👇👇👇✍️✍️👇 👇👇अज्ञानता वश भूल स्वाभाविक ,लापरवाही में भूल होती हैं ,भूल लापरवाही और अज्ञानता ,दुर्घटनाओं का दोषी होती हैं ।जब दुस्चिंता का प्रकोप होता है ,तब अज्ञानता का स्वराज
🌷🌷🌷🌷 रेलयात्रा 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🙏✍️👇🙏👇✍️🙏🌷🌷घुमती धरती और घूमता आसमान ,देखते खिड़की से बच्चे वृद्ध एक समान ,ठाक ठुक करते परस्पर रेल पटरियां ,हिचकोले खाते है सभी यात्री समान ।धीरे धीरे
🙏🙏🙏गोबर्धन पूजा 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹✍️🌹🌹🌹🌹🌹दुनिया में पर्वत बहुत है मगर ,बस गोवर्धन ही इकलौता है ,श्री गिरधर की शोभा बढ़ाते ,तभी से पूजन की उनकी न्यौता है ।प्रलय सा वर्षा प्रारंभ हुआ जब ,गिरधर ने उन
🌹🌹❤️सम्बन्ध और सम्पर्क ❤️🌹🌹👉👉👉👇👇✍️✍️👇👇👈👈👈सम्पर्क चाहें सुन्दर हो जितने ,सम्बन्ध सम्पर्क रहित अधूरे हैं ,सम्पर्क प्रगाढ़ता बढ़ा देता है ,परिप्लावित समर्पण सम्बन्ध पूरे हैं ।सम्बन्ध प्रगाढ
🙏🙏🙏🌹छठ पूजा 🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹✍️🌹🌹🌹🌹🌹अस्त उदित सूर्य पुजन को ,न्ये वस्त्र में सब चल पड़े ,कोई हर्षित कोई दुखयारी ,श्रद्धा भक्ति नियमों में खड़े ।उमंगों में निर्जला और संयम ,शुद्धता में कोई दो
🙏🙏 🌹राष्ट्रीय एकता दिवस 🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏✍️🙏🌹🌹🌹🌹जिस थाली में भोजन करते ,देख - रेख उपयुक्त करते हैं ,जल ही जीवन है ज्ञात हैं सबको ,जल संचय सब करते हैं ।अपने कुटुम्ब परिवार जनों को ,हर घड़ी खबर
🕊️🕊️🕊️🕊️ डिजिटल मुद्रा 🕊️🕊️🕊️🕊️🐦🐦🐦🐦🙏 ✍️ 🙏🐦🐦🐦🐦पंख लगें मुद्राओं में ,हुआ अब चित्त चोर ,मन के भांति छुपा हुआ ,असिमित सम्राज्य चहुंओर ।मन के भांति दौड़ लगाना ,दृष्टि हुआ गुम
🙏🌹🌹 देव उठनी एकादशी 🌹🌹🙏🌷🌷🌷🌷🌷✍️🌷🌷🌷🌷🌷🌷तुलसी कहते स्मर्ण हों आता ,प्यारी मईया मोर ,विष्णु प्रिया मईया हमारी ,दैव उठनी एकादशी तोर ।जिस दिन चतुर्मास समापन ,भगवन् नेत्र खोले मुस्काए ,चार मा
"""""""" वैश्विक जलवायु परिवर्तन """"""""🌷🌷🌷🌷🌷✍️🌷🌷🌷🌷🌷सोचते है सोच हमारी ,एक मात्र बड़ी खुबसूरत है ,इसी सोच में सतर्कता छुटी ,विचित्र फल के ज़रुरत है ।स्विचिंग सिस्टम हों कार्य प्रणाली ,श्रम
⚖️⚖️👉समान नागरिक संहिता👈⚖️⚖️⚖️⚖️ ⚖️⚖️ 🙏✍️🙏 ⚖️⚖️ ⚖️⚖️एक एक सभी बेचैन रहें ,गांव घर और पड़ोस ,मुख् में बचन मधुर नहीं ,बोलत सभी कड़ोस ।किसी से किसी को मेल नहीं ,तनिक नहीं विश्वास ,सिधी बात चुंभ जाती
🚩🚩🚩 धर्म का विजय 🚩🚩🚩🌹🌹🌹🌹🙏✍️🙏🌹🌹🌹🌹वर्णव्यवस्था को ढंक दिया ,जातिवाद चादर लपेट ,चलतीं रहे परिवारिक गाड़ी ,भरण होता रहें सब पेट ।मान सम्मान बना रहे ,चापलूसी बना सहारा ,उनके आगे बस ना
