" आदर्श हिन्दी ग्राम"
घर का सब काम निपटाते मुझे 12 बज गये थकान अधिक होने से सोते ही नींद में पहुँच गयी।
सुबह अलार्म बजते ही जल्दी उठी। तभी फोन आया माँ आज जल्दी आ जाना। मैं काम निपटा कर पड़ोसी के बेटे शुभम के साथ कार्यस्थल के लिये रवाना हो गयी।
दिमाग में बात आ रही थी कि सुरभि के पापा हम साथ चले होते तो ...
पुरानी बातें सोचते मैं कार्यस्थल पर पहुँच चुकी थी।
सुरभि उसकी बेटी जैसे ही मंच पर पहुँची चारों ओर से तालियों की आवाजें सुनाई देने लगी।
मंच पर डी .एम.साहब उसका सम्मान कर रहे थे काम ही ऐसा करके आयी थी जो हर किसी के बस की बात नहीं होती।विदेश में हिन्दी भाषा के कार्यक्रम में देश का नाम रोशन करके आयी थी।
मैं दूसरी दुनिया में खोयी हुई थी कि सुंदर ने आवाज़ दी, "क्या सोच रही हो ?" आप...
आज मेरा वर्षों का देखा सपना पूरा हो गया। जो मैंने अपने लिये सोचा था। मन से अतीत की परतें खुल रहीं थी वह बोले जा रही थी सासू मां ने शादी के बाद पढ़ाई पर रोक लगादी थी। माँ बनने का समय आया तो तुमने गर्भपात करवा दिया! फिर मैं कभी मां नहीं बन पायी!
काश! *अगर साथ चले हम होते*!"
तभी उसे मंच पर बुलाया जा रहा था भाषण में सुरभि बोल रही थी, "मझे अनाथाश्रम से लाकर पहचान देने वाले आप मेरे माँ- पापा हैं।"
तालियों की आवाज तेज हो गयी थी। सुंदरअपनी उस बेटी को गले लगा रहे थे जिसे कभी अपना नहीं समझा था।
आज उनकी आँखों के आँसू अपनी गलती का एहसास करा रहे थे।
डी एम साहब बधाई देते कह रहे थे अब गांव- गांव
हर शहरों में हिंदी का बोलबाला ही रहेगा गांव को सुरभि का सहयोग रहेगा ।सरकार भी इसमें योगदान दे रही ताकि हिन्दी का परचम हर तरफ लहराये। सब तरफ ग्रामीणों की तालियों की आवाज सुनाई दे रही । गाँव का नाम अपनी मातृभाषा के कारण आदर्श हिन्दी ग्राम बनने में रोशन हो चला था।
सविता गुप्ता🙏
प्रयागराज।
मेरी स्वरचित रचना है।