एक बून्द की कहानी है... एक बून्द की ज़ुबानी है .. इस रामझिम बारिश की हर एक बून्द की बस यही निशानी है ... गिरती है ज़मीन पर तोह एक तड़पती प्यास को बुझाती है... पड़ती है तन पर तोह ... एक ख़ुशी का एहसास जगाती है... केहती है सबसे की बेवजह न दूषित करो मुझे मेरी लीला भी न्यारी ह