💥💥💥💥💥 शिक्षा 💥💥💥💥💥 🚩🚩🚩🚩🙏✍️🙏✍️🚩🚩🚩🚩 शिक्षा राष्ट्र की धरोहर हैं , सभ्यता की जननी है , बदौलत इसी के आज हमारी , पहुंच चन्द्र तक बनी है । इसके बिना पथ अंधियारा , दुर्लभ होंगी खुशहाली ,
✂️✂️✂️ 🔫 भ्रष्टाचार 🔫✂️✂️✂️ 👇👇👇👇👉✍️👈👇👇👇👇 अभाव शरिर का दीमक है , तिल तिल खोखला करता है , अन्दर बाहर दोनों तरफ , दिन रात अभावी मरता है । क्षीण हो जाती समझ उसकी , उल्टे समझ सब आतें है , उल्टी
🏏🏏🏏🏏🏏 खेल 🏏 🏏🏏🏏🏏 🏏🏏🏏🏏🏏✍️🏏🏏🏏🏏🏏 राष्ट्र के नाम खेल हो , टिम में सुंदर मेल हो , राष्ट्र का नाम हो रोशन , तभी सफल सब खेल हो । टि20 खेल को लिजिए , हारे अजनबी सब चेला , अपना चेला सर चढ़ा
🎎🎎🎎💥बाल दिवस 💥🎎🎎🎎 🌹🌹🚩 🙏✍️✍️✍️🙏 🚩🌹🌹 धाराएं चंचल बन्दर भी चंचल , चंचल है बालक का मन , चंचल विद्युत दृष्टि पवन , चंचल द्रव्य सबका मन । भविष्य राष्ट्र का बालक है , स्लोगन लेखन है पुरानी ,
💥💥💥 जनसंख्या वृद्धि 💥💥💥 ⛪⛪⛪⛪ ✍️ ⛪⛪⛪⛪⛪ दादें परदादें के काल में , बच्चे बच्चियां छः सात , फिर भी खुशहाल परिवार रहा , पर्याप्त रहा दाल और भात । कार्य से जुड़ा समान्य रहा , प्रायः सभी थे खेतीहर , ध
❤️❤️❤️ क्षणिक प्रेम ❤️❤️❤️ ❤️❤️❤️ 🌹✍️🌹 ❤️❤️❤️ क्षणिक प्रेम पाकर उठ बैठी , बेलथ पड़ीं थीं बिस्तर पर , अस्ताचल से आत्मा लौट चुकी , उठने से पूर्व बिस्तर पर । प्रेम परिप्लावित माधुर्य वचन , श्रवण हुई धी
🌜🌜🌜🌜 जादुई दुनिया 🌛🌛🌛🌛 🌜🌜🌜🌜🌜🌜✍️🌛🌛🌛🌛🌛 उड़ते फिरते निल गगन में , चहक उठता मेरा मन , लहरों पर दौड़ लगाता , प्रफुल्लित हो उठता अंजुमन । कुद जाता ऊंचे शिखर से , नंगें पांव चलता अग्नि पर
💦💦💦(((आखिरी इच्छा)))💦💦💦 😭😭😭😭😭 ✍️ 😭😭😭😭😭 रो मत पोंछ लें आंसू , इसकी कोई जरूरत नहीं , मैं तो हूं ही तुझी में , कहीं और ढुंढनें की जरूरत नहीं । हुआ हादसा अपने ही घरों में , परिवार सभी अचेत
🙏 🚩डिजिटल भारत अनोखा राष्ट्र 🚩🙏 🌹🌹🌹🌹🌹🙏✍️🙏🌹🌹🌹🌹 होता समय बड़ा बलवान , समय चक्र में होते किरदार , इससे वंचित कोई नहीं है , वर्तमान भूत भविष्य विचार । बैल गाड़ी टमटम और साईकिल , राजदूत यामा
💥💥 योगासन और प्राणायाम 💥💥💥💥💥💥🙏✍️🙏💥💥💥💥उर्जा कहीं भी नष्ट नहीं हो ,लाभ हो दस गुना बेसी ,सहज अभ्यास हो सकें जो ,योग और प्राणायाम हो पेशी ।सुबह शौच से हो निवृत्त ,खाली पेट अभ्यास करना ,मात्र
👨❤️💋👨👨❤️💋👨👨❤️💋👨❤️गंधर्व विवाह ❤️👨❤️💋👨👨❤️💋👨👨❤️💋👨🙏🙏🙏🙏 🌷✍️🌷 🙏🙏🙏🙏गंधर्व विवाह ही प्रेम विवाह ,हम समझे नहीं है परिस्कार ,सनातन संस्कृति के धरोहर ,गंधर्व विवाह
🌷🌷लकड़ी तेरी विचित्र कहानी 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🙏 ✍️ 🙏🌷🌷🌷🌷जीवन पूर्व जीवन के संग संग ,खूबसूरत तेरी कहानी है ,डाल पत्ते फूल और फल ,हरेक मुकामों में काम आनी है ।कोई भी हिस्सा लकड़ी तेरी ,अहम भूमिका निभात
