न विश्वास मिटता है, न अविश्वास की जड़ें खत्म होती हैं - एक ही व्यक्ति के कई रूप होते हैं, सौंदर्य के पीछे कुरूपता, कुरूपता के पीछे सौंदर्य मिल ही जाता है - पर, न हर सौंदर्य कुरूप है न हर कुरूप सुन्दर है शरीर से असमर्थ भी कुशल कारीगर होता है तो कहीं शरीर