प्रेम❤ क्या लिखूं
इसके बारे लेखक छोटा हो या बड़ा या कोई कवि हो ऐसा
कोई भी नहीं है
जिसने प्रेम के बारे में ना लिखा हो
सब अपने मन के सागर में से प्रेम को देखते हैं
प्रेम कोई चीज नहीं है नई है कोई वस्तु
जिसे प्राप्त किया जाए ऐसा मुझे लगता है
जहां समर्पण हो उसे प्रेम कहे सकते हैं
जैसे एक माँ अपने आने वाले बच्चे के लिए
जो अभी इस दुनिया में आया भी ना हो उसके लिए स्वेटर
बनाती है
जिस बच्चे को उसने देखा भी ना हो
उसे प्रेम कहते है