🎑 🎑 बना मुख्य आहार 🎑🎑🎑🎑🎑 🙏✍️🙏 🎑🎑🎑शिक्षित हुआं परिपूर्ण ,ज्ञान का अभाव है ,तालमेल बना सका ना ,अज्ञानता का प्रभाव है ।प्राकृतिक और जरुरत ,इस बीच हीं बिमारी है ,संसाधन
🌷🌷🌷🌷🙏 नारी 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🙏 ✍️ 🙏🌷🌷🌷🌷दब जाने से जूति बनतीं ,उठने से सरताज ,खुश आप किसमें रहेंगे ,निदान चाहिए आज ।जिसकी पहुंच शिखर पर ,अबला की थी हाथ ,टूटकर भी नहीं छोड़ती ,उसके अपनो
🌷🌷🌷🌷🙏 भक्ति 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 ✍️ 🌷🌷🌷🌷🌷सम्मान देना ना भूलना ,मधुर बोल बोलना प्यारे ,विशाल इच्छाओं को लघु बनाना ,यही पहला कदम है न्यारे ।ध्यानपूर्वक सभी के सुनना ,प्रसन्नचित होक
" 😭😭 अभिभावकों कि दुर्दशा 😭😭🙏🙏🙏🙏🌷✍️🌷🙏🙏🙏🙏क्या हो नहीं सकता....सरकारी विद्यालयों में सुधार ?विवश लाचार नन्ही आत्माओं की ,ना जाने कब कैसे होंगी उनकी उद्धार ।तीन चार टिविसन हुआ ज़रुरी ,अस्मर
👉👉👉 सोशल मीडिया 👈👈👈🌹🌹🌹🌹🌹✍️🌹🌹🌹🌹🌹विचित्र तेरी आधुनिक तकनीक ,यथेष्ठ उपलब्धि पाया ,जीत लिया मन सबकी ,काम सभी को आया ।हल्के चेष्टा कर जिसने ,फेसबुक ह्वाट्सएप चलाईं ,मंत्रमुग्ध हो जाना निश्च
🌱🌳 बड़े वृक्ष होने को खातिर 🌳🌱🌱🌱🌱 🌳 ✍️ 🌳 🌱🌱🌱🌱आलस्य का प्रकोप बढ़ा ,तनिक श्रम से कतराते हैं ,आसपड़ोस बाजार जाने में ,पैदल से बहुत घबड़ाते है ।सोच में पैदल आता नहीं ,साईकिल में अपमानि
🌱🌱🌱🌱 ट्विटर 🌱🌱🌱🌱🌷🌷🌷🌷🌷✍️🌷🌷🌷🌷🌷मनोभावनाएं किस्से व्यक्त करु ?और कौन करेगा अनुसरण ?छोटी मुख बड़ी बात है ,कोई बताए जाए किसकी सरण ।कोई कहता- फेसबुक पे जाओ ,कोई कहता - ह्वाट्सएप
" पुननिर्माण इतिहास "कर अद्भुत यत्न उन्होंने ,संयोया हों जो चमन ,कितने सपने कितने आंकक्षाए ,सम्हाल रखा था अन्तर्मन ।बुद्धि इतनी प्रखर थी ,कि... हरकतों से ज्ञात हो जाता ,सूर्य चन्द्र तारों को देख ,भूत
🌱🌱 सम्बन्धी हमारे ना छूटे 🌱🌱क्या खूब निभाई अपनापन तूने ,अकड़ का सरताज बनाकर ,चतुराई तेरे छुप ना सके ,बहुरंगी दांव पेंच अपनाकर ।रंग बिरंगे सपनों के गुब्बारे ,अरमां उन्हीं में बंद है ,दौड़ पड़े हैं
👉👉👉👉 कुत्ते 👈👈👈👈मेरे अपनों से विरले ही ,हाय हैलो हों जातें हैं ,मन लुभा लिए हैं कुत्तों ने ,अब उन्हीं के संग नाते है ।हमसब की मन हरण किया ,अपनी दुम हिला हिलाकर ,अपनों को नहीं उसे चाव से ,बड़ा
🌹 रयीस है ये इकलौता 🌹रगों में घुली अकड़ का कंकड़ ,विचार रहित बेचारे क्या करें ,करनी के प्रतिफल क्या होगा ?अकड़ रह जाता धरे के धरे ।मदिरा पान कर वो चार्ज होते ,मान-सम्मान उसे हीं समझते हैं ,गाली गलौज