बूढ़ीअम्मा...
हर्षा ऑफिस से जैसे ही बाहर निकली तेज बारिश शुरू हो गयी थी जल्दी स्कूटी स्टार्ट कर वह घर के लिये निकल पड़ी ।रास्ते में ट्रैफिक जाम से परेशानी बढ़ गयी थी। घर पर उसने फोन किया कि देर हो जायेगी माता रानी की भेंट का सामान कल ले आयेगी बात करते- करते उसने शॉर्ट कट रास्ते पर गाड़ी मोड़ दी कुछ दूर ही पहुँची की स्ट्रीट लाइट बन्द हो गयी अंधेरे में धीरे -धीरे गाड़ी बढ़ा रही थी कि अचानक गाड़ी किसी से टकराई और पलट गयी तभी उसने देखा मोबाइल की रोशनी में तीन लड़के आगे बढ़ रहे हैं उनको देखकर उसे घबराहट होने लगी वह हिम्मत कर उनसे बात करने को हुई तभी पीछे से किसी ने उस पर बार कर दिया। उसके मुंह से एक तेज चीख निकली अम्मा....
और वह बेहोश हो गयी थी वो लड़के उसे बांध रहे थे तभी अचानक कहीं से बूढ़ी अम्मा सामने आ गयी और उन लड़कों को ललकार उठी वह सब उसे
जाने के लिए कह रहे थे लेकिन बूढ़ी हड्डियों में न जाने कहाँ की ताकत आ गयी कि वह उन पर चाकू लेकर झपट पड़ी हर्षा कुछ होश में आ गयी थी उसने देखा अम्मा उनमें से एक को घायल कर दी थी और बोल रही थी औरत को कमजोर समझे हो का... तभी लाइट आ गयी सामने से पुलिस की गाड़ी भी पहुँच गयी थी एक लड़का भाग गया था।
पुलिस अम्माजी को शाबासी दे रही थी सब्जी वाली अम्मा भी पहचान गयी अरे ये तो वर्मा जी की बिटिया है वह बोल रही थी साहब सब्जी बेचकर घर लौट रही थी पुलिस हर्षा को घर पहुँचा दी थी। घरवाले और हर्षा कह रहे थे मातारानी तेरी बड़ी मेहरवानी ,अगर आज सब्जी वाली अम्मा नहीं होती तो क्या होता!
सविता गुप्ता
प्रयागराज।✍️
मेरी स्वरचित रचना है।