🙏
विधा- लघुकथा
शीर्षक- वो आधा घंटा...
वो आधा घंटा.....
खुश्बू जल्दी -जल्दी घर का काम निपटा कर विद्यालय जाने के लिये बाहर निकली लेकिन कोई साधन नहीं मिल रहा था। वह बड़बड़ाते हुए बोल रही थी आज ही सब होना था, अर्जुन के मामी -मामाआ रहे थे उसकी मीटिंग भी थी गाड़ी भी खराब और अर्जुन को भी आज ही ऑफिस के काम से कानपुर जाना था।वह बड़बड़ा रही थी तभी एक ऑटो आकर रुका वह जल्दी से बैठ गयी विद्यालय में जैसे ही
अंदर पहुँची सुमन मैडम बोली .. प्रधानाचार्या जी आपको बुला रहीं हैं।
वह उनके कमरे में गयी तो वह बोली खुश्बू फिरआधा घंटे लेट हो गयी हो ऐसी स्थिति में तुम्हें आराम करना चाहिए क्योंकि माँ बनने से खुशी तो मिलती है लेकिन यह समय बड़ा सम्हलकर रहने का है।
वहां से बात करके वह कक्षा में जब पहुँची तो उसकी "ब्लैक बोर्ड" पर नजर पड़ी उस पर
उसके चित्र के साथ में एक छोटे बच्चे का चित्र भी बना था एक फूलों के गुच्छे के साथ जन्मदिन की शुभकामनाएं लिखी थीं।
वह मुस्कुरा कर रह गयी कि आज अर्जुन ने भी उसे बधाई नहीं दी और इन सबको याद था।
सब बच्चे खुश होकर उसके पास ताली बजाकर हाथ पकड़ उससे केक काटने कह रहे थे।यह "प्रेम और स्पर्श" बड़ा सकून दे रहा था।
कक्षाएं पूरी कर वह घर पहुँची तो देखा मामा-मामी आ गये थे वह बोली थोड़ी देर हो गयी वह हँसते हुये बोले अरे!ज्यादा नहीं बस आधा घण्टे तुम लेट हो।अच्छा हुआ तुम चाबी पड़ोसी को दे गई थी।
मुँह हाथ धोकर उसने खाना लगाया सब उसके खाने की तारीफ कर रहे थे। दूसरे दिन अर्जुन घर आया उसके लिये एक प्यारा सा तोहफा देकर बोला माफ करना! कल आधा घण्टे लेट हो गया और फिर इतना व्यस्त हो गया की भूल ही गया। मामी के कारण उसे थोड़ी आराम मिल गया था।दो दिन बाद खुश्बू अस्पताल में थी नर्स अर्जुन से बोल रही थी बस आधे घंटे में आपको खुशखबरी मिलने वाली है। समय पूरा हुआ *एक नन्ही परी का आगमन हो गया था अर्जुन के पिता बनने की खुशी खुश्बू को उसके चेहरे पर दिख रही थी जो बोल रहा था मैं अब अपनी बिटिया को हर वो खुशी दूंगा जो खुश्बू तुम्हें और मुझे बदकिस्मती से नहीं मिली* !
*खुश्बू "प्रेम और स्पर्श" से नन्ही परी को छूकर आधा घंटे देर के समय को यादकर विद्यालय के ब्लैकबोर्ड पर बने उस चित्र को याद कर रही थी जो उसके मन के ब्लैक बोर्ड पर यादगार बन कर खुशियों से भर गया था*।
सविता गुप्ता ✍️
प्रयागराज।
मेरी स्वरचित रचना है।